ओबीसी के वर्गीकरण पर सरकार द्वारा गठित रोहिणी आयोग के सदस्य जेके बजाज ने एससी/एसटी कोटा वर्गीकरण का समर्थन करते हुए कहा कि व्यक्तिगत रूप से वे जाति जनगणना के पक्ष में हैं. उन्होंने जोड़ा कि चूंकि 50% दाखिले और नियुक्तियां जाति के आधार हो रहे हैं, इसलिए डेटा न होना ख़ुद को अंधेरे में रखने जैसा है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2010 से बंगाल में कई समुदायों को दिए गए अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा रद्द करते हुए कहा कि ओबीसी न केवल इसलिए घोषित किया जाता है क्योंकि वह वैज्ञानिक और पहचान योग्य आंकड़ों के आधार पर पिछड़ा है, बल्कि इस आधार पर भी घोषित किया जाता है कि ऐसे वर्ग का राज्य की अधीनस्थ सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है.
वीडियो: महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठा समुदाय के लिए शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला एक विधेयक पारित किया है. हालांकि मराठा समुदाय के नेताओं ने तर्क दिया है कि विधेयक एक चुनावी चाल है. अदालतों में क़ानूनी जांच में नहीं टिक नहीं पाएगा, क्योंकि इसे ठीक से तैयार नहीं किया गया है.
महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठा समुदाय के लिए शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला एक विधेयक पारित किया है. मराठा समुदाय के नेताओं ने तर्क दिया है कि विधेयक एक चुनावी चाल है और अदालतों में क़ानूनी जांच में नहीं टिक नहीं पाएगा, क्योंकि इसे ठीक से तैयार नहीं किया गया है.
महाराष्ट्र सरकार द्वारा सभी मांगें स्वीकार किए जाने के बाद मराठा आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे-पाटिल ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समाप्त कर दी. इससे पहले उन्होंने शनिवार सुबह तक उनकी मांगें पूरी न होने पर मुंबई की ओर मार्च करने की धमकी दी थी.
एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर के कई अन्य एम्स में स्थिति बदतर है. दिल्ली स्थित एम्स में 19 प्रतिशत से कम फैकल्टी ओबीसी से हैं, जबकि अनिवार्य ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ओबीसी प्रतिनिधित्व की कमी शीर्ष प्रबंधन पदों और ग़ैर-फैकल्टी पदों पर भी है.
कानपुर और गुवाहाटी के आईआईटी में कैंपस प्लेसमेंट के दौरान कुछ कंपनियों ने छात्रों से उनकी जातीय पृष्ठभूमि या संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में प्राप्त रैंक का उल्लेख करने के लिए कहा था. एसटी/एचसी छात्रों ने आशंका जताई है कि इस डेटा का इस्तेमाल प्लेसमेंट प्रक्रिया के दौरान और संभवत: बाद में कार्यस्थल पर उनके साथ भेदभाव करने के लिए किया जा सकता है.
ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन से पता चला है कि उच्च शिक्षा में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा. यहां 36 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं केरल में 43 प्रतिशत मुसलमानों ने उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराया है.
जस्टिस रोहिणी आयोग का गठन अक्टूबर 2017 में किया गया था. भारत के ओबीसी समुदाय की विभिन्न श्रेणियों का वर्गीकरण करने के लिए शुरू में इसे 12 सप्ताह का समय दिया गया था. 2017 से आयोग को कम से कम 14 बार विस्तार दिया गया है, जिनमें से नवीनतम विस्तार इस साल जनवरी में दिया गया था.
केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा को बताया कि कुल नियुक्तियों में सामान्य श्रेणी के न्यायाधीशों की संख्या 77 प्रतिशत से अधिक है. उन्होंने बताया कि इनमें से 58 न्यायाधीश ओबीसी और 19 अनुसूचित जाति से हैं. अनुसूचित जनजाति से केवल छह और अल्पसंख्यक समुदाय से 27 न्यायाधीश हैं. नियुक्तियों में 84 महिला न्यायाधीश भी शामिल हैं.
एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, भारत संचार निगम लिमिटेड, गेल और केनरा बैंक के शीर्ष प्रबंधन में ओबीसी समुदाय की अनुपस्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि निदेशक मंडल में सामाजिक समावेशन के लिए ओबीसी को उचित प्रतिनिधित्व देना अनिवार्य है.
राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में वर्तमान में संयुक्त सचिव और सचिव का पद रखने वाले 322 अधिकारी हैं, जिनमें अनुसूचित जाति के 16, अनुसूचित जनजाति के 13, अन्य पिछड़ा वर्ग के 39 और सामान्य श्रेणी के 254 कर्मचारी हैं.
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना निश्चित तौर पर नीति निर्माताओं को पिछड़े वर्ग के लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने में मददगार साबित होगी. अगर ऐसा हुआ तो सरकार के लिए यह जानना आसान होगा किस जाति के कितने लोग हैं और उनके लिए क्या किया जाना चाहिए.
ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति को लेकर हाल ही में एनएसओ द्वारा जारी किए गए एक सर्वे के मुताबिक़, देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी से हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि इससे विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की प्रगति में मदद मिलेगी. इसकी मांग न केवल बिहार बल्कि कई राज्यों से आ रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जाति के आधार पर जनगणना को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है.