सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभय एस. ओका ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में प्रति 10 लाख लोगों पर 50 न्यायाधीशों की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में यह आंकड़ा प्रति दस लाख लोगों पर केवल 21 का है, जिससे अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है.
दो दिन पहले दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र में एक व्यक्ति और उनके आठ वर्षीय बेटे के खुले सीवर में गिरने की ख़बर को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली सरकार और शहर के पुलिस प्रमुख को नोटिस भेजते हुए कहा है कि वह इस घटना के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई के बारे में भी जानना चाहता है.
एचआईवी/एड्स के साथ-साथ अन्य कई शारीरिक अक्षमताओं व बीमारियों से पीड़ित लोगों, जिन्हें परिवारों द्वारा छोड़ दिया गया था और जो निराश्रित हैं, द्वारा दायर एक जनहित याचिका सुनते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार प्रभावित रोगियों की शिकायतों से निपटने वाले क़ानून का सख़्ती से अनुपालन सुनिश्चित करे.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: ध्रुपद के उत्कर्ष के समय इतने तरह के संगीत नहीं थे जितने आज ख़याल की व्याप्ति के वक़्त हैं. ख़याल के ख़ुद को बचाने के संघर्ष की अनदेखी नहीं होनी चाहिए. जैसे आधुनिकता एक स्थायी क्रांति है और बाद के सभी परिवर्तन उसी में होते रहे हैं, वैसे ही ख़याल भी स्थायी क्रांति है.
मुग़लों और सिख नेताओं में संघर्ष हुआ, लेकिन सिखों ने इस तथ्य को आज मुसलमानों पर हिंसा की राजनीति के लिए इस्तेमाल करने से गुरेज़ किया है. आरएसएस और भाजपा को यह बात खलती रही है. वे सिखों को मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा में शामिल करना चाहते हैं. इसलिए वे गुरु गोविंद सिंह या गुरु तेग़ बहादुर को याद करते हैं. इरादा इन्हें याद करने का जितना नहीं, उतना इस बहाने मुग़लों की ‘क्रूरता’ की याद को ज़िंदा रखने का
केंद्र की मोदी सरकार की पहल पर 26 दिसंबर को सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के बेटों ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत के उपलक्ष्य ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया गया. तमाम सिख संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस दिन को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाना महान शहादत को कमतर करने की एक दुर्भावनापूर्ण साज़िश है.
घटना सलेम के विरुदासमपट्टी में शक्ति मरियम्मन मंदिर में हुई, जहां कथित उच्च जाति की महिलाओं ने मंदिर में आयोजित एक पूजा में दलित श्रद्धालुओं को प्रवेश से रोक दिया. अधिकारियों के समझाने के बाद भी जब वे लोग दलितों को मंदिर में आने देने के लिए सहमत नहीं हुए तो राजस्व अधिकारियों ने मंदिर सील कर दिया.
गुजरात के वडोदरा स्थित महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय परिसर में दो दिन पहले एक दंपति द्वारा नमाज़ पढ़ने का वीडियो सामने आने के बाद दो छात्रों द्वारा भी नमाज़ अदा करने का एक वीडियो वायरल हो गया है. विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने घटना के पीछे साज़िश का आरोप लगाते हुए उस स्थान पर गंगाजल छिड़क हनुमान चालीसा का पाठ किया है.
गुजरात के खेड़ा ज़िले का मामला. बीएसएफ जवान अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ नाबालिग बेटी का आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित करने का विरोध करने के लिए आरोपी युवक के घर गए थे. इस दौरान आरोपियों ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी, जिससे उनकी मौत हो गई. पुलिस ने मामले के सात आरोपियों को गिरफ़्तार किया है.
उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले का मामला. पादरी पर दलित समाज के लोगों को धर्म परिवर्तन का उपदेश देने के आरोप लगा था. पुलिस ने बताया कि बजरंग दल के एक पदाधिकारी की शिकायत पर उनके ख़िलाफ़ धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. प्रदेश के बलिया ज़िले में ऐसी ही एक अन्य घटना में एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है.
मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले का मामला. पुलिस के अनुसार, 24 वर्षीय आरोपी युवक ने विवाद के बाद कथित तौर पर अपनी 19 वर्षीय प्रेमिका के साथ बेरहमी से मारपीट की थी. ड्राइवर के रूप में काम करने वाले आरोपी को मिर्ज़ापुर से गिरफ़्तार किया गया है. उसका ड्राइविंग लाइसेंस भी प्रशासन ने कैंसिल कर दिया है.
अयोध्या में 18वीं शताब्दी में वर्ण-व्यवस्था का अतिक्रमण कर जाति, संप्रदाय, हिंसा व जीव हत्या का मुखर विरोध व सामाजिक समानता की पैरोकारी करने वाले संत पलटूदास को अजात घोषित कर ज़िंदा जला देना इस बात का प्रमाण है कि देश में पागलपन में शामिल न होने वालों को मार देने का सिलसिला बहुत पुराना है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विडंबना मनुष्य मात्र की स्थिति का अनिवार्य अंग है, कोई समाज विडंबनाओं में फंसा हो, तो यह अस्वाभाविक नहीं है. हिंदी के सिलसिले में कहूं, तो इस अंचल में जैसे-जैसे शिक्षा, साक्षरता का प्रसार हुआ है वैसे-वैसे उसमें सांप्रदायिकता, धर्मांधता, जातिमूलक कट्टरता भी साथ-साथ बढ़ती गई.
राज्यसभा में केंद्र सरकार ने लिव इन संबंधों को पंजीकृत करने के लिए कोई व्यवस्था शुरू करने और ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के बारे में पूछे गए एक सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि लिव-इन संबंध, जो विवाह की प्रकृति के होते हैं, घरेलू हिंसा क़ानून के प्रावधानों के अंतर्गत आते हैं.
वीडियो: बीते दिनों कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन ने नागरिक स्वतंत्रता और सेंसरशिप पर टिप्पणी की थी, जिसे मुख्यधारा के मीडिया में न के बराबर तवज्जो दी गई. इससे जुड़े व्यापक संदर्भ में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की बातचीत.