सड़क दुर्घटना में किसी की मृत्यु के बाद जुटी भीड़ का आक्रोश केवल दोषी वाहनचालक के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि यातायात को नियंत्रित करने में विफलता के लिए सरकार के ख़िलाफ़ भी है, और यह भी साबित करता है कि मनुष्य का मोल अभी बरक़रार है. बंगाल की सांस्कृतिक-राजनीतिक बारीकियों पर केंद्रित इस स्तंभ की पहली क़िस्त.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010 और 2021 के बीच दुनिया भर में सड़क यातायात से होने वाली मौतें 5 प्रतिशत घटकर 1.19 लाख सालाना हो गईं. हालांकि, भारत में मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. यहां सड़क यातायात से होने वाली मौतों की कुल संख्या 2010 में 1.34 लाख से बढ़कर 2021 में 1.54 लाख हो गई.
केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि दुर्घटना करने वाले वाहन का बीमा नहीं होने की स्थिति में भी सड़क हादसों के पीड़ितों को मुआवज़ा देने के लिए अब एक योजना है. केंद्र ने अदालत से इस बदलाव को पूरे देश में लागू करने के लिए छह महीने का समय देने का आग्रह किया. अदालत ने क़ानूनी प्रावधानों को छह महीने में लागू करने का निर्देश दिया है.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अनंतिम प्रमाण पत्र जारी करने से पहले सड़क सुरक्षा से संबंधित सभी काम पूरे हैं. घटिया सड़क इंजीनियरिंग कार्यों के चलते हुई किसी भी घातक सड़क दुर्घटना के लिए क्षेत्रीय अधिकारी/परियोजना निदेशक/स्वतंत्र अभियंता ज़िम्मेदार होंगे.
पुलिस के मुताबिक़, ठाणे के घोड़बंदर और पालघर ज़िले के दपचारी के बीच मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग के 100 किलोमीटर के हिस्से में इस साल अब तक 262 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें कम से कम 62 लोगों की मौत हुई है और 192 लोग घायल हुए हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2020 में यातायात संबंधी दुर्घटनाओं की संख्या 3,68,828 रही, जो 2021 में बढ़कर 4,22,659 हो गई. इन यातायात दुर्घटनाओं में 2021 के दौरान 3,73,884 लोग घायल हुए और 1,73,860 लोगों की मौत हो गई. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 24,711 लोगों की मौत हुई.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में 30.1 प्रतिशत मौतें और 26 प्रतिशत चोट की घटनाएं हेलमेट और 11 प्रतिशत से अधिक मौतें और घायल होने की घटनाएं सीट बेल्ट का उपयोग न करने के कारण हुईं.
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क हादसों पर चिंता जताई और कहा कि सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या में भारत पहले नंबर पर है और घायलों की संख्या के मामले में तीसरे नंबर पर है. उनके अनुसार, वर्ष 2020 में सड़क हादसे में मरने वालों में 18 से 45 वर्ष के लोगों का प्रतिशत 69.80 प्रतिशत था.
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में सड़क दुर्घटनाओं के चलते रोजाना 415 मौतें होती हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक है.
पहला हादसा उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले में, जबकि दूसरा हादसा कानपुर ज़िले में हुआ है. कानपुर में हुए हादसे में 12 लोग घायल भी हुए हैं.
इस बीच रेलवे ने दूसरे राज्यों में फंसे मज़दूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए ट्रेनों को पूरी क्षमता के साथ चलाने को कहा है. हर ट्रेन में 24 कोच होंगे और हर कोच में 72 सीट पर 72 यात्री होंगे. वर्तमान में एक कोच में सामाजिक दूरी के नियमों के तहत हर कोच में 54 लोगों को बैठाया जा रहा था.
केंद्र द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जनवरी से सितंबर की तुलना में इस साल सितंबर तक सड़क हादसों में 2.2 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन इन हादसों में मरने वालों की संख्या 0.2 प्रतिशत बढ़ गई है.
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 में देश में सड़क दुर्घटनाओं में तक़रीबन 1.50 लाख लोग, 2017 में 1.47 लाख लोग और साल 2018 में 1.51 लाख लोग मारे गए.
कर्नाटक के तीन उप-मुख्यमंत्रियों में से एक गोविंद करजोल ने कहा कि अच्छी सड़कें होने के कारण बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं, जहां लोग 120 से 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं.
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मोटर वाहन अधिनियम में हुए संशोधन के बाद निर्धारित जुर्माना राशि घटा दी है. इसके बाद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जुर्माने का उद्देश्य राजस्व नहीं बल्कि ज़िंदगियां बचाना है.