भारतीय जेलों में 561 क़ैदी मौत की सज़ा पाए हुए थे, 20 वर्षों में यह संख्या सबसे अधिक: रिपोर्ट

‘भारत में मृत्युदंड: वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट’ में कहा गया है कि वर्ष 2023 में देश भर में निचली अदालतों द्वारा 120 मौत की सज़ाएं सुनाई गईं, जिनमें सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में 33 रही. 2023 में निचली अदालतों में सबसे अधिक मौत की सज़ा यौन अपराधों से जुड़े हत्या के मामलों में दी गई, जो 120 मौत की सज़ाओं में से 64 है.

यूपी सरकार का निर्णय: सरकारी बसों में बजेंगे राम भजन, जेल के क़ैदियों को दी जाएगी ​हनुमान चालीसा

अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने 22 जनवरी तक सरकारी बसों में स्थापित सार्वजनिक संबोधन प्रणालियों के माध्यम से राम भजन बजाने के निर्देश जारी किए हैं. वहीं जेल मंत्री ने कहा है कि राज्य भर की सभी जेलों में क़ैदियों के बीच हनुमान चालीसा और सुंदर कांड की 50,000 से अधिक प्रतियां बांटी जाएंगी.

यूपी की सुल्तानपुर जेल में फांसी पर लटके मिले दो क़ैदियों की हत्या की आशंका: जांच रिपोर्ट

इस साल जून में उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर ज़िला जेल में दो क़ैदी फांसी पर लटके पाए गए थे. जांच करने वाले सुल्तानपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने इस घटना के लिए जेल कर्मचारियों को सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट में कहा कि यह संभवत: ‘जबरन फांसी’ का मामला है.

गृह मंत्रालय ने राज्यों से क़ैदियों और उनसे मिलने आने वालों का आधार प्रमाणीकरण करने को कहा

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर गृह मंत्रालय ने कहा है कि क़ैदियों और उनसे मिलने आने का आधा​र प्रमा​णीकरण इसलिए किया जाए, ताकि उनकी सुरक्षित हिरासत को मज़बूत किया जा सके और साथ ही उन्हें आधार संबंधित लाभों की वितरण सुनिश्चित किया जा सके. हालांकि यह प्रक्रिया स्वैच्छिक आधार पर होगी.

ज़मानत देते समय अदालत को क़ैदी की आर्थिक स्थिति का भी ध्यान रखना चाहिए: कोर्ट

ज़मानत नीति में सुधार के एक मामले को सुनते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालतों द्वारा हर प्रयास किया जाना चाहिए कि जब वे ज़मानत दें, तो इसका कोई अर्थ होना चाहिए क्योंकि ऐसी ज़मानत शर्तें, जो क़ैदी की आर्थिक स्थिति से परे हों, लगाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता है.

यूपी सरकार के अधिकारी न्यायिक आदेशों के प्रति ज़रा भी सम्मान नहीं रखते हैं: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने मई 2022 में इसके द्वारा यूपी के कुछ क़ैदियों की सज़ा माफ़ी याचिकाओं पर दिए निर्देश पर कार्रवाई न करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई.

जेलों में आत्महत्या रोकने के लिए क़ैदियों के मानसिक स्वास्थ्य की जांच करवाएं: एनएचआरसी

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक परामर्श जारी करते हुए इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि हाल के वर्षों में भारत की जेलों में बड़ी संख्या में हुई मौतें आत्महत्या के चलते हुईं. बताया गया है कि जेलों में होने वाली अप्राकृतिक मौतों में से 80 प्रतिशत की वजह आत्महत्या थी.

जेलों में क्षमता से अधिक क़ैदी, अदालतें ये सुनिश्चित करें कि सुनवाई तेज़ी से हों: सुप्रीम कोर्ट

एक आरोपी को ज़मानत पर रिहा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेलों में अत्यधिक भीड़ है और क़ैदियों के रहने की स्थिति भयावह है. ऐसे में अगर मुक़दमे समय पर समाप्त नहीं होते हैं, तो व्यक्ति के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा.

