लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: इस चुनाव ने निश्चय ही लोकतंत्र को सशक्त-सक्रिय किया है पर उसकी परवाह न करने वालों को फिर सत्ता में बने रहने का अवसर देकर अपने लिए ख़तरा भी बरक़रार रखा है.

जनतंत्र जनता के निर्माण का एक अभियान है जो कभी थमता नहीं

मौन उस वक़्त भाषा का सबसे बड़ा गुण हो जाता है जब सबसे अभ्यर्थना और जय-जयकार की मांग हो रही हो. जब सारे हाथ उठे हों, तो अपना हाथ बांधे रख सकना भी एक अभिव्यक्ति है. हिंदी कविता और जनतंत्र पर इस स्तंभ की सातवीं क़िस्त.

डेमॉगॉग, जो शुरुआत लफ़्फ़ाज़ के तौर पर करता है और तानाशाह में बदल जाता है

डेमॉगॉग लोगों के भीतर छिपी अश्लीलताओं को उत्तेजित करता है, समाज में विभाजन पैदा करता है और जो अंतर लोगों में है, उनका इस्तेमाल कर उनके बीच खाई खोदता है, वह एक के हित को दूसरे के ख़िलाफ़ खड़ा करता है, ख़ुद को अपने लोगों के रक्षक के तौर पर पेश करता है.

क्यों मध्य प्रदेश में कांग्रेस को हिंदुत्व का बुखार चढ़ गया है?

राष्ट्रीय स्तर पर एक तरफ कांग्रेस वर्तमान हिंदुत्ववादी राजनीति के ख़िलाफ़ लड़ने का दम भरती है, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में इसके वरिष्ठ नेता कमलनाथ हिंदुत्व के घोर सांप्रदायिक चेहरों की आरती उतारते और भरे मंच पर उन्हें सम्मानित करते नज़र आते हैं.

हिंदी अंचल को अपनी प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करना चाहिए

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल में ज़हराब की बाढ़-सी लाने का सोचा-समझा और राजनीतिक रूप से वोट-खींचू अभियान शुरू हो गया है. उसका लक्ष्य बढ़ती विषमताओं, बेरोज़गारी, महंगाई आदि के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटा सांप्रदायिकता-हिंसा, भेदभाव और सामाजिक समरसता के भंग को बढ़ावा देना है.

मुक्ति की अनथक आकांक्षा

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: धूमिल ने दशकों पहले ‘दूसरे प्रजातंत्र’ की बात की थी, हमें अब अपना पुराना, भले अपर्याप्त, लोकतंत्र चाहिए. वह हमें पूरी तरह से मुक्त नहीं करेगा पर उस ओर बढ़ने की ऊर्जा, अवसर और साहस तो देगा.

सार्वजनिक जीवन में असहमति को राज्य के विरुद्ध षड्यंत्र माना जाने लगा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: जो ख़ुद षड्यंत्र करता है वह यह मानकर चलता है कि जो उसके साथ नहीं है या उससे असहमत है वह भी षड्यंत्र कर रहा है.

‘कर्बला दर कर्बला’ भागलपुर दंगों की विभीषिका की तहें खोलने का प्रयास है

पुस्तक समीक्षा: गौरीनाथ के ‘कर्बला दर कर्बला’ की दुनिया से गुज़रने के बाद भी गुज़र जाना आसान नहीं है. 1989 के भागलपुर दंगों पर आधारित इस उपन्यास के सत्य को चीख़-ओ-पुकार की तरह सुनना और सहसा उससे भर जाना ऐसा ही है मानो किसी ने अपने समय का ‘मर्सिया’ तहरीर कर दिया हो.

आदित्यनाथ की अमर्यादित भाषा पर पत्रकारों-अधिकारियों के झूठ और धमकियों का पर्दा

योगी शासन की एक प्रमुख निशानी ये है कि उसने मीडिया को चुप कराने के लिए एफआईआर और धमकियों का सहारा लिया है. उनकी अमर्यादित टिप्पणी का वीडियो साझा करने के बाद दी गई एफआईआर की चेतावनियां इसी बात की तस्दीक करती हैं.

पूर्व नौकरशाहों ने योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा, कहा- प्रदेश बना नफ़रत की राजनीति का केंद्र

देश के 104 पूर्व नौकरशाहों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर धर्मांतरण विरोधी क़ानून को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि इसका इस्तेमाल मुस्लिम पुरुषों और अपनी मर्ज़ी से शादी कर रही महिलाओं को प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है.

द वायर बुलेटिन: आदित्यनाथ के ‘मोदीजी की सेना’ बयान पर पूर्व नौसेना प्रमुख ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र

सुप्रीम कोर्ट द्वारा हार्दिक पटेल की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करने समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.

धर्म की बेलगाम राजनीति रोकी नहीं गई तो हिंदुओं में भी हाफ़िज़ सईद पैदा होंगे: प्रकाश आंबेडकर

बाबा साहब आंबेडकर के पोते ने भाजपा पर साधा निशाना. कहा- यह सरकार दोबारा आई तो हम जो बात कर रहे हैं, यह करने का अधिकार भी छीन लिया जाएगा.

घृणा की राजनीति सबसे बड़ा ख़तरा, इसे बढ़ावा देने वाले कश्मीर से दूर रहें: फ़ारूक़ अब्दुल्ला

भाजपा ने पाकिस्तान से वार्ता की वकालत पर की अब्दुल्ला की आलोचना, कहा- आतंकवाद तथा बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते.