मथुरा ज़िले में वृंदावन के जुगल घाट से क्रूज सेवा शुरू किए जाने के विरोध में निषाद समुदाय के नाविकों का कहना है कि इससे समुदाय के लगभग 12,000 सदस्यों की आजीविका पर ख़तरा पैदा हो जाएगा.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा हाल ही में जारी एक सर्कुलर में केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों को निर्देश दिया गया है कि विरोध प्रदर्शन समेत किसी भी रूप में हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों के ख़िलाफ़ वेतन में कटौती के अलावा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.
21 मार्च को पुरानी पेंशन योजना की बहाली के संयुक्त फोरम के बैनर तले नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन देश भर में ज़िला-स्तरीय रैलियां कर रहा है. इसे लेकर डीओपीटी ने सभी मंत्रालयों को भेजे पत्र में कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि उनके कर्मचारी किसी धरना, हड़ताल या विरोध प्रदर्शन का हिस्सा न बनें.
वीडियो: 16 मार्च की रात से उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र के कर्मचारी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए थे. राज्य सरकार के आश्वासन के बाद हड़ताल अब ख़त्म कर दी गई है, लेकिन इसके चलते राज्य में सामान्य जनजीवन ख़ासा प्रभावित हुआ था.
केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह पिछले साल दो-दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान अनुपस्थित रहे कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़े. केंद्र सरकार की कथित मज़दूर, किसान, जन और राष्ट्र-विरोधी नीतियों विरोध में ट्रेड यूनियनों द्वारा 28 और 29 मार्च 2022 को हड़ताल का आह्वान किया गया था.
महाराष्ट्र के सरकारी कॉलेजों के रेज़िडेंट डॉक्टरों की मांगों में छात्रावासों की गुणवत्ता में सुधार करना, 7वें वेतन आयोग के अनुसार डीए, कोविड सेवा बकाया का भुगतान और सहायक तथा एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरना शामिल है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान न देकर इमरजेंसी सेवाओं को बंद करने पर विचार करने के लिए उन्हें मजबूर कर रही है.
नगालैंड के सरकारी स्कूलों में कार्यरत एक हज़ार से ज़्यादा एडहॉक शिक्षक अपनी सेवा को नियमित करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. वहीं, स्कूल शिक्षा निदेशालय ने उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी देते हुए ‘काम नहीं वेतन नहीं’ का नियम लागू कर दिया है.
बीते 12 मई को बडगाम ज़िले के चादूरा तहसील कार्यालय में कार्यरत कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट्ट की उनके दफ्तर में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद घाटी से सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग को लेकर कर्मचारी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
गुजरात हाईकोर्ट ने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा और अन्य पहलुओं को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल में राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि निजी अस्पतालों में आईसीयू भूतल पर स्थित होने चाहिए और अस्पतालों के आगे के हिस्सों में लगे कांच को हटाया जाना चाहिए.
सेवा अनुबंध के नियमों के अनुसार, सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों को अपना स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद कम से कम एक वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करनी होती है. यदि कोई छात्र प्रवेश लेते समय हस्ताक्षरित अनुबंध को तोड़ना चाहता है, तो उसे 40 लाख रुपये का भुगतान करना होगा.
सीएनजी के दाम में बढ़ोतरी के कारण ऑटो और कैब चालकों के विभिन्न संगठन किराये में संशोधन की मांग कर रहे हैं. अधिकतर संगठनों ने कहा कि वे एक दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे, लेकिन ‘सर्वोदय ड्राइवर एसोसिएशन दिल्ली’ ने सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की घोषणा की है.
बैंक कर्मचारी चालू वित्त वर्ष में दो और सरकारी बैंकों का निजीकरण करने के सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ हड़ताल कर रहे हैं. हालांकि निजी क्षेत्र के बैंकों ख़ासकर एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और कोटक महिंद्रा आदि बैंकों में कामकाज सामान्य दिनों की तरह जारी रहा.
बैंकों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने बैंकिंग क़ानून (संशोधन) विधेयक 2021 के विरोध में और सरकारी बैंकों के निजीकरण के केंद्र सरकार के कथित क़दम का विरोध करते हुए 16 और 17 दिसंबर को पूरे देश में बैंकों की दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिए विनिवेश अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ ने सरकार से बैंकिंग क़ानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को वापस लेने की अपील की, जो संसद के शीतकालीन सत्र में पेश और पारित करने के लिए सूचीबद्ध है.
महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी निगम का राज्य सरकार में विलय की मांग को लेकर बीते 28 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. अदालत ने कर्मचारियों से अपने रुख़ पर पुनर्विचार करने और ड्यूटी पर वापस लौटने का भी अनुरोध किया है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में आम लोगों समेत बच्चों को सुविधाजनक और सस्ते परिवहन की कमी के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.