सुप्रीम कोर्ट दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की कर्नाटक डिवीज़न में चुनाव होने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस दौरान शीर्ष अदालत ने सभा के चुनाव कराने संबंधी कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरक़रार रखते हुए कहा कि हम चुनाव पर रोक नहीं लगा सकते, अगर यह अनुच्छेद 329 के तहत आने वाला मामला है तो हम बिल्कुल शक्तिहीन हैं.
राजद्रोह का मामला रद्द करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि बच्चों को सरकार की नीतियों की आलोचना करना न सिखाएं. मामला कर्नाटक के बीदर स्थित शाहीन स्कूल से जुड़ा है. साल 2020 में यहां के छात्रों द्वारा सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ एक नाटक का मंचन करने पर विवाद हो गया था.
ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी थी. अदालत ने इस तथ्य का हवाला दिया कि ट्विटर ने नोटिस दिए जाने के बावजूद सरकार के ब्लॉकिंग आदेशों का पालन नहीं किया. इसके ‘आचरण’ को लेकर अदालत ने 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
जनवरी 2020 में कर्नाटक के बीदर स्थित शाहीन स्कूल के कुछ छात्रों ने सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए एक नाटक में भाग लिया था, तब पुलिस ने राजद्रोह और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया था.
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कर्नाटक हाईकोर्ट शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत राज्य सरकार द्वारा सरकारी प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म और जूते-मोज़े न देने की शिकायत पर सुनवाई कर रही थी. अदालत ने कहा कि इस तरह की चूक होना सरकार के लिए शर्म की बात है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने दक्षिण कन्नड़ ज़िले के 23 वर्षीय अधिवक्ता द्वारा दायर याचिका पर दिए अपने फैसले में कहा कि जब सरकार या उसके एजेंट लोगों से डरते हैं, तो इसका अर्थ है कि वहां स्वतंत्रता है, और जब लोग सरकार या उसके एजेंटों से डरते हैं, तो समझो उन पर अत्याचार होता है.
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के पास नंदी पहाड़ियों में सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन द्वारा 15 जनवरी को आदियोगी शिव की प्रतिमा का अनावरण किया जाना था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाके में एक वाणिज्यिक उद्यम स्थापित किया जा रहा है और सरकार ने इस उद्देश्य के लिए अवैध रूप से भूमि आवंटित की है.
आरटीआई कार्यकर्ता और ‘महा प्रचंड’ समाचार पत्र के संपादक लिंगाराजू पर 20 नवंबर, 2012 को उनके घर के पास तीन हथियारबंद लोगों ने हमला किया था. सत्र अदालत ने 28 अक्टूबर, 2020 को आरोपियों को दोषी पाया था और उन्हें उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी.
केंद्र सरकार द्वारा फरवरी 2021 और फरवरी 2022 के बीच जारी किए गए 10 ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती देने वाली ट्विटर की एक याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. ट्विटर ने कहा है कि ऐसा कहना कि ‘मैं कारण नहीं बताऊंगा और संवाद नहीं करूंगा’, अपने आप में सुरक्षा मानकों के ख़िलाफ़ होगा. कारण दिए जाने चाहिए.
कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का खंडित फैसला आने के बाद राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश मान्य रहेगा. ऐसे में राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों में कर्नाटक शिक्षा अधिनियम और नियम में किसी भी धार्मिक प्रतीकों के लिए कोई गुंजाइश नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब पर बैन लगाने के निर्णय के ख़िलाफ़ दायर याचिकाएं ख़ारिज कर दीं, जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि हाईकोर्ट ने ग़लत रास्ता अपनाया और हिजाब पहनना अंतत: पसंद का मामला है, इससे कम या ज़्यादा कुछ और नहीं.
ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में बताया कि सरकार ने उसे किसी ट्वीट के आधार पर पूरे एकाउंट को ब्लॉक करने के लिए कहा था, हालांकि आईटी अधिनियम की धारा 69 (ए) पूरे एकाउंट को ब्लॉक करने की अनुमति नहीं देती. धारा के तहत केवल सूचना या किसी विशेष ट्वीट को ब्लॉक करने की इजाज़त है.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ने कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब प्रतिबंध के निर्णय के प्रभावों पर अध्ययन किया है, जिसमें कई छात्राओं ने बताया है कि उन्हें कॉलेज बदलकर मुस्लिम संस्थानों में दाखिला लेना पड़ा, अन्य समुदाय के छात्रों के साथ बातचीत सीमित हो गई और उन्होंने अलगाव व अवसाद महसूस किया.
मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल जस्टिस हेमंत गुप्ता के इस सवाल पर कर्नाटक के स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली मुस्लिम छात्राओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि कोई भी स्कूल में कपड़े नहीं उतार रहा है.