वैश्विक स्तर पर कफ सीरप से कम से कम 141 बच्चों की मौत के मद्देनज़र भारत में दवा नियामक ने यह क़दम उठाया है. नियामक की ओर से कहा गया है कि सामान्य सर्दी के लक्षणों के इलाज के लिए फिक्स्ड-ड्रग कॉम्बिनेशन (एफडीसी) आधारित दवाओं का उपयोग चार साल से कम उम्र के बच्चों में नहीं किया जाना चाहिए.
कई देशों में भारतीय कफ सीरप के कथित दुष्प्रभावों की रिपोर्ट्स आने के बाद सरकार ने कफ सीरप निर्यातकों के लिए विदेश भेजने के पहले उनकी दवा का सरकारी लैब में टेस्ट अनिवार्य कर दिया था. अब सरकारी परीक्षण में सामने आया है कि 54 भारतीय दवा निर्माताओं के 6% कफ सीरप मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाए गए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फिर एक भारतीय दवा 'कोल्ड आउट सिरप' के ख़िलाफ़ अलर्ट जारी किया है. अलर्ट में कहा गया है कि इराक को निर्यात की गई इस दवा में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल स्वीकार्य स्तर से अधिक मिला है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं और मौत की वजह बन सकता है.
वीडियो: भारतीय कंपनी मेडन फार्मा की दवाइयों से गांबिया में सत्तर बच्चों की मौत की पुष्टि करने वाली एक और रिपोर्ट सामने आई है. गांबिया सरकार लगातार मेडन फार्मा और निर्यातक अटलांटिक फार्मा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की बात कह रही. वहीं, बीते दिनों भारतीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बच्चों की मृत्यु डायरिया से हुई थी.
बीते 16 जून को श्रीलंका के स्थानीय मीडिया ने बताया कि अस्पताल में इलाजरत एक मरीज़ की मौत भारत निर्मित एनेस्थेटिक दवा दिए जाने के बाद हुई. इससे पहले अप्रैल में भी भारतीय एनेस्थेटिक दवा दिए जाने के बाद एक गर्भवती महिला की मौत का मामला सामने आया था.
गांबिया में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि भारतीय कंपनी मेडन फार्मा की दवाइयों में मौजूद टॉक्सिन वहां सत्तर बच्चों की मौत की वजह थे. ऐसा निष्कर्ष देने वाली यह चौथी रिपोर्ट है. भारत सरकार अब तक उक्त दवाओं में टॉक्सिन की मौजूदगी की बात से इनकार करती रही है.
अक्टूबर 2022 में डब्ल्यूएचओ ने बताया था कि हरियाणा की मेडन फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाई गईं खांसी की चार दवाओं में डायथिलिन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल नामक पदार्थ पाए गए हैं, जो मनुष्यों के लिए ज़हरीले माने जाते हैं और इससे गांबिया में 66 बच्चों की मौत हुई है. हालांकि, भारत ने अपनी जांच में दवा निर्माता कंपनी को क्लीनचिट दे दी थी.
नोएडा स्थित दवा निर्माता कंपनी मैरियन बायोटेक के कफ सीरप के परिणामस्वरूप कथित तौर पर दिसंबर 2022 में मध्य एशियाई देश उज़्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हो गई थी. इसी संबंध में यह कार्रवाई की गई है.
उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर स्थित मैरियन बायोटेक कंपनी, उज़्बेकिस्तान में 18 बच्चों की कथित तौर पर कंपनी की खांसी की दवा का सेवन करने के बाद हुई मौत को लेकर सवालों के घेरे में है. औषधि निर्यात संवर्धन परिषद (फार्मेक्सिल) ने कहा है कि इस घटनाक्रम से भारतीय फार्मा उद्योग की प्रतिष्ठा ख़राब हुई है.
उज़्बेकिस्तान ने कहा है कि भारत निर्मित खांसी की दवा ‘डॉक-1 मैक्स’ में परीक्षण के दौरान विषाक्त एथिलीन ग्लाइकॉल रसायन पाया गया है. इस दवा का निर्माण नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक कंपनी करती है. भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि कंपनी की विनिर्माण इकाई की निरीक्षण रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
वीडियो: बीते अक्टूबर में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत का संभावित कारण हरियाणा की मेडन फार्मास्युटिकल्स कंपनी की दवाओं को बताया गया था. अब गांबिया की संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस दावे की पुष्टि की है. मामले पर विस्तार में बता रही हैं द वायर की बनजोत कौर.
बीते अक्टूबर महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत का संभावित कारण हरियाणा की मेडन फार्मास्युटिकल्स कंपनी की दवाओं को बताया गया था. इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने कहा कि इसने देश की दवा नियामक एजेंसी की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत का संभावित कारण हरियाणा के सोनीपत स्थित मेडन फार्मास्युटिकल्स कंपनी की दवाओं को बताया गया था. अब राज्य सरकार ने कंपनी के दवा निर्माण पर रोक का आदेश जारी किया है. स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि दवा कंपनी की इकाई में कई उल्लंघनों के कारण यह कार्रवाई की गई है.
वीडियो: डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़, गांबिया में 66 बच्चों की मौत संभवतः भारत की दवा कंपनी द्वारा बनाए हुए कफ सीरप के दूषित होने के चलते हुई. भारत ने इसकी जांच की बात कही है लेकिन ऐसे पर्याप्त सबूत मौजूद हैं जो बताते हैं कि औषधीय एजेंसियों ने कंपनी के बारे में कई पूर्व चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया था.