लोकसभा में पेश कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय द्वारा वापस की गई धनराशि मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए ‘कम आवश्यकता’ के कारण है.
राजस्थान के भीड़वाड़ा ज़िले में एक कार्यक्रम के दौरान भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने कहा कि यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि आज की राजनीति में अनुसूचित जाति के सदस्यों को खुलकर बोलने की आज़ादी नहीं है. अगर वे खुलकर बोलते हैं तो उनका टिकट कट जाता है.
जोशीमठ शहर में भूमि धंसाव से प्रभावित लोगों के लिए चल रहे राहत कार्य के बीच अनुसूचित जाति के कुछ रहवासियों ने जाति के कारण उपेक्षा किए जाने की शिकायत की है. उत्तराखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग का कहना है कि वे इसकी जांच करेंगे और आरोप सही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.
छत्तीसगढ़ में आरक्षण का दायरा 76 प्रतिशत तक बढ़ाने वाले दो संशोधन विधेयक राज्यपाल के पास सहमति के लिए लंबित हैं, जिन्होंने अपनी स्वीकृति देने से पहले राज्य की कांग्रेस सरकार से 10-बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा था. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन पर विधेयकों को रोकने और एक वैधानिक निकाय को कमज़ोर करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.
उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले का मामला. पादरी पर दलित समाज के लोगों को धर्म परिवर्तन का उपदेश देने के आरोप लगा था. पुलिस ने बताया कि बजरंग दल के एक पदाधिकारी की शिकायत पर उनके ख़िलाफ़ धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. प्रदेश के बलिया ज़िले में ऐसी ही एक अन्य घटना में एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है.
राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में वर्तमान में संयुक्त सचिव और सचिव का पद रखने वाले 322 अधिकारी हैं, जिनमें अनुसूचित जाति के 16, अनुसूचित जनजाति के 13, अन्य पिछड़ा वर्ग के 39 और सामान्य श्रेणी के 254 कर्मचारी हैं.
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित विधेयकों के अनुसार, राज्य में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही राज्य में आरक्षण का कुल कोटा 76 प्रतिशत हो गया है.
मामला जोधपुर के सूरसागर का है. पुलिस का कहना है कि पीड़ित और आरोपी दोनों पड़ोसी थे. मोहल्ले से होकर गुजरने वाली एक सार्वजनिक पाइपलाइन से पानी लेने को लेकर दोनों पक्षों के बीच टकराव हुआ और मृतक के साथ मारपीट की गई. मामले के तीन आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया है.
केरल हाईकोर्ट ने एक श्रम अदालत में पीठासीन अधिकारी के तौर पर सत्र न्यायाधीश एस. कृष्ण कुमार के तबादले को रद्द करते हुए कहा कि यह उनके प्रति न केवल पूर्वाग्रह और दुर्भावना से भरा फैसला था, बल्कि इससे राज्य में न्यायिक अधिकारियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता.
गै़र-सरकारी संगठन ‘ऑक्सफैम इंडिया’ और समाचार वेबसाइट ‘न्यूजलॉन्ड्री’ द्वारा अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच की अवधि में की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्यधारा के किसी भी मीडिया घराने में अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोग नेतृत्व की भूमिका में नहीं थे.
एक आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक़, नौ आईआईएम के पीएचडी दाखिले के आंकड़े बताते हैं कि बीते पांच सालों में एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणी के तहत आए छात्रों का अनुपात औसतन पांच फीसदी से कम रहा है. वहीं, सभी आईआईएम में ओबीसी और एससी फैकल्टी के लिए आरक्षित 60 फीसदी और एसटी फैकल्टी के 80 फीसदी से अधिक पद ख़ाली रहते हैं.
मध्य प्रदेश के शाजापुर ज़िले के एक गांव का मामला. आरोप है कि दलित समुदाय की 16 वर्षीय लड़की स्कूल से पढ़कर घर लौट रही थी, जब कुछ लोगों ने उसका रास्ता रोक बस्ता छीना और उससे स्कूल नहीं जाने को कहा, क्योंकि गांव की अन्य लड़कियां भी स्कूल नहीं जाती हैं. इसी बात को लेकर लड़की के परिवार और आरोपियों के परिजनों के बीच मारपीट हो गई थी.
तमिलनाडु के तंजावुर में कुंभकोणम के पास अंतरजातीय विवाह करने युगल को सुलह करने के बहाने युवती के भाई और उसके साले ने घर बुलाया था, जहां उनकी हत्या कर दी गई. चेन्नई के एक निजी अस्पताल में नर्स के रूप में कार्यरत सरण्या अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखती थीं और पिछले हफ्ते उन्होंने पिछड़ा वर्ग से आने वाले पी. मोहन से परिवार की मर्ज़ी के बिना शादी कर ली थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज एक प्राथमिकी को शिकायतकर्ता और आरोपियों के बीच हुए समझौते के आधार पर रद्द करने से इनकार कर दिया और कहा कि जब तक इस क़ानून को इसकी वास्तविक भावना में लागू नहीं किया जाता तब तक जाति आधारित भेदभाव से रहित समाज का सपना दूर की कौड़ी बना रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि राज्य सरकारें एससी/एसटी के प्रतिनिधित्व में कमी संबंधी आंकड़े एकत्र करने के लिए बाध्य हैं.