राज्यसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने जानना चाहा कि क्या उद्योगपति गौतम अडानी का कोई भी उल्लेख 'संसदीय है या असंसदीय' है, क्योंकि सत्ता पक्ष ने भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 पर बहस के दौरान अडानी का नाम लेने पर विरोध जताया था.
एसडीजी-2 सूचकांक पर गुजरात के प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखी जा रही है. नीति आयोग द्वारा जारी 2023-24 एसडीजी रिपोर्ट की राज्यवार रैंकिंग में गुजरात भूख सूचकांक में 25वें स्थान पर है.
केंद्र सरकार ने नीति आयोग का पुनर्गठन करते हुए विशेष आमंत्रित सदस्यों की संख्या 5 से बढ़ाकर 11 कर दी है, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दलों के 5 केंद्रीय मंत्रियों को भी सदस्य बनाया है.
अपनी जनतांत्रिक छवि चमकाने के लिए ‘मदर आफ डेमोक्रेसी’ होने के दावों से शुरू हुई भारत सरकार की यात्रा फिलवक्त डेमोक्रेसी रेटिंग गढ़ने के मुक़ाम तक पहुंची है. अभी वह किन-किन मुकामों से गुजरेगी इसके बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती.
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों में भारत में लोकतंत्र की स्थिति को सवालों के घेरे में रखा गया है. अब एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि भारत सरकार ने कई अवसरों पर इसके साथ काम कर चुके देश के थिंक टैंक ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) से लोकतंत्र से संबंधित रेटिंग ढांचा तैयार करने को कहा है.
वीडियो: हाल ही में केंद्र सरकार ने घरेलू व्यय सर्वे रिपोर्ट जारी करते हुए ने यह दावा किया कि भारत में महज 5% से कम ग़रीबी रह गई है. जानकारों ने इस दावे के साथ सर्वे की मेथाडोलॉजी पर भी सवाल तो उठाए हैं. क्या इस सर्वे के आंकड़े विश्वसनीय हैं? इस बारे में वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार वी. श्रीधर से अजय कुमार की बातचीत.
वीडियो: नीति आयोग की एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में बीते 9 वर्षों में 24.8 करोड़ से अधिक लोग ग़रीबी से बाहर निकले हैं. इस दावे और इस नतीजे पर पहुंचने की मेथडोलॉजी पर अर्थशास्त्रियों ने सवाल उठाए हैं. इस बारे में अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा से बात कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु.
नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बहुआयामी ग़रीबी 2013-14 में 29.17 फीसदी से घटकर 2022-23 में 11.28 फीसदी हो गई. इस अवधि के दौरान लगभग 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आ गए हैं. ग़रीबी में सबसे ज़्यादा कमी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में दर्ज की गई है.
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि प्रति व्यक्ति खाद्य उत्पादन बढ़ने के बावजूद देश में कुपोषण बढ़ गया है, ख़ासकर पिछले आठ वर्षों में. उन्होंने इसके लिए बढ़ती खाद्य कीमतों को ज़िम्मेदार ठहराया. उन्होंने कृषि उत्पादकता वृद्धि को सालाना 2 फीसदी से अधिक बढ़ाने की वकालत की है.
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 और 2022-23 के बीच कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार और हरियाणा सहित दर्जनभर से अधिक राज्यों में लिंग अनुपात में गिरावट देखी गई.
बैठक में ग़ैर-भाजपा शासित पंजाब, दिल्ली, तेलंगाना, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों के शामिल न होने की ख़बर है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस बैठक में शामिल होने का क्या फायदा, जब केंद्र खुले तौर पर सहकारी संघवाद का मज़ाक बना रहा है.
नीति आयोग की एक रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई है कि केंद्र गोशालाओं को पूंजी सहायता के माध्यम से मदद करे, ताकि वे कृषि में अनुप्रयोगों के लिए गाय के गोबर और गोमूत्र-आधारित फॉर्मूलों का विपणन कर सकें.
विशेष रिपोर्ट: दस्तावेज़ों से पता चलता है कि नीति आयोग खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के दायरे के विस्तार का प्रबल विरोधी है. इसने बार-बार ग़रीबों को सब्सिडी वाला राशन देने वाली सार्वजनिक खाद्य वितरण प्रणाली के आकार को घटाने और उसमें बड़े बदलाव लाने की कोशिश की है.
नीति आयोग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि आयोग के किसी भी अधिकारी द्वारा किसी भी मीडिया आउटलेट में प्रकाशन के लिए लेख या ऑप-एड भेजने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों के मामले में सीईओ, कनिष्ठ अधिकारियों के मामले में उनके संबंधित सलाहकारों से मंज़ूरी लेनी होगी.
नीति आयोग के रिपोर्ट में कहा है कि ब्रिक्स देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में भारत का स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च सबसे कम है और देश के 21 राज्यों और आठ केंद्रशासित प्रदेशों की 50 प्रतिशत आबादी की केवल 35 प्रतिशत अस्पतालों के बिस्तरों तक पहुंच है.