गुजरात हाईकोर्ट ने हत्या से जुड़े एक मामले में आरोपी और मृतक के बेटे के बीच हुए 'समझौते' के आधार पर आरोपी को ज़मानत दी थी, जिसके ख़िलाफ़ वारदात में घायल हुए एक व्यक्ति शीर्ष अदालत पहुंचे थे. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा इस आदेश को चुनौती न देने को लेकर भी सवाल उठाया.
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गुजरात सरकार ने हाल ही में गुजरात कॉमन यूनिवर्सिटीज़ बिल के मसौदे की घोषणा की है, जिसे अगले महीने विधानसभा में पेश किया जा सकता है. इसे शिक्षा का 'सरकारीकरण' और स्वायत्तता को ख़तरा क़रार देते हुए छात्रों और शिक्षक संघ इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बिलक़ीस बानो के बलात्कार के दोषियों की समय-पूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनते हुए कहा कि गुजरात सरकार का यह कहना कि सभी क़ैदियों को सुधरने का मौका मिले, सही है लेकिन क्या सभी मामलों में ऐसा किया जाता है.
इससे पहले गुजरात के दो विधायकों ने मांग की थी कि गुजरात विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2009 में बदलाव किया जाए ताकि प्रेम विवाह को उसी तालुका में स्थानीय गवाहों की उपस्थिति में और माता-पिता की सहमति से पंजीकृत किया जा सके, जहां लड़की रहती है.
नरेंद्र मोदी की छवि को ख़राब करने वालीं तीस्ता सीतलवाड़ अकेली नहीं हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारतीय चुनाव आयोग जैसे स्वतंत्र संस्थानों ने भी अतीत में गुजरात हिंसा और मुख्यमंत्री के रूप में मोदी द्वारा चलाई गई सरकार की भूमिका पर कड़ी टिप्पणियां की थीं.
‘स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2023’ नामक रिपोर्ट में गुजरात में इंटरनेट यूज़र्स के व्यवहार को जांचा-परखा गया. इसके तहत किए गए एक सर्वे में सामने आया कि राज्य में 33 फीसदी लोगों को राजनीतिक या सामाजिक राय ऑनलाइन साझा करने पर क़ानूनी कार्रवाई का डर सताता है. वहीं, अन्य 46 फीसदी ने कहा कि वे ‘कुछ हद तक डरे हुए’ हैं.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, शहरी आबादी वाले चार प्रमुख जिलों अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट में 2015-16 से 2020-21 तक की अवधि के दौरान कुछ आदिवासी ज़िलों की तुलना में बच्चों में बौनापन, कमज़ोरी, गंभीर कुपोषण और कम वज़न के मामलों में तेज़ वृद्धि देखी गई.
गुजरात के तापी ज़िले में मिंडोला नदी पर इस पुल का निर्माण किया गया था. अधिकारियों ने बताया कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं और निर्माण में शामिल तीन इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया है. वहीं कांग्रेस ने कहा कि लोग भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार मॉडल से तंग आ चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला यह उन शिकायतों के जवाब में दिया, जिसमें कहा गया था कि मामले के एक दोषी को नोटिस नहीं दिया जा सका, क्योंकि वह अपने पते पर नहीं मिला. आरोप है कि बचाव पक्ष सुनवाई को टालने की कोशिश कर रहा है. बिलक़ीस ने दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
सुप्रीम कोर्ट बिलक़ीस बानो के बलात्कार के दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाइयों में दोषियों की सज़ा माफ़ी से संबंधित फाइलें सरकार ने अदालत के समक्ष रखने से इनकार कर दिया था, लेकिन अब वह राज़ी हो गई है.
वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट पर मूल फाइलों को रिकॉर्ड पर रखने को लेकर अनिच्छा दिखाते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने बीते मंगलवार को इस सूचना पर विशेषाधिकार का दावा किया है. कांग्रेस ने सवाल किया कि सरकार क्या छिपाने की कोशिश कर रही है.
बिलक़ीस बानो के बलात्कार के दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि समय से पहले दोषियों को रिहा करने से पहले अपराध की गंभीरता पर विचार किया जाना चाहिए.
बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों को अगस्त 2022 में गुजरात सरकार की क्षमा नीति के तहत रिहा कर दिया गया था. उनमें से एक शैलेश भट्ट भी थे, जो बीते शनिवार को एक सरकारी कार्यक्रम में भाजपा सांसद जसवंतसिंह भाभोर, उनके भाई और भाजपा विधायक शैलेश भाभोर के साथ मंच पर मौजूद थे.
गुजरात की भाजपा सरकार ने बीते 21 मार्च को गुजरात विधानसभा में उठाए गए कई सवालों के जवाब में ये आंकड़े प्रस्तुत किए हैं. इस दौरान अमरेली ज़िले में सबसे अधिक 425 परिवार बीपीएल सूची में शामिल किए गए हैं.