जो जनता के हित में अप्रिय सत्य बोलता है, सत्ता उसे जनता का दुश्मन घोषित कर देती है

कोलकाता में हुए एक फिल्म समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन का सत्यजीत रे की 'गणशत्रु' ज़िक्र करते हुए लगाया गया अनुमान ठीक है कि आज जनता के लिए आवाज़ उठाने वाले रे की फिल्म के 'डॉक्टर गुप्ता' ही हैं, जो जनता को सावधान करना चाहते हैं, मगर सत्ता सफल हो जाती है कि जनता उन्हें ही अपना शत्रु मानकर उनकी हत्या को आमादा हो जाए.

आज हिंदी मध्यवर्ग का असली राजनीतिक प्रतिपक्ष हिंदी साहित्य ही है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: आम तौर पर मध्यवर्ग में प्रवेश ज्ञान के आधार पर होता आया है पर यही वर्ग इस समय ज्ञान के अवमूल्यन में हिस्सेदार है. एक ओर तो वह अपनी मातृभाषा से लगातार विश्वासघात कर रहा है, दूसरी ओर हिंदी को हिंदुत्व की, यानी भेदभाव और नफ़रत फैलाने वाली विचारधारा की राजभाषा बनाने पर तुला है.

फ़ासीवादियों की देशभक्ति नहीं, उनकी दूसरों से घृणा उन्हें परिभाषित करती है

आरएसएस को फ़ासीवादी संगठन कहने पर कुछ लोग नाराज़ हो उठते हैं. उनका तर्क है कि वह देशभक्त संगठन है. क्या देश में रहने वाली आबादियों के ख़िलाफ़ घृणा पैदा करते हुए, उनके ख़िलाफ़ हिंसा करते हुए देशभक्ति की जा सकती है?

श्रीकांत वर्मा: तुम जाओ अपने बहिश्त में, मैं जाता हूं अपने जहन्नुम में

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: श्रीकांत वर्मा ने कहा था कि ‘कैंसर से मरती हैं हस्तियां/हैजे से बस्तियां/वकील रक्तचाप से/कोई नहीं मरता/अपने पाप से.' क्या हम आज ऐसे ही नीति-शून्य लोकतंत्र में नहीं रह रहे हैं? कवि आपको किसी नरक या पाप से मुक्ति नहीं दिला सकता: वह उसकी शिनाख़्त करने का साहस भर दे सकता है.

मुक्ति की अनथक आकांक्षा

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: धूमिल ने दशकों पहले ‘दूसरे प्रजातंत्र’ की बात की थी, हमें अब अपना पुराना, भले अपर्याप्त, लोकतंत्र चाहिए. वह हमें पूरी तरह से मुक्त नहीं करेगा पर उस ओर बढ़ने की ऊर्जा, अवसर और साहस तो देगा.

जीवन के ज़रूरी मुद्दों को लेकर अप्रासंगिक होती बहसें

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: ग़रीबी, बेरोज़गारी, कुपोषण, शिक्षा का लगातार गिरता स्तर, बढ़ती विषमता, रोज़-ब-रोज़ बढ़ाई जा रही हिंसा-घृणा, असह्य हो रही महंगाई आदि मुद्दों पर बहस ‘सबका साथ सबका विकास’ जैसे जुमले का खोखलापन उजागर कर देगी, इसलिए उन्हें बहस से बाहर रखना सत्ता की सुनियोजित रणनीति है.

सार्वजनिक जीवन में असहमति को राज्य के विरुद्ध षड्यंत्र माना जाने लगा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: जो ख़ुद षड्यंत्र करता है वह यह मानकर चलता है कि जो उसके साथ नहीं है या उससे असहमत है वह भी षड्यंत्र कर रहा है.

साहित्य उम्मीद की विधा है क्योंकि यह यथार्थ, क्रूर वर्तमान का सामना करने का साहस करता है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: इस समय की प्रचलित टेक्नोलॉजी और प्रविधियां तेज़ी और सफलता से यथार्थ को तरह-तरह से रचती रहती हैं. इस रचे गए यथार्थ का सच्चाई से संबंध अक्सर न सिर्फ़ क्षीण होता है बल्कि ज़्यादातर वे मनगढ़ंत और झूठ को यथार्थ बनाती हैं. हमारे समय में राजनीति, धर्म, मीडिया आदि मिलकर जो मनोवांछित यथार्थ रच रहे हैं उसका सच्चाई से कोई संबंध नहीं होता. इस यथार्थ को प्रतिबिंबित करना झूठ को मानना और फैलाना होगा.

