भारतीय उपमहाद्वीप में हर दूसरे रोज़ आहत हो रही भावनाओं पर बात करने का हक़ किसे है?

पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक भारतीय उपमहाद्वीप में आए दिन किसी न किसी की आहत भावनाओं की बात होती रहती है और उसकी स्वाभाविक प्रतिकिया के तौर पर उत्पाती समूहों द्वारा इसका बदला लेने के लिए की गई हिंसा की ख़बर आती रहती है, लेकिन सवाल है कि आख़िर किसकी भावनाएं आहत होती हैं?

ऑस्ट्रेलिया के दो और विश्वविद्यालयों ने कुछ भारतीय राज्यों के छात्रों के दाख़िले पर रोक लगाई

एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के छात्रों को अब ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य में स्थित फेडरेशन यूनिवर्सिटी और न्यू साउथ वेल्स में वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी द्वारा प्रवेश नहीं दिया जाएगा. इससे पहले पांच विश्वविद्यालय इसी तरह का क़दम उठा चुके हैं.

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री: ऑस्ट्रेलियाई सांसद-कार्यकर्ता बोले, भारत में सच बोलना अपराध हो सकता है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑस्ट्रेलिया दौरे के समय वहां के संसद भवन में गुजरात दंगों में उनकी भूमिका रेखांकित करने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई. इसके बाद हुई एक चर्चा में ऑस्ट्रेलियाई ग्रीन्स सीनेटर ने भारत में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर वहां के प्रधानमंत्री द्वारा मोदी से बात न करने पर चिंता जताई.

कीवी का कड़वा स्वाद: इटली में पंजाब के युवाओं के शोषण की कहानी

वीडियो: हर साल हज़ारों की संख्या में पंजाब के युवा बेहतर भविष्य की तलाश में अवैध तरीकों से सीमाएं पार करते हुए विदेशों में पहुंचते हैं. लेकिन अक्सर उनके सपने सच नहीं होते. द वायर ने 5 रिपोर्ट्स के ज़रिये पंजाब से इटली के कीवी फार्म्स में पहुंचने के बाद शोषण का शिकार होते युवाओं की व्यथा दर्ज की है. इससे जुड़ीं एक रिपोर्टर कुसुम अरोड़ा से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.

शेयर मार्केट में लिस्टिंग के बाद एलआईसी के शेयर 40% गिरने पर कांग्रेस ने मोदी-अडानी पर सवाल उठाए

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि एक साल पहले एलआईसी को शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध किया गया था, तब बाज़ार पूंजीकरण 5.48 लाख करोड़ रुपये था. आज यह भारी गिरावट के साथ 3.59 लाख करोड़ रुपये हो गया है! 

कनाडा में असली ख़ालिस्तानी कुछ ही हैं, भारत को उन्हें नज़रअंदाज़ करना चाहिए: कनाडा के पूर्व मंत्री

ऑडियो: कनाडा के स्वास्थ्य मंत्री रहे उज्जल दोसांझ ने द वायर से बातचीत में उनके राजनीति में उतरने की परिस्थितियों के बारे में बताया. उन्होंने यह भी जोड़ा कि सिख समुदाय में बढ़ते कट्टरपंथ की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ा.

साल 2022 में दुनियाभर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची

आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र और नॉर्वेन रिफ्यूजी काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन युद्ध और पाकिस्तान में तबाही मचाने वाली मानसूनी बाढ़ के बीच साल 2022 में रिकॉर्ड 60.9 मिलियन नए विस्थापन दर्ज किए गए. यह 2021 में हुए विस्थापन की तुलना में 60 फीसदी अधिक है.

समाज का काम कभी-कभी साहित्य के बिना चल सकता है, पर साहित्य का समाज के बिना नहीं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: साहित्य उन शक्तियों में से नहीं रह गया जो मानवीय स्थिति को बदल सकती हैं- फिर भी हमें ऐसा लिखना चाहिए मानो कि हमारे लिखने से स्थिति बदल सकती है.

भारत के प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में गिरावट शर्मिंदगी भरी, पर उनके लिए जिनमें शर्म हो: पी. साईनाथ

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 में भारत 11 स्थान फिसला है. पिछले साल कुल 180 देशों में यह 150वें पायदान पर था, इस साल यह 161वें स्थान पर पहुंच गया है.

रंजीत गुहा: जिन्होंने इतिहास को आम लोगों के अतीत का आख्यान बनाया

स्मृति शेष: इतिहासकार रंजीत गुहा नहीं रहे, पर उनकी तमाम कृतियां, लेख और व्याख्यान पढ़ने वालों को भारतीय इतिहास के बारे में नए सिरे से सोचने के औजार देते हैं और आगे भी देते रहेंगे.  

…नरक तुम्हारे भीतर है वह

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अज्ञेय द्वारा लिखित एकमात्र नाटक ‘उत्तर प्रियदर्शी’ सम्राट अशोक द्वारा पाटिलपुत्र में स्थापित नरक की कथा को लेकर था. इस नाटक, उसके मूल अभिप्राय की वर्तमान भारत के लिए प्रासंगिकता बिल्कुल स्पष्ट है. 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 11 स्थान फिसला, 180 देशों में 161वें स्थान पर

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 में भारत के संदर्भ में कहा गया है कि सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के ख़िलाफ़ मानहानि, राजद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालने के आरोप बढ़ रहे हैं. पिछले साल इस सूचकांक में भारत 150वें पायदान पर था.

धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की टिप्पणियों को भारत ने ‘पक्षपाती और प्रेरित’ बताया

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने लगातार चौथे वर्ष भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ के रूप में नामित करने का सिफ़ारिश की है. भारत ने रिपोर्ट को ‘पक्षपातपूर्ण’ बताते हुए आयोग से ऐसे प्रयासों से दूर रहने और भारत की अनेकता, लोकतांत्रिक लोकाचार की बेहतर समझ विकसित करने को कहा है.

अमेरिकी आयोग ने चौथी बार भारत को ‘विशेष चिंता वाले’ देशों की सूची में रखने की सिफ़ारिश की

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बिगड़ती रही. राज्य और स्थानीय स्तर पर धार्मिक रूप से भेदभावपूर्ण नीतियों को बढ़ावा दिया गया.

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