बीते 22 जून को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत में जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर चिंता जताई थी. हालांकि नरेंद्र मोदी ने देश में धार्मिक भेदभाव की बात से इनकार किया था. इसके बाद असम के मुख्यमंत्री ने कहा था कि देश में कई ‘हुसैन ओबामा’ है, उन पर ध्यान देने की ज़रूरत है. असम पुलिस प्राथमिकता के आधार पर काम करेगी.
विशेष रिपोर्ट: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने 'बजरंग सेना' का हाथ थामा है. 'हिंदू राष्ट्र' का सपना देखने वाले इस संगठन की पहचान अब तक हिंदुत्ववादी एजेंडा आगे बढ़ाने, मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने और नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करने वालों का समर्थन करने की रही है.
सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के एक समूह द्वारा उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह को लिखे पत्र में अप्रैल महीने के 12 दिनों की अवधि में घटी चार घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि सभी घटनाएं हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा मुसलमानों के ख़िलाफ़ अंज़ाम दी गईं. पत्र में ऐसी घटनाओं पर उत्तराखंड की भाजपा सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए गए हैं.
पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक भारतीय उपमहाद्वीप में आए दिन किसी न किसी की आहत भावनाओं की बात होती रहती है और उसकी स्वाभाविक प्रतिकिया के तौर पर उत्पाती समूहों द्वारा इसका बदला लेने के लिए की गई हिंसा की ख़बर आती रहती है, लेकिन सवाल है कि आख़िर किसकी भावनाएं आहत होती हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच की घटनाओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में राज्यों की निष्क्रियता को लेकर दायर याचिकाओं को सुनते हुए चेतावनी दी कि राज्य सरकारों की कार्रवाई वक्ता के धर्म की परवाह किए बिना होनी चाहिए. कार्रवाई में किसी भी तरह की हिचकिचाहट को अदालत की अवमानना के रूप में देखा जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट में केरल के एक पत्रकार ने अपनी याचिका में महाराष्ट्र पुलिस के ख़िलाफ़ अवमानना कार्यवाही की मांग की है. उनका आरोप है कि अदालत के निर्देश के बावजूद कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा आयोजित रैलियों में भड़काऊ और नफ़रत भरे भाषणों को रोकने के लिए उसने कोई कार्रवाई नहीं की.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने संगठन के 34वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस्लाम की जन्मस्थली और मुसलमानों का पहला वतन है. भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी, दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है.
अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को प्राप्त शिकायतों की संख्या में पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान भारी वृद्धि हुई है. अधिकांश शिकायतें मुसलमानों द्वारा दर्ज कराई गई हैं. उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुस्लिम समुदाय से लगातार छठी बार सबसे ज़्यादा शिकायतें मिली हैं.
दिल्ली पत्रकार संघ ने कई गिरफ़्तार और जेल में बंद पत्रकारों को लेकर चिंता व्यक्त की है. ह्यूमन राइट्स वॉच की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए संगठन ने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि सरकार ने अधिकार कार्यकर्ताओं और मीडिया पर अपनी कार्रवाई तेज़ और व्यापक कर दी है.
देश भर में ईसाई समुदाय के प्रति अपनी एकजुटता दिखाते हुए ईसाई संगठनों ने विभिन्न राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों को पूरे देश में ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा करने का आह्वान करते हुए हिंसा और नफ़रत फैलाने वाले अपराधियों पर नियंत्रण लगाने की मांग की है.
एक सरकारी सूत्र ने बताया है कि गृह मंत्रालय पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आए छह अल्पसंख्यक समुदायों - हिंदू, सिख, पारसी, ईसाई, बौद्ध और जैन - के सदस्यों के नागरिकता आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए सहायक दस्तावेज़ के रूप में एक्सपायर्ड पासपोर्ट और वीज़ा को स्वीकार करने के लिए नागरिकता पोर्टल में बदलाव करने वाला है.
यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम का कहना है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता और संबंधित मानवाधिकारों पर लगातार ख़तरा बना हुआ है. इस साल अप्रैल में भी कमीशन ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सिफ़ारिश की थी कि अमेरिकी विदेश विभाग भारत को 'विशेष चिंता वाले' देशों की सूची में डाले.
शीर्ष अदालत कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. इनमें दलील दी गई है कि हिंदू 10 राज्यों में अल्पसंख्यक हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई में केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार पहले ही हलफ़नामा दे चुकी है, पर असम व त्रिपुरा सरकारों को अलग-अलग जवाब देने की ज़रूरत है. अदालत के समक्ष 50 याचिकाएं इन दो राज्यों से संबंधित हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने मामला तीन सदस्यीय पीठ को सौंपने की भी बात कही है. नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि यह संविधान के मूल ढांचे के विपरीत है और इसका उद्देश्य मुसलमानों से स्पष्ट रूप से भेदभाव करना है.