बीते वर्ष भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने वाले बाबुल सुप्रियो ने कहा कि पिछले आठ साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ऐसा कभी नहीं लगा कि किसी बंगाली को कैबिनेट मंत्री बनाया जाए. क्या उन्हें लगता है कि बंगाली लोग कैबिनेट मंत्री बनने योग्य नहीं हैं?
पार्टी में अंदरूनी कलह के बीच तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पार्टी पदाधिकारियों की नई टीम का गठन किया और अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को दोबारा पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया. साथ ही नई टीम में अपने पुराने समर्थकों को भी जगह दी. नई टीम में सांसदों- डेरेक ओ ब्रायन, सौगत रॉय और कल्याण बनर्जी को जगह नहीं दी गई है.
90 वर्षीय गायिका संध्या मुखर्जी को 60 और 70 के दशक की सबसे मधुर आवाज़ों में से एक माना जाता है. अपने करिअर में एसडी बर्मन, मदन मोहन, नौशाद, अनिल विश्वास और सलील चौधरी जैसे लोकप्रिय संगीत निर्देशकों के साथ काम करने के अलावा मुखर्जी ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बीते महीने उन्होंने पद्म सम्मान लेने से इनकार कर दिया था.
गणतंत्र दिवस परेड के लिए कुछ राज्यों की झांकियों को मंज़ूरी नहीं दी गई है. केरल सहित ग़ैर भाजपा शासित राज्यों के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि यह केंद्र द्वारा अपमान है. इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा है कि इस साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकियों का चयन निर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया है.
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर 23 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह शुरू करने के अपने फैसले की घोषणा की है. पिछले साल भी पश्चिम बंगाल की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने की मंज़ूरी केंद्र ने नहीं दी थी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है. मंत्रालय ने यह भी बताया कि उसने संस्था के किसी खाते से लेन-देन को नहीं रोका है. मंत्रालय के इस बयान से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संस्था मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी है.
वर्तमान भारतीय राजनीति में प्रत्येक दल ख़ुद का सफल फॉर्मूला ईजाद करने की कवायद में दूसरे दल से कुछ न कुछ उधार लेने की कोशिश कर रहा है. आज भारतीय लोकतंत्र कम हो रहे राजनीतिक विकल्पों और इन विकल्पों के अभाव में अपने आप को ही विकल्प समझ लेने वालों से भरा पड़ा है.
दो किसान 18 दिसंबर को रैना प्रथम मंडल में देबीपुर और बंतीर गांवों में अपने घरों में फंदे से लटके पाए गए. बिरुहा गांव में 17 दिसंबर को एक अन्य किसान का शव अपने घर में फंदे से लटका मिला. मृतक किसानों के परिवारों ने दावा किया कि चक्रवात जवाद के कारण बेमौसम बारिश से आलू और धान की फ़सलें ख़राब होने के बाद उन्होंने आत्महत्या की है.
भाजपा धर्म व आस्था के नाम पर बनी समाज की जिन दरारों को अपने पक्ष में इस्तेमाल करने में कामयाब हुई है, उसके ख़िलाफ़ मजबूत चुनौती पेश करना, एक लंबे संघर्ष की मांग करता है. क्या विपक्ष के सभी बड़े-छोटे दल उस ख़तरे के बारे में पूरी तरह सचेत हैं? क्या वे समझते हैं कि यह महज़ चुनावी मामला नहीं है?
ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार की नौकरियों में भर्ती के दौरान स्थानीय लोगों और स्थानीय भाषा जानने वालों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. एसडीओ और बीडीओ बांग्ला में लिखे पत्रों को पढ़ने या जवाब देने में असमर्थ हैं इसलिए स्थानीय भाषा का ज्ञान ज़रूरी है.
बीते कुछ दिनों से भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना करते हुए नज़र आ रहे हैं. उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था और सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में विफल रही है. महंगाई पर स्वामी के एक ट्वीट पर एक उपयोगकर्ता ने कहा था कि यह पूरी तरह से ‘मोदीनॉमिक्स’ है. इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि या ये ‘मोदीकॉमिक्स’ है, क्योंकि वह अर्थशास्त्र नहीं जानते हैं.
किसान आंदोलन इसका जीवित प्रमाण है कि यदि लक्ष्य की स्पष्टता हो तो विचार भिन्नता के बावजूद संयुक्त संघर्ष किया जा सकता है. संयुक्त किसान मोर्चा ने एक लंबे अरसे बाद संयुक्त संघर्ष की नीति को व्यावहारिकता में साबित करके दिखाया है.
तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का विभिन्न किसान नेताओं और राजनीतिक नेताओं ने स्वागत किया है. भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि संसद में क़ानून को निरस्त होने के बाद ही वे आंदोलन वापस लेंगे. वहीं, कांग्रेस ने भाजपा पर हमला करते हुए पूछा कि क़ानूनों के चलते सैकड़ों लोगों की जान जाने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा.
पंजाब के बाद पश्चिम बंगाल दूसरा राज्य है, जहां विधानसभा में बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फ़ैसले के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव में कहा गया है कि बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र बढ़ाना देश के संघीय ढांचे के खिलाफ़ है क्योंकि क़ानून व्यवस्था राज्य सूची का विषय है.
भाजपा की ओर से निवार्चन आयोग को दिए ख़र्च के ब्योरे के मुताबिक़, पार्टी ने असम, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में हुए विधानसभा चुनावों के प्रचार में 2,52,02,71,753 रुपये ख़र्च किए. इनमें से सर्वाधिक 151 करोड़ रुपये पश्चिम बंगाल में इस्तेमाल किए गए.