एल्गार परिषद मामले में विचाराधीन क़ैदी के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. पिछले साल 13 नवंबर को गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 26 नक्सलियों में उनके भाई कथित नक्सली नेता मिलिंद भी शामिल थे. भाई की मौत के मद्देनज़र आनंद तेलतुम्बड़े ने मां से मिलने की अनुमति मांगी थी.
एनआईए ने अपने पूर्व पुलिस अधीक्षक और आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक सदस्य को गोपनीय दस्तावेज़ लीक करने के आरोप में गिरफ़्तार किया है. इसी मामले एनआईए छह लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है. इसमें से एक कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को एनआईए ने पिछले साल गिरफ़्तार किया था.
एनआईए ने कबीर कला मंच के सदस्यों- सागर गोरखे, रमेश गायचोर और ज्योति जगताप की ज़मानत याचिकाओं का भी विरोध किया. वहीं, आरोपियों के वकील ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के पास यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उनके मुवक्किलों ने यूएपीए के तहत कोई अपराध किया था जिसके तहत उन पर मामला दर्ज किया गया.
साइबर सिक्योरिटी फर्म सेंटिनलवन के अमेरिकी विशेषज्ञों के निष्कर्ष बताते हैं कि एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन को एक दशक के लंबे प्रयास के बाद निशाना बनाया गया. इससे पहले डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग ने विल्सन के ख़िलाफ़ पेश इलेक्ट्रॉनिक सबूतों का अध्ययन करने के बाद कहा था कि उनके आईफोन में पेगासस के साक्ष्य मिले थे.
मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने पेगासस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति को एल्गार परिषद मामले के सात आरोपियों- रोना विल्सन, आनंद तेलतुंबडे, वर्नोन गॉन्जाल्विस, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, हेनी बाबू और शोमा सेन के मोबाइल फोन सौंपने की एनआईए की अर्ज़ी को मंज़ूरी दी है. इन सभी का आरोप है कि पेगासस के ज़रिये उनके फोन में सेंधमारी की गई थी.
इस पत्र में कहा गया कि साइबर हमलों और भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में साक्ष्यों को प्लांट करने के संबंध में खुलासे को देखते हुए गिरफ़्तार किए गए इन कार्यकर्ताओं को कम से कम ज़मानत दी जानी चाहिए. एल्गार परिषद मामले में अब तक 16 कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. इनमें से एक फादर स्टेन स्वामी की कोरोना की वजह से हिरासत में ही मौत हो गई थी.
एल्गार परिषद मामले में यूएपीए के तहत अक्टूबर 2020 में गिरफ़्तार किए गए 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का जुलाई 2021 में मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए अस्पताल में निधन हो गया था. ज़मानत याचिका ख़ारिज किए जाने के विशेष अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ स्वामी ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसकी सुनवाई उनके गुज़रने के बाद हो रही है.
एनआईए अधिकारियों के मुताबिक़, 18 साल के अर्सलान को जम्मू कश्मीर में हिंसक गतिविधियों के लिए सूबे के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, उकसाने और भर्ती करने के लिए रची गई साज़िश संबंधित मामले में 30 दिसंबर को गिरफ़्तार किया गया था. परिवार ने एजेंसी के दावों का खंडन किया है.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में क़रीब तीन साल बाद ज़मानत पर रिहा हुईं, अधिवक्ता और कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज ने अर्ज़ी देकर ठाणे स्थित मित्र के घर में रहने की अनुमति मांगी थी और कहा था कि मुंबई में घर पाना महंगा है. अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए उन्हें हर हफ़्ते ठाणे के वर्तक नगर पुलिस थाने में हाज़िरी देने का निर्देश दिया है.
एनआईए ने 22 नवंबर को टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को गिरफ़्तार किया था. इससे पहले इस साल की शुरुआत में श्रीनगर में उनके घर और कार्यालय की तलाशी ली गई थी. वैश्विक मानवाधिकार संगठनों ने इस क़दम की आलोचना करते हुए हिरासत में यातना के जोख़िम को लेकर चिंता जताई थी.
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि विस्फोट की निंदा करते हुए कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, कुछ राष्ट्र विरोधी तथा राज्य विरोधी ताकतें इस तरह के घिनौने कृत्यों को अंजाम देने की कोशिश कर रही हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते एक दिसंबर को वकील एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को तकनीकी ख़ामी के आधार पर ज़मानत दे दी थी और आठ अन्य आरोपियों की इसी आधार पर ज़मानत की अर्जी खारिज़ कर दी थी. आरोपियों ने दावा किया है कि उन्हें ज़मानत से इनकार करने का आदेश ‘तथ्यात्मक त्रुटि’ पर आधारित है.
एल्गार परिषद मामले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किए गए दिवंगत आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के सहयोगी फादर फ्रेजर मास्करेन्हास ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एनआईए द्वारा स्वामी पर लगाए गए आरोपों को हटाने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट को जांच का निर्देश देने की मांग की है.
दिल्ली हाईकोर्ट एक आरोपी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने कहा है कि वह आठ साल से हिरासत में हैं और मामले में आरोप तय किए जाने बाकी हैं. मामले में सुनवाई में देरी हुई है, क्योंकि केवल दो नामित एनआईए अदालतें हैं, जो ग़ैर-एनआईए मामलों के साथ ज़मानत मामले, अन्य आईपीसी अपराध और मकोका मामलों की सुनवाई भी कर रही हैं.
अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित डिजिटल फॉरेंसिक्स कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार क़ैदियों के अधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन के फोन को कई बार सफलतापूर्वक हैक किया गया था.