नवंबर 2021 में श्रीनगर के हैदरपोरा में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से एक आमिर लतीफ़ माग्रे भी थे. मुठभेड़ की प्रमाणिकता को लेकर जनाक्रोश के कुछ दिन बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दो मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंपे थे, जिसके बाद माग्रे के परिवार ने भी उनका शव सौंपे जाने की मांग की थी.
वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि 10 दिन में अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि वे अनुच्छेद 370 के बारे में बात नहीं करते, लेकिन वे कहना चाहेंगे कि आज़ाद चुनावी फायदे के लिए लोगों को बेवक़ूफ़ नहीं बनाता.
आरोप था कि नवंबर 2021 में सुरक्षा बलों द्वारा हिजबुल मुज़ाहिदीन के एक आतंकवादी मुदासिर जमाल वागे को मारने के बाद एक शख़्स ने कुलगाम में ग्रामीणों को जनाज़े की नमाज़ के लिए उकसाया था. इसे लेकर 10 लोगों पर केस दर्ज हुआ था और दो पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए थे.
राजौरी ज़िले में सहायक आयुक्त स्तर के एक अधिकारी ने सहकर्मियों के साथ खाना खाते हुए पूछा था कि जब ऋग्वेद में मांसाहार की अनुमति दी गई है तो वो इससे असहमत क्यों हैं. इसे लेकर एक सहकर्मी ने उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाई. ज़िला प्रशासन का कहना है कि इस बयान से क़ानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती थी.
एनजीओ ‘वी द सिटिजंस’ ने एक याचिका में 1989-2003 के दौरान जम्मू कश्मीर में 'हिंदुओं और सिखों के कथित जनसंहार को अंजाम देने वालों की पहचान के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की थी. इससे सुनने से इनकार करते हुए अदालत ने उसे केंद्र तथा उचित प्राधिकार के समक्ष अभ्यावेदन देने को कहा है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की हालिया रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 में कुल 6,533 लोगों की तस्करी होने की जानकारी मिली है, जिनमें से 2,877 बच्चे और 3,656 वयस्क हैं. इसके अलावा तस्करी के 2,189 मामले दर्ज किए गए, जिनमें केवल 16 फीसदी मामलों में दोषसिद्धि साबित हुई.
श्रीनगर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने अपने छात्रों से कहा है कि वे एशिया कप के तहत होने वाले भारत और पाकिस्तान के बीच टी20 क्रिकेट मैच के दौरान अपने-अपने कमरों में रहें और अन्य छात्रों को अपने कमरे में प्रवेश न दें, न ही समूहों में मैच देखें और मैच के संबंध में सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की सामग्री पोस्ट करने से बचें.
कांग्रेस छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि उन्हें नई पार्टी के गठन की घोषणा करने की कोई जल्दी नहीं थी, फिर भी वे जल्द ही इसकी घोषणा करेंगे क्योंकि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं. वहीं, आज़ाद के समर्थन में कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के पांच नेताओं ने भी पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है.
जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में क़रीब 25 लाख नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज होने की उम्मीद है और सूची में शामिल होने के लिए किसी व्यक्ति के पास जम्मू कश्मीर का डोमिसाइल प्रमाण पत्र होना आवश्यक नहीं है.
मंगलवार को शोपियां में आतंकवादियों ने दो कश्मीरी पंडित भाइयों पर हमला किया, जिसमें एक की मौत हो गई. इसके बाद कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के लिए केवल एक ही विकल्प बचा है कि घाटी छोड़ दें या फिर धार्मिक कट्टरपंथियों के हाथों मार डाले जाएं.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद को कांग्रेस ने सूबे में पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख और पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति का सदस्य बनने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने नामंज़ूर कर दिया. आज़ाद पार्टी नेतृत्व के आलोचक 'जी 23' समूह के प्रमुख सदस्य हैं.
शोपियां ज़िले में आतंकवादियों ने दो कश्मीरी पंडित भाइयों पर हमला किया, जिसमें एक की मौत हो गई और एक घायल हैं. वहीं, स्वतंत्रता दिवस की कड़ी सुरक्षा के बावजूद कश्मीर में रविवार और सोमवार को चार हमले हुए, जिनमें दो पुलिसकर्मी मारे गए और दो अन्य लोग घायल हो गए.
बर्ख़ास्त कर्मचारियों में जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी असबाह-उल-अर्ज़मंद ख़ान भी शामिल हैं, जो टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद फ़ारूक़ अहमद डार की पत्नी हैं. चारों कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत बर्ख़ास्त किया गया है, जिसमें सरकार को बिना किसी जांच के अपने कर्मचारी को निष्कासित करने की शक्ति प्राप्त है.
देश में बढ़ती असहिष्णुता का हवाला देकर वर्ष 2019 में सरकारी सेवा से इस्तीफ़ा के बाद अपना राजनीतिक दल बनाने वाले कश्मीरी आईएएस अधिकारी शाह फ़ैसल ने पिछले दिनों नौकरशाही में वापस आने के संकेत दिए थे. इस दौरान वे कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गईं योजनाओं की लगातार सराहना करते देखे जा रहे थे.
जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति पर जारी 'द फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स इन जम्मू एंड कश्मीर' की रिपोर्ट में अगस्त 2021 से जुलाई 2022 के बीच हुए सूबे के उन घटनाक्रमों की बात की गई है जो मानवाधिकार उल्लंघनों की वजह बने. साथ ही, मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार के लिए कुछ सिफ़ारिशें भी की गई हैं.