जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा पुलवामा हमले को लेकर मोदी सरकार पर लगाए आरोपों के संबंध में पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी ने कहा है कि पुलवामा में जानमाल के नुकसान की प्राथमिक ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार की है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा सलाह दी जाती है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा केंद्र और प्रधानमंत्री मोदी पर पुलवामा आतंकी हमले को लेकर लगाए गए गंभीर आरोपों को भारतीय मीडिया ने क़रीब-क़रीब अनदेखा कर दिया है. इस पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि ख़बर को दबाने में कोई राष्ट्रीय सुरक्षा हित नहीं है. ऐसी अनदेखी केवल सत्तारूढ़ भाजपा के हित पूरे करती है.
वीडियो: द वायर को दिए एक साक्षात्कार में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल उठाए.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा के अनुसार, वह सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इन आयोगों के गठन का आग्रह करते रहे हैं, लेकिन अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ़ 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली ने ही इनका गठन किया है.
द वायर को दिए एक साक्षात्कार में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल उठाए है. इस संबंध में कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पुलवामा हमले के दौरान प्रधानमंत्री के जिम कॉर्बेट पार्क में एक डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग में व्यस्त होने पर सवाल उठाए हैं.
पत्रकार करण थापर से बात करते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि पुलवामा हमला केंद्रीय गृह मंत्रालय की अक्षमता और लापरवाही का नतीजा था.
जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने द वायर को दिए एक इंटरव्यू में वर्ष 2019 में सीआरपीएफ के क़ाफ़िले पर हुए आतंकी हमले के लिए ख़ुफ़िया तंत्र की विफलता की ओर भी इशारा किया है. इस संबंध में सीआरपीएफ द्वारा कराई गई एक आंतरिक जांच भी कुछ ऐसा ही इशारा करती है.
द वायर को दिए एक इंटरव्यू में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें एक आरोप यह भी है कि वर्ष 2019 में हुआ पुलवामा हमला मोदी सरकार की ‘अक्षमता’ का नतीजा था. कांग्रेस ने पीएम मोदी पर 2019 के आम चुनावों से पहले अपनी छवि को ‘बचाने’ के लिए इस घटना को ‘दबाने’ का आरोप लगाया है.
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद कक्षा 11वीं की किताब से भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के सभी संदर्भों को भी हटा दिया है. कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा इतिहास को फिर से लिखने और झूठ और असत्य पर बनी मनगढ़ंत, विकृत विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए एक ठोस प्रयास किया जा रहा है.
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी ) ने कक्षा 11वीं की राजनीति विज्ञान की नई किताब से जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी वह शर्त हटा दी है, जिसमें इसे स्वायत्त बनाए रखने की बात कही गई थी. इससे पहले एनसीईआरटी इतिहास की किताब से मुग़ल, गुजरात दंगों और महात्मा गांधी पर कुछ संदर्भ हटा चुका है.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती को इस सप्ताह की शुरुआत में अदालती हस्तक्षेप के बाद ‘सशर्त’ पासपोर्ट जारी किया गया था. हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के जवाब में श्रीनगर के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने कहा है कि जम्मू कश्मीर पुलिस सीआईडी उन्हें पासपोर्ट जारी करने के पक्ष में नहीं है.
इस साल 1-2 जनवरी को जम्मू कश्मीर के राजौरी ज़िले के ऊपरी डांगरी गांव में आतंकवादियों द्वारा सात नागरिकों की हत्या मामले में जांच में कोई प्रगति न होने से पीड़ित परिवारों ने नाराज़गी जताई है. परिवारों ने मुआवज़ा राशि और मृतक आश्रित नौकरी छोड़ने की भी बात कही है.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का अधिकारी बनकर जम्मू कश्मीर के दौरे कर रहे गुजरात के ठग किरण पटेल की ठगी का तो पर्दाफ़ाश हो गया है, लेकिन बड़ी ठगी जम्मू कश्मीर में स्थिति को सामान्य रूप में पेश करने की है, जबकि वास्तविक हालात अलग हैं.
इसी मामले में जेल में बंद कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ भी आरोपी हैं. 2020 में दर्ज राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एफ़आईआर में कश्मीर स्थित कुछ एनजीओ पर भारत विरोधी गतिविधियों को प्रायोजित करने के आरोप लगाए गए हैं.
जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड द्वारा भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए ब्लैकलिस्टेड कंपनी ‘एप्टेक लिमिटेड’ को नियुक्त करने के प्रशासन के फैसले को लेकर उपराज्यपाल की आलोचना की जा रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह सरकार लोगों के मुद्दों को हल करने की कोशिश नहीं कर रही है. हम इस बात की जांच चाहते हैं कि एप्टेक को कौन लाया और धोखाधड़ी कहां हुई.