यूपी की जेलों में 75% से ज़्यादा क़ैदी अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी से हैं: सरकार

गृह मंत्रालय ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि 2021 तक उत्तर प्रदेश में 90,606 विचाराधीन क़ैदी थे, जिनमें से 21,942 अनुसूचित जाति, 4,657 अनुसूचित जनजाति और 41,678 ओबीसी वर्ग के थे. एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्रालय ने यह भी बताया कि सज़ा पूरी होने के बाद जुर्माना राशि का भुगतान न करने के कारण 1,410 अपराधी देश की जेलों में बंद हैं.

निचली अदालतों ने पिछले वर्ष 165 दोषियों को सुनाई मौत की सज़ा; वर्ष 2000 के बाद सबसे अधिक: रिपोर्ट

राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के ‘प्रोजेक्ट 39ए’ के तहत जारी वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक मौत की सज़ा उत्तर प्रदेश में (100 दोषियों को) सुनाई गई. वहीं, गुजरात में 61, झारखंड में 46, महाराष्ट्र में 39 और मध्य प्रदेश में 31 दोषियों को मौत की सज़ा दी गई है.

अदालत ने समय-पूर्व रिहाई की याचिका से निपटने में देरी पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी

शीर्ष अदालत ने एक याचिका का निपटारा करने में अधिकारियों द्वारा देरी किए जाने पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि समय-पूर्व रिहाई का आवेदन सितंबर 2019 से लंबित है और फतेहगढ़ केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा इस साल पांच जनवरी को जारी किए गए हिरासत प्रमाण-पत्र के अनुसार, दोषी बिना किसी छूट के कुल 15 साल और 14 दिन की सज़ा काट चुका है.

यूपी कारागार महानिदेशक बताएं, क़ैदियों की समय-पूर्व रिहाई के लिए क्या क़दम उठाए गए: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने दोषियों की समय-पूर्व रिहाई के संबंध में अदालत के पहले के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने पिछले साल राज्य सरकार से 2018 की अपनी नीति में निर्धारित मानदंडों का पालन करने के लिए चार महीने के भीतर 512 क़ैदियों की समय से पहले रिहाई के मुद्दे पर विचार करने के लिए कहा था. 

झारखंड: किन वजहों से जेलों में बंद रहने को मजबूर हैं आदिवासी और हाशिये से आने वाले लोग

बीते दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छोटे-मोटे अपराधों में जेल की सज़ा काट रहे आदिवासियों की दुर्दशा का ज़िक्र किया था, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस बात का संज्ञान लिया था. झारखंड की जेलों में भी कई ऐसे विचाराधीन क़ैदी हैं, जिन्हें यह जानकारी तक नहीं है कि उन्हें किस अपराध में गिरफ़्तार किया गया था.

जेल में बंद आदिवासियों पर राष्ट्रपति के बयान के बाद कोर्ट ने ऐसे क़ैदियों पर रिपोर्ट तलब की

बीते 26 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के अलावा अपने गृह राज्य ओडिशा के ग़रीब आदिवासियों को लेकर कहा था कि ज़मानत राशि भरने के लिए पैसे की कमी के कारण वे बेल मिलने के बावजूद जेल में हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के जेल अधिकारियों को ऐसे क़ैदियों का ब्योरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.

दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश, संक्रामक बीमारियों वाले क़ैदियों के लिए आईसोलेशन वॉर्ड बनाएं

दिल्ली हाईकोर्ट ने संक्रामक रोग से ग्रस्त एक क़ैदी को अंतरिम ज़मानत देते हुए कहा कि संक्रामक बीमारी से जूझ रहे किसी व्यक्ति को पृथकवास की व्यवस्था के बगैर जेल में रहने की अनुमति दिया जाना चिंता का विषय है.

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