पत्रकार राना अयूब के जिस ट्वीट पर रोक लगाई गई है, वह 9 अप्रैल, 2021 को पोस्ट किया गया था, जिसमें उन्होंने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने के निचली अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ में इस फैसले को ‘एक और मस्जिद के विध्वंस के लिए मंच’ के रूप में वर्णित किया था.
उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ और आपत्तिजनक पोस्ट डालने के आरोप में काकादेव इलाके से गिरफ़्तार व्यक्ति की पहचान गौरव राजपूत के रूप में हुई है. वहीं, राज्य के बलिया ज़िले में पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में पुलिस ने एक अन्य युवक को भी गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया है.
कानपुर पुलिस ने बुधवार को कानपुर हिंसा के सिलसिले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े तीन लोगों को गिरफ़्तार किया. इन तीनों को 2019 में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भी गिरफ़्तार किया गया था. इस बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना हक़ीमुद्दीन क़ासमी ने कानपुर का दौरा किया और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की. कानपुर हिंसा के संबंध में एकतरफ़ा कार्रवाई पर उन्होंने गंभीर चिंता व्यक्त की.
कानपुर में 3 जून को भाजपा की अपदस्थ प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादित टिप्पणी के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी. मामले में पुलिस द्वारा भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व ज़िला इकाई सचिव हर्षित श्रीवास्तव को सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है.
मीडिया आउटलेट ‘मिल्लत टाइम्स’ के संपादक शम्स तबरेज़ क़ासमी ने उन पर लगे आरोपों को आधारहीन बताते हुए कहा है कि यूपी पुलिस की उन्हें चुप कराने की यह कोशिश काम नहीं आएगी. वे सत्ता से सवाल पूछने के लिए पत्रकारिता करते रहेंगे.
वीडियो: गुजरात के वडगाम से कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े एक ट्वीट के संबंध में असम पुलिस ने बीते दिनों गिरफ़्तार कर लिया था. इस मामले में ज़मानत पर रिहा होने के बाद मेवाणी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े एक ट्वीट के कारण असम पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के बाद रिहा किए गए विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ दर्ज मामले गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें ‘बदनाम करने’ की ‘पूर्व नियोजित साज़िश’ का हिस्सा थे. उन्होंने इसे ‘56 इंच का कायरतापूर्ण’ कृत्य क़रार दिया. उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ़्तारी के पीछे पीएमओ में बैठे कुछ गोडसे भक्त थे.
गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को कथित तौर पर प्रधानमंत्री से जुड़े एक ट्वीट के संबंध में असम पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था. इस मामले में ज़मानत पर रिहा होने के बाद मेवाणी ने कहा कि भाजपा और आरएसएस फासीवादी हैं. जब ऐसी मान्यताओं वाले लोग सत्ता में आते हैं तो उनके सभी प्रयास लोकतंत्र को ख़त्म करने की ओर होते हैं. उन्होंने कहा कि इसी मानसिकता के कारण उन्हें एक फ़र्ज़ी मामले में फ़ंसाया गया.
गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले ट्वीट से जुड़े मामले में ज़मानत मिलने के तुरंत बाद 25 अप्रैल को फिर से गिरफ़्तार किया गया था. आरोप है कि जब वे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ गुवाहाटी से कोकराझार जा रहे थे तो उन्होंने महिला अधिकारी से मारपीट की.
गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित आलोचना से संबंधित एक ट्वीट के मामले में ज़मानत मिलने के तुरंत बाद ही एक महिला पुलिसकर्मी के हवाले से गंभीर आरोप लगाते हुए असम पुलिस ने फ़िर गिरफ़्तार कर लिया है.
जिग्नेश मेवाणी गुजरात के बनासकांठा ज़िले की वडगाम सीट से निर्दलीय विधायक चुने गए थे. वह हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं. गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने मेवाणी की गिरफ़्तारी को ‘अलोकतांत्रिक और अवैध’ बताया है. पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने सिर्फ एक दृष्टिकोण रखा है कि प्रधानमंत्री शांति की अपील कर सकते हैं. अगर प्रधानमंत्री दुनिया में कहीं और इसकी अपील कर रहे हैं, तो वह अपने देश के लिए ऐसा क्यों नहीं कर सकते?
इंडिया राइटर्स नामक वेबसाइट और मैगज़ीन के संपादक नीलेश शर्मा को एक कांग्रेस नेता की शिकायत पर गिरफ़्तार किया गयाथा. इन नेता का आरोप था कि शर्मा अपने कॉलम में भूपेश बघेल सरकार के ख़िलाफ़ व्यंग्यात्मक लेख लिखते हैं. अब पुलिस ने उनके फोन से अश्लील सामग्री मिलने का दावा करते हुए उन पर वेश्यावृत्ति में शामिल होने का मामला दर्ज किया है.
सीबीआई ने करोड़ों रुपये के व्यापमं घोटाले से संबंधित साल 2013 के प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में धांधली करने के आरोप में 160 और आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र अदालत में दाख़िल किया है. इनमें प्रदेश के तीन निजी मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष भी शामिल हैं. इसके साथ ही इस मामले में अब तक कुल 650 आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र विशेष अदालत में दाख़िल किए जा चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने पांच जुलाई को इस बात पर हैरानी ज़ाहिर की थी कि लोगों के ख़िलाफ़ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए के तहत अब भी मुक़दमे दर्ज हो रहे हैं, जबकि शीर्ष अदालत ने 2015 में ही इस धारा को अपने फैसले के तहत निरस्त कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2015 को आईटी एक्ट की धारा 66ए रद्द कर दिया था. बीते 5 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इसे ख़त्म किए जाने के बावजूद राज्यों द्वारा इस धारा के तहत केस दर्ज किए जाने पर हैरानी जताते हुए केंद्र सरकार नोटिस जारी किया था. इसके ख़िलाफ़ दायर याचिका में कहा गया है कि असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद भी धारा 66ए के तहत दर्ज होने वाले मामलों में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है.