भाजपा के इस दौर में हर काम मोदी के नाम पर होता है. राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने रूटीन फ़ैसले के पीछे माननीय प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व को श्रेय देते हैं. महाराष्ट्र के केस में भाजपा कहना क्या चाहती है. वो पहले तय कर ले कि उपमुख्यमंत्री के पद को सम्मान बताकर देवेंद्र फडणवीस का अपमान करना है या जेपी नड्डा का? क्या यह नड्डा को मज़ाक़ का पात्र बनाना नहीं है कि वे कम से कम उपमुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला लेने लगे हैं?
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार के घटक दल शिवसेना में मची अंदरूनी खींचतान के बीच केंद्र की भाजपा सरकार ने शिवसेना के 15 बाग़ी विधायकों को ‘वाय प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है, तो वहीं असम सरकार के भाजपाई मंत्रियों ने गुवाहाटी के होटल में बाग़ी विधायकों से मुलाक़ात की.
भाजपा की फूहड़, हिंसक, बेहिस विभाजनकारी शासन नीति से अलग सभ्य, शालीन, ज़िम्मेदार शासन नीति और आचरण के लिए उद्धव ठाकरे की सरकार को याद किया जाएगा. कम से कम इस प्रयास के लिए कि एक अतीत के बावजूद सभ्यता का प्रयास किया जा सकता है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पार्टी पदाधिकारियों से बातचीत में कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली किया है, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प बरकरार है. उधर, पार्टी के बाग़ी विधायक एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को दिए बयान से पटलते हुए कहा कि कोई भी राष्ट्रीय दल उनके संपर्क में नहीं है.
शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बीच पार्टी सांसद संजय राउत ने बाग़ी विधायकों से अपील की है कि वे उनकी मांगों पर विचार करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते सभी लोग 24 घंटे में मुंबई वापस आ जाएं और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करें. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि उन्हें नहीं लगता ठाकरे सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी गठबंधन से बाहर होने की मांग पर सहमत होंगे.
महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे असम के गुवाहाटी में समर्थक विधायकों के साथ एक होटल में ठहरे हैं. उनका दावा है कि उन्हें 46 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जबकि खबरों के मुताबिक 34 विधायकों ने प्रस्ताव पारित करके उन्हें शिवसेना विधानसभा दल का नेता नियुक्त किया है. इस बीच, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि अगर बाग़ी विधायक मेरे सामने आकर कह दें कि मैं मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष के पदों को संभालने में सक्षम नहीं हूं तो तत्काल इस्तीफा दे दूंगा.
अमरावती में 13 नवंबर को भाजपा द्वारा बुलाए गए बंद में जगह-जगह भीड़ ने पथराव किया था, जिसके बाद वहां तनाव की स्थिति बढ़ने पर कर्फ्यू लगा दिया गया था. इस मामले में बोंडे के अलावा शहर के मेयर सहित कई स्थानीय भाजपा नेताओं को गिरफ़्तार किया गया था, जिन्हें बाद में ज़मानत मिलने पर छोड़ा गया.
तनाव भरे माहौल में हमेशा हिंसा की आशंका रहती है. समझदारी उससे बचने में है. प्रत्येक हिंसा समाज में समुदायों के बीच खाई को और चौड़ा करती है. भाजपा की राजनीति के लिए यही मुफ़ीद है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि त्रिपुरा में मस्जिद को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ के बारे में सोशल मीडिया पर प्रसारित ख़बरें फ़र्ज़ी हैं और ऐसी किसी भी घटना में साधारण या गंभीर रूप से घायल होने, बलात्कार या किसी की मौत की कोई सूचना नहीं है जैसा कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया गया है.
अमरावती में शुक्रवार को मुस्लिम संगठनों द्वारा त्रिपुरा हिंसा के ख़िलाफ़ आयोजित रैलियों के दौरान पथराव की घटनाएं हुईं. इसके विरोध में शनिवार को भाजपा द्वारा बंद बुलाया गया था, जिसमें जगह-जगह भीड़ ने पथराव किया. पुलिस ने बताया कि अमरावती में इंटरनेट सेवाएं बंद रहेगी ताकि अफ़वाहों को फैलने से रोका जा सके.
महाराष्ट्र के बीड ज़िले से सांसद प्रीतम मुंडे को मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से नाराज़ भारतीय जनता पार्टी के 20 से अधिक स्थानीय पदाधिकारियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है. बताया जा रहा है कि भाजपा नेता भागवत कराड को केंद्रीय राज्यमंत्री बनाए जाने के पार्टी के फै़सले से कार्यकर्ता नाराज़ हैं. प्रीतम की बड़ी बहन भाजपा नेता पंकजा मुंडे का कहना है कि वह केंद्रीय नेतृत्व के फैसले से दुखी नहीं हैं, लेकिन उनके समर्थकों के बीच इसे लेकर नकारात्मकता है.
पुणे में भाई के साथ रह रही 22 वर्षीय युवती ने बीते आठ फरवरी को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. मौत के बाद से सोशल मीडिया पर तमाम फोटो ऑडियो क्लिप साझा होने लगे, जिसमें महाराष्ट्र के वन मंत्री संजय राठौड़ को उनकी मौत से जोड़ा जा रहा था. भाजपा लगातार युवती की मौत के लिए राठौड़ पर आरोप लगा रही है.
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उनके परिवार से दो लोग चुनाव लड़ रहे हैं. वह 14 बार चुनाव जीत चुके हैं, इसलिए चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है.
मराठा समुदाय की राज्य में 30 प्रतिशत आबादी है. यह समुदाय लंबे समय से अपने लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रहा है. बीते जुलाई और अगस्त महीने में इसके लिए हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे.
महाराष्ट्र विधानसभा में इसके लिए आवश्यक संशोधन संबंधित विधेयक को पारित कर दिया गया. खाद्य आपूर्ति मंत्री ने कहा कि दूध प्रसंस्करण कंपनियां किसानों से दूध ख़रीदती हैं, लेकिन जब तक यह उपभोक्ताओं तक पहुंचता है, यह ‘विषाक्त’ हो जाता है.