रुड़की में बुधवार को धर्म संसद का आयोजन होने वाला है, जिसके संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव से कहा है कि हेट स्पीच की स्थिति बनने पर उन्हें कोर्ट के कहे बिना तत्काल कार्रवाई करनी होगी.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो दिन पहले ही पुलिस को सत्यापन अभियान के तहत ऐसे लोगों की पृष्ठभूमि का पता लगाने का निर्देश दिया था, जो अन्य राज्यों से आकर राज्य में बस गए हैं. कांग्रेस ने सरकार के इस अभियान को एक विशेष समुदाय के ख़िलाफ़ बताया है.
हरिद्वार के हिंदू नेताओं की शंकराचार्य परिषद ने 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर मांग की थी कि ग़ैर-हिंदुओं को चार धाम मंदिरों में प्रवेश करने से रोका जाए. अब मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा अभियान चलाया जाएगा कि तीर्थ यात्रा के लिए बाहर से आने वालों का उचित सत्यापन हो और जिनका सत्यापन नहीं हुआ है, वे स्वयं आकर कराएं.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव, लुइजिन्हो जोआकिम फ्लेरियो और मोहम्मद नदीमुल हक़ के साथ बढ़ती कीमतों और मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषणों के साथ पत्रकारों के उत्पीड़न का मसला उठाया था.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के एक दल ने अमरोहा, मुरादाबाद और रामपुर ज़िले में भाजपा के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से अभियान चलाया है. मंच की ओर से कहा गया कि संघ या सरकार का ऐसे धर्म संसद से कोई नाता नहीं है और संगठन इसका समर्थन नहीं करता तथा धर्म संसद में दिए गए बयानों की निंदा करता है.
हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित ‘धर्म संसद’ कार्यक्रमों में नफ़रती भाषणों के ख़िलाफ़ दायर याचिका का विरोध करते हुए दो दो दक्षिणपंथी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी याचिकाएं दायर की है. दोनों ने शीर्ष अदालत से उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाने की अपील की है. एक हिंदू संगठन ने पूर्व में मुस्लिम नेताओं द्वारा हिंदुओं के ख़िलाफ़ दिए गए ऐसे ही भाषण के लिए हिंदुओं को समान सुरक्षा दिए जाने की मांग की है.
वीडियो: अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण, लक्षित हमलों और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके उत्पीड़न के बढ़ते मामलों पर आरफा खानम शेरवानी मुसलमानों के अधिकारों, समुदाय में असुरक्षा और अन्य मुद्दों पर चर्चा कर रही हैं.
हरिद्वार में बीते दिसंबर महीने में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने के अलावा उनके नरसंहार का भी आह्वान किया गया था. यति नरसिंहानंद इसके आयोजक थे. इससे पहले उन्हें महिलाओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
उत्तराखंड के विभिन्न ज़िलों में भीड़ हिंसा और नफ़रत की राजनीति के विरोध में लोगों ने प्रदर्शन करते हुए राज्य में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बढ़ रहे अपराधों पर चिंता जताई है. कोरोना की पहली लहर में सरकार ने ताली-थाली बजवाई थी, उसी तर्ज पर इस दौरान कनस्तर बजाकर नारे लगाए गए और हिंसा ख़त्म करने की अपील की गई. साथ में नारे लिखे पोस्टर दिखाकर सरकार के प्रति अपना रोष व्यक्त किया गया.
आईआईटी के सौ से अधिक पूर्व छात्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पत्र लिखकर कहा है कि हम आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहे हैं, लेकिन देश पर संकट के काले बादल मंडराते नज़र आ रहे हैं.
हरिद्वार में बीते दिसंबर महीने में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने के अलावा उनके नरसंहार का भी आह्वान किया गया था. यति नरसिंहानंद इसके आयोजक थे. इससे पहले उन्हें महिलाओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि जब धर्माचार्यों की बात करो, तो धर्माचार्य केवल हिंदू धर्माचार्य नहीं होते हैं, मुस्लिम भी होते हैं और ईसाई भी? और कौन-कौन क्या बातें कर रहा है, उन बातों को एकत्र करके सवाल करिए. हर सवाल का जवाब दूंगा.
हरिद्वार में 17-19 दिसंबर के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं और कट्टरपंथियों द्वारा आयोजित ‘धर्म संसद’ में कथित तौर पर मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों को ख़िलाफ़ खुलकर नफ़रत भरे भाषण दिए गए, यहां तक कि उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया. इसके बाद छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी इसी तरह का आयोजन हुआ था.
हरिद्वार में कई अखाड़ों ने मिलकर 28 दिसंबर को 21 धार्मिक नेताओं की एक कोर समिति का गठन किया है. धार्मिक नेताओं ने बताया कि उन्होंने भारत को 'हिंदू राष्ट्र' में बदलने के अपने अभियान को तेज़ करने का भी फ़ैसला किया है. अब आगे इस तरह की तीन और धर्म संसद अलीगढ़, कुरुक्षेत्र और शिमला में होंगी.