साहित्य और समाज के रिश्ते का सरलीकरण नहीं किया जा सकता

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: कई बार लगता है कि साहित्य और समाज, परिवर्तन और व्यक्ति के संबंध में भूमिकाओं को बहुत जल्दी सामान्यीकृत करने के वैचारिक उत्साह में उनकी सूक्ष्मताओं और जटिलताओं को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है.

प्रेमचंद के साहित्य में स्त्रियां: परंपरा और प्रगतिशीलता का द्वंद्व

आज की संवेदनशीलता में प्रेमचंद के साहित्य में वर्णित स्त्रियां निश्चित रूप से परंपरा या पितृसत्ता के हाथों अपने अस्तित्व को मिटाती हुई नज़र आएंगी, पर उनके कथ्य को ऐतिहासिक गतिशीलता में रखकर देखें, तो नज़र आता है कि ये स्त्रियां अपने समय की परिधि, अपनी भूमिका को विस्तृत करती हैं, ऐसे समय में जब ये परिधियां अत्यंत संकरी थीं.

प्रेमचंद के लिए साहित्य राजनीति के आगे चलने वाली मशाल थी

प्रेमचंद मानते थे कि भारत न सिर्फ ब्रिटिश उपनिवेश के अधीन है बल्कि एक आंतरिक उपनिवेश भी है जो यहां के विशाल श्रमिक समाज को ग़ुलाम बनाए हुए है. जहां वे पूंजीवादी शोषण से मुक्ति की बात करते हैं, वही सामंती जकड़न, ब्राह्मणवाद, सांप्रदायिकता जैसे विचारों से भी उनका अनवरत संघर्ष चलता रहा है.

जिस विचार-विरोधी उपक्रम में कई तबके शामिल हैं, उसमें लेखक-कलाकार निश्चिंत नहीं बैठ सकते

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: जो हो रहा है और जिसकी हिंसक आक्रामकता बढ़ती ही जा रही है, उसमें लेखकों को साहित्य को एक तरह का अहिंसक सत्याग्रह बनाना ही होगा और यही नए अर्थ में प्रतिबद्ध होना है.

सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग संबंधी जनहित याचिका पर केंद्र और छह राज्यों से जवाब तलब किया

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर केंद्र और छह राज्यों - महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश तथा हरियाणा - से जवाब मांगा है. याचिका में दावा किया गया है कि शीर्ष अदालत के 2018 के फैसले में राज्यों को लिंचिंग सहित घृणा अपराधों के ख़िलाफ़ निर्णायक कार्रवाई करने का निर्देश देने के बावजूद मुसलमानों के ख़िलाफ़ ऐसे मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है.

‘बेटी बचाओ’ पर नीति आयोग की सफलता रिपोर्ट के बावजूद कई राज्यों में लिंग अनुपात में गिरावट

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 और 2022-23 के बीच कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार और हरियाणा सहित दर्जनभर से अधिक राज्यों में लिंग अनुपात में गिरावट देखी गई. 

रज़ा का मरणोत्तर कला-जीवन उनके भौतिक जीवन से कहीं बड़ा और लंबा होने जा रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: रज़ा के देहावसान को सात बरस हो गए. इन सात बरसों में उनकी कला की समझ-पहचान और व्याप्ति उनके मातृदेश के अलावा संसार भर में बहुत बढ़ी है. 

बुद्धि-आधारित समाज बनाना तो दूर, सारी कोशिश बुद्धि व विवेक शून्य समाज बनाने की है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: देश में घृणा, परस्पर अविश्वास, भेदभाव, अन्याय, झूठ, अफ़वाह सभी में अद्भुत विस्तार हुआ है. राजनीति, मीडिया, धर्म, सामाजिक आचरण सभी मर्यादाहीन होने में कोई संकोच नहीं करते. राजनीति की सर्वग्रासिता, सार्वजनिक ओछापन-टुच्चापन लगभग अनिवार्य माने जाने लगे हैं. 

सुप्रीम कोर्ट में भीड़ की हिंसा और लिंचिंग पर केंद्र, राज्य सरकारों से स्टेटस रिपोर्ट तलब की

जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को भीड़ द्वारा हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कई दिशानिर्देश दिए थे. अब अदालत ने 2018 से ऐसी हिंसक घटनाओं के संबंध में दर्ज की गई शिकायतों, एफआईआर और अदालतों में पेश किए गए चालान से संबंधित वर्षवार डेटा दाखिल करने का निर्देश दिया है.

भाजपा का सहयोगी दल अरुणाचल प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने का विरोध करेगा

भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की अरुणाचल प्रदेश इकाई ने राज्य की विविध बहुजातीय और बहु-आदिवासी संरचना के साथ-साथ इसकी मजबूत प्रथागत और पारंपरिक पहचान का हवाला देते हुए समान नागरिक संहिता के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया है.

मध्य प्रदेश: महिला को बोनट पर बिठाकर कार चलाने के आरोप में तीन पुलिसकर्मी निलंबित

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ज़िले का मामला. पुलिस के अनुसार, नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान के दौरान एक संदिग्ध मादक पदार्थ तस्कर को गिरफ़्तार कर ले जाते समय उनकी मां ने इसका विरोध करते हुए कार के बोनट पर लटक गईं. पुलिसकर्मी महिला को कार की बोनट पर लटकाकर पुलिस स्टेशन तक लेते चले गए थे.

आरएसएस ने कभी हिंसा को स्वीकार नहीं किया: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुओं को संगठित करना मुसलमानों और ईसाइयों का विरोध नहीं है. कभी-कभी किसी क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है. कभी-कभी जैसे को तैसा जैसी प्रतिक्रिया होती है, लेकिन सही मायने में शांति और सहिष्णुता हिंदुत्व के मूल्य हैं.

समान नागरिक संहिता आदिवासियों की पहचान, पारंपरिक प्रथाओं लिए ख़तरा: सर्व आदिवासी समाज

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने कहा कि आदिवासी समाज में समान नागरिक संहिता लागू करना अव्यावहारिक लगता है. यह आदिवासी समाज के सदियों से चली आ रहे विशिष्ट रीति-रिवाजों को प्रभावित कर सकता है, जिससे इन समुदायों की पहचान और अस्तित्व को ख़तरा पैदा हो सकता है.

पूर्व नौकरशाहों ने गृह मंत्री को लिखा- एफसीआरए लाइसेंस को लेकर एनजीओ का उत्पीड़न बंद करें

हाल में कई ग़ैर-सरकारी संगठनों के विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द या निलंबित किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए पूर्व नौकरशाहों ने एक पत्र में कहा कि मतभेद या असहमति की हर अभिव्यक्ति को देश की अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन या जनहित के ख़िलाफ़ नहीं माना जा सकता है.

हिंदी अंचल को अपनी प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करना चाहिए

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल में ज़हराब की बाढ़-सी लाने का सोचा-समझा और राजनीतिक रूप से वोट-खींचू अभियान शुरू हो गया है. उसका लक्ष्य बढ़ती विषमताओं, बेरोज़गारी, महंगाई आदि के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटा सांप्रदायिकता-हिंसा, भेदभाव और सामाजिक समरसता के भंग को बढ़ावा देना है.

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