कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: जो हो रहा है और जिसकी हिंसक आक्रामकता बढ़ती ही जा रही है, उसमें लेखकों को साहित्य को एक तरह का अहिंसक सत्याग्रह बनाना ही होगा और यही नए अर्थ में प्रतिबद्ध होना है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर केंद्र और छह राज्यों - महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश तथा हरियाणा - से जवाब मांगा है. याचिका में दावा किया गया है कि शीर्ष अदालत के 2018 के फैसले में राज्यों को लिंचिंग सहित घृणा अपराधों के ख़िलाफ़ निर्णायक कार्रवाई करने का निर्देश देने के बावजूद मुसलमानों के ख़िलाफ़ ऐसे मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है.
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 और 2022-23 के बीच कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार और हरियाणा सहित दर्जनभर से अधिक राज्यों में लिंग अनुपात में गिरावट देखी गई.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: रज़ा के देहावसान को सात बरस हो गए. इन सात बरसों में उनकी कला की समझ-पहचान और व्याप्ति उनके मातृदेश के अलावा संसार भर में बहुत बढ़ी है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: देश में घृणा, परस्पर अविश्वास, भेदभाव, अन्याय, झूठ, अफ़वाह सभी में अद्भुत विस्तार हुआ है. राजनीति, मीडिया, धर्म, सामाजिक आचरण सभी मर्यादाहीन होने में कोई संकोच नहीं करते. राजनीति की सर्वग्रासिता, सार्वजनिक ओछापन-टुच्चापन लगभग अनिवार्य माने जाने लगे हैं.
जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को भीड़ द्वारा हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कई दिशानिर्देश दिए थे. अब अदालत ने 2018 से ऐसी हिंसक घटनाओं के संबंध में दर्ज की गई शिकायतों, एफआईआर और अदालतों में पेश किए गए चालान से संबंधित वर्षवार डेटा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की अरुणाचल प्रदेश इकाई ने राज्य की विविध बहुजातीय और बहु-आदिवासी संरचना के साथ-साथ इसकी मजबूत प्रथागत और पारंपरिक पहचान का हवाला देते हुए समान नागरिक संहिता के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया है.
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ज़िले का मामला. पुलिस के अनुसार, नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान के दौरान एक संदिग्ध मादक पदार्थ तस्कर को गिरफ़्तार कर ले जाते समय उनकी मां ने इसका विरोध करते हुए कार के बोनट पर लटक गईं. पुलिसकर्मी महिला को कार की बोनट पर लटकाकर पुलिस स्टेशन तक लेते चले गए थे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुओं को संगठित करना मुसलमानों और ईसाइयों का विरोध नहीं है. कभी-कभी किसी क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है. कभी-कभी जैसे को तैसा जैसी प्रतिक्रिया होती है, लेकिन सही मायने में शांति और सहिष्णुता हिंदुत्व के मूल्य हैं.
छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने कहा कि आदिवासी समाज में समान नागरिक संहिता लागू करना अव्यावहारिक लगता है. यह आदिवासी समाज के सदियों से चली आ रहे विशिष्ट रीति-रिवाजों को प्रभावित कर सकता है, जिससे इन समुदायों की पहचान और अस्तित्व को ख़तरा पैदा हो सकता है.
हाल में कई ग़ैर-सरकारी संगठनों के विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द या निलंबित किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए पूर्व नौकरशाहों ने एक पत्र में कहा कि मतभेद या असहमति की हर अभिव्यक्ति को देश की अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन या जनहित के ख़िलाफ़ नहीं माना जा सकता है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल में ज़हराब की बाढ़-सी लाने का सोचा-समझा और राजनीतिक रूप से वोट-खींचू अभियान शुरू हो गया है. उसका लक्ष्य बढ़ती विषमताओं, बेरोज़गारी, महंगाई आदि के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटा सांप्रदायिकता-हिंसा, भेदभाव और सामाजिक समरसता के भंग को बढ़ावा देना है.
मुंबई के मीरा रोड पर निजी हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले एक मुस्लिम दंपति पर बकरीद से पहले अपने फ्लैट में बकरियां लाने के कारण कथित तौर पर भीड़ द्वारा हमला किया गया था. इस संबंध में एक केस दर्ज किया गया है. अब दंपति के ख़िलाफ़ महिलाओं पर हमला, शांतिभंग, आपराधिक धमकी के आरोप में एफ़आईआर दर्ज की गई है.
महाराष्ट्र के ठाणे जिले का मामला. मीरा रोड पर एक निजी कॉलोनी में रहने वाले एक मुस्लिम दंपति ने बकरीद पर कुर्बानी के लिए दो बकरियां अपने फ्लैट में रखी थी. कॉलोनी के कुछ लोगों ने कथित तौर पर इसका विरोध कर उनके साथ मारपीट की. पुलिस ने 11 लोगों के ख़िलाफ़ दंगा और छेड़छाड़ के आरोप में केस दर्ज किया है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता के वितान में उच्छल भावप्रवणता और बौद्धिक प्रखरता, कस्बाई संवेदना और कठोर नागरिक चेतना, कुआनो नदी और दिल्ली, बेचैनी-प्रश्नाकुलता और वैचारिक उद्वेलन आदि सभी मिलते हैं.