हम शांतिपूर्ण मार्च चाहते थे, लेकिन लेह को सरकार ने युद्धक्षेत्र में बदला: सोनम वांगचुक

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और लद्दाख के नागरिक रविवार को लेह से चांगथंग तक के लिए एक मार्च निकालने वाले थे, जिसे 'पश्मीना मार्च' नाम दिया गया था. हालांकि, इसे मोदी सरकार द्वारा धारा 144 लगाने समेत अन्य कड़े कदम उठाए जाने के चलते रद्द कर दिया गया.

लद्दाख किसी उपनिवेश की तरह हो गया है, जिसे दूर-दराज़ से आए अधिकारी चला रहे हैं: सोनम वांगचुक

लद्दाख के लिए राज्य के दर्जे और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जे के मांग के समर्थन में 21 दिन के अनशन पर बैठे सोनम वांगचुक ने कहा कि भारत सरकार लद्दाख के लोगों की वास्तविक मांगों के प्रति 'बेहद लापरवाह और असंवेदनशील' रही है. अपनी मांगों के प्रति सरकार के इस रवैये के कारण लद्दाखवासी बहुत निराश, हताश और मायूस हैं.

अमित शाह से मुलाकात के बाद लद्दाख के नेताओं ने कहा- राज्य के दर्जे के लिए बातचीत विफल रही

केंद्र शासित प्रदेश के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की 4 मार्च को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद पूर्व भाजपा सांसद थुपस्तान छेवांग ने कहा कि गृह मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि छठी अनुसूची के तहत न तो राज्य का दर्जा दिया जा सकता है और न ही गारंटी दी जा सकती है.

पूर्ण राज्य, विशेष दर्जा देने की बात नहीं हुई तो गृह मंत्रालय की बैठक में शामिल नहीं होंगे: लद्दाख के नेता

उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की बैठक से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय के समिति से मिलने वाले लद्दाख के नेताओं ने कहा है कि अगर एजेंडा में राज्य का दर्जा और विशेष दर्जे पर बातचीत शामिल नहीं हुई तो वे आगामी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे.

‘नरेंद्र मोदी को कश्मीर की असली समस्याओं के बारे में कुछ पता नहीं है’

पत्रकार करण थापर से बात करते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि कश्मीर की समस्या सिर्फ कश्मीरियों ने पैदा नहीं की है, पचास फीसदी दिल्ली ने पैदा की है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार ने कभी इस सूबे में निष्पक्ष चुनाव नहीं करवाए, एक बार तो नतीजे ही बदल दिए थे.

लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग के बीच केंद्र ने कहा- वहां किसी बाहरी ने ज़मीन नहीं खरीदी

केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि 2019 के बाद से न तो किसी बाहरी व्यक्ति ने लद्दाख में कोई ज़मीन खरीदी है और न ही किसी बाहरी कंपनी ने इस केंद्रशासित प्रदेश में निवेश किया है. केंद्र ने जोड़ा कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में पिछले तीन वर्षों में 185 बाहरी लोगों ने ज़मीन खरीदी है.

लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी दिल्ली पहुंचे

साल 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और और तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के बाद लद्दाख क्षेत्र के लोग भारत के अन्य आदिवासी क्षेत्रों को संविधान की छठी अनुसूची के तहत प्रदान किए गए संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं, जिससे उनकी जनसांख्यिकी, नौकरी और भूमि की रक्षा हो.

लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने समेत अन्य मांगों को लेकर जम्मू में प्रदर्शन

प्रदर्शन के दौरान लेह अपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की ओर से कहा गया कि इस सरकार के रवैये को देखते हुए हमने अपना आंदोलन तेज़ करने का फैसला किया है. यह विरोध उसी का हिस्सा है. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम हड़ताल पर चले जाएंगे.

लद्दाख: केंद्रशासित प्रदेश के रूप में तीन साल पूरे, राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन

केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के करगिल और लेह ज़िलों में स्थानीय संगठनों के नेतृत्व में लोगों ने सड़कों पर रैली निकालकर राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग के साथ-साथ लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की भी मांग की.

परिसीमन आयोग की सिफ़ारिशों के ख़िलाफ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट जाएगी: फ़ारूक़ अब्दुल्ला

परिसीमन आयोग ने 16 सीट अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षित करते हुए जम्मू क्षेत्र में छह और कश्मीर में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी का मानना है कि परिसीमन की क़वायद का मूल आधार ही अवैध है. 

परिसीमन आयोग ने जम्मू में 6, कश्मीर के लिए 1 अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव दिया, विरोध में क्षेत्रीय दल

विधानसभा क्षेत्रों की सीमा को नए सिरे से निर्धारित करने के मक़सद से गठित परिसीमन आयोग के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए पीडीपी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने कहा कि आयोग ने उसकी सिफ़ारिशों में आंकड़ों के बजाय भाजपा के राजनीतिक एजेंडा को तरजीह दी है.

कश्मीर: एनकाउंटर के ख़िलाफ़ प्रदर्शन और देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में मां-बेटी गिरफ़्तार

जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के रंगरेथ इलाके में बीते 13 दिसंबर को हुई गोलीबारी में दो आतंकी मारे गए थे. इसके विरोध में महिलाओं ने प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या की जा रही है और इन हत्याओं को लेकर जारी आधिकारिक बयानों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा उपयुक्त समय पर, चुनाव कराना निर्वाचन आयोग का अधिकार: सरकार

अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था. विभिन्न राजनीतिक दल, ख़ासकर जम्मू एवं कश्मीर के राजनीतिक दल अक्सर केंद्र से राज्य का दर्जा देने और चुनाव कराए जाने की मांग करते रहे हैं.

जम्मू कश्मीर में 2017 से 2021 के बीच हर साल 37 से 40 आम नागरिकों की हत्या हुई: केंद्र

इससे पहले जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से आतंकी हमलों में मरने वाले नागरिकों की संख्या बढ़ने की बात सामने आई थी. केंद्र ने बताया था कि मई 2014 से पांच अगस्त 2019 के बीच हुए आतंकी हमलों में 177 नागरिक मारे गए थे. उसके बाद नवंबर 2021 तक 27 महीनों में 87 नागरिकों की मौत हुई. इनमें से 40 से अधिक की मृत्यु इसी साल हुई है.

निशाना बनाकर की गईं हत्याएं बंद होने के बाद जम्मू कश्मीर राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा: भाजपा

भाजपा महासचिव अशोक कौल ने कहा कि जब आम आदमी बिना किसी डर के मुक्त रूप से घूमने लगेगा तो केंद्रशासित प्रदेश के राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. इस बयान की निंदा करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि निशाना बनाकर की गईं हत्याएं केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन की ‘सामूहिक विफलता’ को दर्शाती हैं.