नई दिल्ली स्थित भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव कार्यालय एवं सम्मेलन कक्ष में 'भारत माता' और जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीरें लगी हुई थीं. कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताई थी. पिछले छह महीने से परिसर में रोज़ राष्ट्रगान गाया जा रहा था, जिसे बंद कर दिया गया है.
‘परीक्षा पे चर्चा’ एक वार्षिक कार्यक्रम है, जिसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोर्ड परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों के साथ बातचीत करते हैं. छात्रों के साथ प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम पहली बार 16 फरवरी, 2018 को आयोजित किया गया था.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में बताया है कि देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम में 11,000 से अधिक फैकल्टी पद ख़ाली हैं. सरकार ने लोकसभा को यह भी बताया कि एक नवंबर तक देशभर के केंद्रीय विद्यालयों में 12,723 शिक्षक पद और 1,422 ग़ैर-शिक्षक पद रिक्त पड़े थे.
संसदीय कार्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों में से इस वर्ष अगस्त तक लोकसभा में 1,005 और राज्यसभा में 636 आश्वासन लंबित हैं. कोई आश्वासन दिए जाने के बाद संबंधित मंत्रालय या विभाग को उसे 3 महीने के अंदर पूरा करना अपेक्षित होता है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मिड-डे मील योजना का सोशल ऑडिट किया जाना अनिवार्य है, लेकिन देश भर के स्थानीय प्राधिकरण इस कार्य को पूरा करने में निर्धारित समयसीमा से पीछे चल रहे हैं.
शिक्षा मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में यह जानकारी दी गई है कि आईआईटी खड़गपुर में 798 और आईआईटी बॉम्बे में 517 फैकल्टी पद ख़ाली हैं, जो कि देश के दूसरे आईआईटी की तुलना में सबसे अधिक हैं. शीर्ष वरियता प्राप्त आईआईटी मद्रास में भी 482 फैकल्टी पद ख़ाली पड़े हैं.
जेएनयू की नवनियुक्त कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित की नियुक्ति के बाद उनके कुछ पुराने ट्वीट विवादों में हैं. अब डिलीट कर दिए गए ट्विटर एकाउंट के बारे में पंडित ने कहा कि जेएनयू के किसी व्यक्ति ने साज़िशन इसे बनाया था. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि कि जेएनयू के किसी शख़्स को यह कैसे पता रहा होगा कि उन्हें संस्थान का कुलपति बनाया जाएगा और कैसे उनकी नियुक्ति से पहले ट्विटर एकाउंट बना होगा.
जेएनयू की नवनियुक्त कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने कई मौकों पर बिना किसी हिचकिचाहट अपनी हिंदुत्व दक्षिणपंथी विचारधारा को सार्वजनिक किया है. नियुक्ति के बाद उनके पुराने ट्वीट शेयर किए जाने का सिलसिला बढ़ने के बाद उनका ट्विटर एकाउंट डिलीट कर दिया गया है.
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर 59 वर्षीय शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित को पांच वर्षों के लिए जेएनयू के कुलपति नियुक्त किया गया है. पंडित जेएनयू की छात्रा रही हैं, जहां से उन्होंने एमफिल के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पीएचडी की उपाधि हासिल की है.
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, एम. जगदीश कुमार को पांच साल की अवधि के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वहीं, जेएनयू के छात्र संघ और शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय के कुलपति को यूजीसी का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि कुमार को सरकार का एजेंडा लागू करने के लिए पुरस्कृत किया गया है.
शिक्षाविद और नीति-निर्माता उम्मीद कर रहे थे कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार कुछ अहम क़दम उठाएगी क्योंकि लाखों छात्रों ने कोरोना महामारी के चलते अपनी शिक्षा के अहम वर्षों का नुकसान उठाया है, हालांकि बजट से उन सभी को निराशा हुई है.
शिक्षा मंत्रालय ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के बैनर तले 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक योजना बनाई है, जिसमें 30 हज़ार स्कूलों को शामिल किया जाएगा. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं. इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देश वापस लेकर देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे.
सरकार की ओर से जारी इस एडवाइज़री में कहा गया है कि कोविड-19 लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने से बच्चे तेज़ी से मोबाइल फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और ऑनलाइन गेमिंग के आदी हुए हैं. इसमें परिजनों को सुझाव दिया गया है कि वे बच्चों की ऑनलाइन गतिविधि से संबंधित असाधारण गोपनीय व्यवहार और विशेष रूप से सोशल मीडिया पर बिताए जाने वाले समय में वृद्धि पर नज़र रखें.
जामिया मिलिया इस्लामिया के 16 शोधकर्ताओं को अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दुनिया के शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठित सूची में जगह दी है. पहली सूची में जामिया के आठ प्रोफेसर शामिल हैं. साल 2020 के प्रदर्शन के आधार पर दूसरी सूची में जामिया के 16 वैज्ञानिक हैं.
संसद में हाल ही में पेश एक स्थायी संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि सिर्फ आठ राज्यों ने अपने सभी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित की है. समिति ने शिक्षा मंत्रालय से 2021-22 के अंत तक हर शैक्षणिक संस्थान में नल से जल मिशन के तहत सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा है.