उदयपुर हत्या के बहाने समाज बांटने की कोशिश करने वालों से सावधान रहना ज़रूरी है

उदयपुर में हुई नृशंसता के बावजूद इस प्रचार को क़बूल नहीं किया जा सकता कि हिंदू ख़तरे में हैं. इस हत्या के बहाने जो लोग मुसलमानों के ख़िलाफ़ घृणा प्रचार कर रहे हैं, वे हत्या और हिंसा के पैरोकार हैं. यह समझना होगा कि एक सुनियोजित षड्यंत्र चलाया जा रहा है कि किसी घटना पर हिंदू, मुसलमान एक साथ एक स्वर में न बोल पाएं. 

देश की छवि की चिंता में दुबले हो रहे भाजपाई इसे सुधारने के लिए क्या कर रहे हैं

अगर संघ परिवारी सत्ताधीश और उनके समर्थक समझते हैं कि देश की छवि मध्य प्रदेश में भाजपाइयों द्वारा मोहम्मद होने के संदेह में भंवरलाल को पीट-पीटकर मार दिए जाने से नहीं, बल्कि राहुल गांधी द्वारा लंदन में यह चेताने से ख़राब होती है कि भाजपा ने देश में इस तरह मिट्टी का तेल फैला दिया है कि एक चिंगारी भी हमें बड़ी मुसीबत में डाल सकती है, तो उन्हें भला कौन समझा सकता है!

गंगा-जमुनी तहज़ीब रिवाज नहीं आत्मसात करने की बात है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

हापुड़ ज़िले में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के समर्थकों के बीच हिंसा भड़काने के एक आरोपी को ज़मानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि गंगा जमुनी तहज़ीब की संस्कृति महज़ मतभेदों को बर्दाश्त करना नहीं है, बल्कि यह विविधता को आत्मसात करने की चीज़ है.

गाय का दूध बेचने वाले मुस्लिम परिवार पर कौन कर रहा है हमला?

वीडियो: आजीविका के लिए दूध बेचने वाले एक मुस्लिम डेयरी किसान के साथ कथित गोरक्षकों द्वारा मारपीट और बदसलूकी करने का मामला सामने आया है. उनका आरोप है कि डेयरी किसान हरियाणा के शेखपुर गांव में गाय का मांस बेच रहे थे.

नफ़रत के दिनों की ईद ज़्यादा खुले दिल से मनाई जानी चाहिए…

हमारी दुनिया में कितनी भी मायूसी हो, चाहे जितनी भी नफ़रत पैदा की जा रही हो, उम्मीद और प्रेम के उजालों में चलकर ही कहीं पहुंचा जा सकता है.

जामिया शूटर गोपाल ज़मानत पर, गोरक्षा के नाम पर लोगों को धमकाना जारी

वीडियो: जामिया शूटर रामभक्त गोपाल हाल ही में सोशल मीडिया पर तब सुर्खियों में आ गए, जब उन्होंने गो तस्करी के संबंध में एक पोस्ट शेयर किया. इस वीडियो में एक व्यक्ति को लोगों को बंदूक दिखाते देखा जा सकता है. इस पर लिखा है, ‘गोरक्षा दल, मेवात रोड, हरियाणा’ और इसी तरह के कई पोस्ट हैं.

नफ़रत, कट्टरता, असहिष्णुता और झूठ हमारे देश को निगलते जा रहे हैं: सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक अंग्रेज़ी अख़बार के लिए लिखे अपने लेख में कहा है कि भारतीयों को भारतीयों के ख़िलाफ़ ही खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. सत्तासीन लोगों की विचारधारा के विरोध में सभी असहमतियों और राय को बेरहमी से कुचलने की कोशिश की जाती है. राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जाता है और उनके ख़िलाफ़ पूरी सरकारी मशीनरी की ताकत झोंक दी जाती है.