प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री) योजना का हिस्सा बनने से दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल द्वारा इनकार करने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत उन्हें मिलने वाले फंड को रोक दिया है. दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल की क्रमश: क़रीब 330 करोड़, 515 करोड़ और 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि रोक दी गई है.
छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने 23 जून को सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए अनिवार्य परीक्षा- सीजी-टीईटी आयोजित की थी. कांग्रेस का आरोप है कि धमतरी ज़िले के एक केंद्र में कई अभ्यर्थी उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध कराने में देरी और अतिरिक्त समय न दी जाने के कारण परीक्षा पूरी नहीं कर पाए.
गुजरात सरकार ने विधानसभा में बताया कि गुजरात शिक्षा विभाग में प्रशासनिक अधिकारियों के 1,400 से अधिक पद दिसंबर 2023 तक खाली पड़े थे. अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक पटेल ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा के तहत राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता तेज़ी से गिर रही है और यह अन्य राज्यों की तुलना में कहीं नहीं खड़ा है.
उत्तराखंड राज्य शिक्षा विभाग द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्य में प्रिंसिपल के स्वीकृत पदों में से 67 प्रतिशत से अधिक ख़ाली हैं. इस पद पर नियुक्ति केवल प्रमोशन के ज़रिये ही हो सकती है और पिछले चार सालों में ऐसा कोई प्रमोशन नहीं हुआ है.
झारखंड के लातेहार ज़िले में अभिभावकों और छात्रों ने एक शिक्षक स्कूलों वाले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार शिक्षकों की पोस्टिंग की मांग की. इस अधिनियम के तहत प्रत्येक स्कूल में कम से कम दो शिक्षक और प्रत्येक 30 बच्चों के लिए कम से कम एक शिक्षक होना चाहिए.
10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा के मद्देनज़र हरियाणा शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों से कहा है कि वे बच्चों के घर पर अध्ययन का अनुकूल माहौल बनाने के लिए ग्राम पंचायतों से संपर्क करें. इस तरह के प्रयास करें कि गांवों में सुबह के समय पढ़ाई का माहौल बने.
अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में को लेकर उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण से यह प्रदर्शित होता है कि वंचित और आदिवासी बच्चे शिक्षा विभाग द्वारा असहाय छोड़ दिए गए. स्कूल दो साल बंद रहे, लेकिन बच्चों के लिए कुछ नहीं किया गया. इस दौरान ऑनलाइन शिक्षा केवल मज़ाक बन कर रह गई, क्योंकि सरकारी स्कूलों में 87 प्रतिशत छात्रों की पहुंच स्मार्टफोन तक नहीं थी.
यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, मेघालय, ओडिशा, तेलंगाना और त्रिपुरा में 80 से 85 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा गया कि ग़रीब पृष्ठिभूमि की 11 से 18 साल की छात्राओं को शिक्षा हासिल करने में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है. मासिक धर्म के बारे में व्याप्त मिथक के कारण लाखों लड़कियों को या तो जल्द ही स्कूल छोड़ना पड़ता है या फिर इस अवधि के दौरान उन्हें अलग-थलग रहना पड़ता है.
बीते दिनों राज्य मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि शैक्षणिक वर्ष 2023 से सभी सरकारी और प्रांतीय असमिया और अन्य स्थानीय माध्यम के स्कूलों में कक्षा तीन से गणित और विज्ञान अंग्रेज़ी में पढ़ाए जाएंगे. साहित्य व छात्र संगठनों का कहना है कि हालिया आदेश मातृभाषा में पढ़ाई कराने वाले स्कूलों और अंतत: असमी, बोडो व राज्य की अन्य भाषाओं के लिए मौत का फ़रमान साबित होंगे.
उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर ज़िले के रहने वाले पत्रकार पवन जायसवाल मुंह के कैंसर से पीड़ित थे. अगस्त 2019 में ज़िले के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में बच्चों को ‘नमक-रोटी’ परोसे जाने का मामला उजागर करने के बाद वह चर्चा में आए थे. हालांकि इस ख़बर को सामने लाने के बाद ज़िला प्रशासन ने उनके ख़िलाफ़ ही एफ़आईआर दर्ज करा दी थी.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूलों में महत्वपूर्ण पदों के ख़ाली होने पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. आम आदमी पार्टी सरकार ने कहा कि उन्हें इस बारे में केंद्र से संपर्क करना चाहिए क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सेवा विभाग द्वारा की जाती है जो सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है.
मिज़ोरम सरकार ने 31 अगस्त के अपने पत्र में राज्य के शिक्षा अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश देने का निर्देश दिया है. इस साल फरवरी में म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद इन्हें भागने को मजबूर होना पड़ा था. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, मिज़ोरम आए इन शरणार्थियों की संख्या 9,450 है.
संसद में हाल ही में पेश एक स्थायी संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि सिर्फ आठ राज्यों ने अपने सभी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित की है. समिति ने शिक्षा मंत्रालय से 2021-22 के अंत तक हर शैक्षणिक संस्थान में नल से जल मिशन के तहत सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा है.
पिछले साल दो अक्टूबर को स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक नल से पानी पहुंचाने के लिए 100 दिन के अभियान की शुरुआत की गई थी. यह अभियान जल जीवन मिशन का हिस्सा था. हालांकि 100 दिवसीय अभियान शुरू करने के 10 महीने बाद भी सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो सकी है.