प्रदर्शन के दौरान लेह अपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की ओर से कहा गया कि इस सरकार के रवैये को देखते हुए हमने अपना आंदोलन तेज़ करने का फैसला किया है. यह विरोध उसी का हिस्सा है. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम हड़ताल पर चले जाएंगे.
केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के करगिल और लेह ज़िलों में स्थानीय संगठनों के नेतृत्व में लोगों ने सड़कों पर रैली निकालकर राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग के साथ-साथ लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की भी मांग की.
परिसीमन आयोग ने 16 सीट अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षित करते हुए जम्मू क्षेत्र में छह और कश्मीर में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी का मानना है कि परिसीमन की क़वायद का मूल आधार ही अवैध है.
विधानसभा क्षेत्रों की सीमा को नए सिरे से निर्धारित करने के मक़सद से गठित परिसीमन आयोग के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए पीडीपी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने कहा कि आयोग ने उसकी सिफ़ारिशों में आंकड़ों के बजाय भाजपा के राजनीतिक एजेंडा को तरजीह दी है.
जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के रंगरेथ इलाके में बीते 13 दिसंबर को हुई गोलीबारी में दो आतंकी मारे गए थे. इसके विरोध में महिलाओं ने प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या की जा रही है और इन हत्याओं को लेकर जारी आधिकारिक बयानों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था. विभिन्न राजनीतिक दल, ख़ासकर जम्मू एवं कश्मीर के राजनीतिक दल अक्सर केंद्र से राज्य का दर्जा देने और चुनाव कराए जाने की मांग करते रहे हैं.
इससे पहले जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से आतंकी हमलों में मरने वाले नागरिकों की संख्या बढ़ने की बात सामने आई थी. केंद्र ने बताया था कि मई 2014 से पांच अगस्त 2019 के बीच हुए आतंकी हमलों में 177 नागरिक मारे गए थे. उसके बाद नवंबर 2021 तक 27 महीनों में 87 नागरिकों की मौत हुई. इनमें से 40 से अधिक की मृत्यु इसी साल हुई है.
भाजपा महासचिव अशोक कौल ने कहा कि जब आम आदमी बिना किसी डर के मुक्त रूप से घूमने लगेगा तो केंद्रशासित प्रदेश के राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. इस बयान की निंदा करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि निशाना बनाकर की गईं हत्याएं केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन की ‘सामूहिक विफलता’ को दर्शाती हैं.
लद्दाख एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. स्थानीय निवासियों के विशेष अधिकारों की मांग को नज़रअंदाज़ करने के बाद शनिवार को उन्होंने कारगिल और लेह ज़िलों में पूर्ण बंद का आह्वान किया था.
पांच अगस्त, 2019 को मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे़ को समाप्त कर दिया था. इसकी दूसरी वर्षगांठ पर गुपकर गठबंधन की ओर से कहा गया कि सरकार ने कहा है कि राज्य का दर्जा उचित समय आने पर तभी बहाल होगा, जब हालात सामान्य होंगे. इसका मतलब है कि स्थिति असामान्य बनी हुई है और शांति बहाल करने के दावे के साथ पांच अगस्त 2019 को लिए गए इस दुर्भाग्यपूर्ण फैसले से कुछ हासिल नहीं हुआ.
5 अगस्त, 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे़ को समाप्त कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था. गुपकर गठबंधन ने कहा कि भाजपा का ‘नया कश्मीर’ का झांसा एक मज़ाक बन गया है.
जम्मू कश्मीर एकमात्र ऐसा राज्य/केंद्र शासित प्रदेश है, जहां 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन होगा. अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का परिसीमन 2021 की जनगणना के अनुसार किया जाना है. जम्मू कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन को लेकर जम्मू की भाजपा इकाई ने 2011 की जनगणना के इस्तेमाल का विरोध किया. उसने कहा कि इन आंकड़ों में हेराफेरी की गई थी, इसलिए वोटर लिस्ट के आधार पर जनसंख्या की गणना की जानी चाहिए.
जम्मू कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन की बड़ी कवायद को लेकर चार दिवसीय दौरे पर श्रीनगर पहुंचे जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग ने विभिन्न दलों के नेताओं से संवाद किया. बीते 24 जून को केंद्र शासित प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के साथ सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिसीमन प्रक्रिया में उनकी भागीदारी की मांग की थी.
नवगठित ‘जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी’ के एक शिष्टमंडल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. गृह मंत्री ने हिरासत में रखे गए नेताओं की रिहाई को आश्वासन दिया.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली को राज्य नहीं माना जा सकता और ऐसा करने से निश्चित रूप से अव्यवस्था फैलेगी.