Tribal Communities

मध्य प्रदेश: मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए समिति बनाने की घोषणा की

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समिति बनाने की घोषणा करते हुए कहा कि भारत में अब समय आ गया है कि एक समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए. कोई व्यक्ति एक से ज़्यादा शादी क्यों करे. एक देश में दो विधान क्यों चलें, एक ही होना चाहिए.  

छत्तीसगढ़: मंत्री के विरोध के बाद कोयला खनन परियोजनाओं का काम अगले आदेश तक रोका गया

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बीते छह जून को स्थानीय लोगों के समर्थन में हसदेव अरण्य क्षेत्र का दौरा किया था और कहा था कि प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ गोली या लाठी चलाई जाएगी, तब वह सबसे पहले इसका सामना करेंगे. ज़िलाधिकारी ने कहा कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित तीन प्रस्तावित कोयला खदान परियोजनाओं पर काम​ फिलहाल रोक दिया गया है. क्षेत्र की जिन खदानों में काम चल रहा है, वे खदानें काम करती रहेंगी.

छत्तीसगढ़: सीएम के हसदेव अरण्य में खनन जारी रखने के निर्णय के बाद मंत्री बोले- पुनर्विचार हो

कोयला खदान परियोजनाओं का विरोध कर रहे ग्रामीणों के समर्थन में सरगुजा पहुंचे राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, ‘जब हमारे पास 80 साल का कोयला भंडार है और हमने 2030 तक बिजली के लिए कोयले पर निर्भरता पूरी तरह से छोड़ देने का फ़ैसला किया है, तब घने जंगलों और जैव विविधता से भरपूर हसदेव को क्यों नष्ट करें. अगर मेरे वश में होता तो मैं यहां खनन नहीं होने देता.’

हसदेव अरण्य में खनन जारी रखने के फैसले पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कायम

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश करने वालों को पहले बिजली और एयर-कंडीशनर, पंखे और कूलर का उपयोग बंद करना चाहिए और फिर इसके लिए लड़ना चाहिए. लोग दावा कर रहे हैं कि 8 लाख पेड़ काटे जाएंगे, जबकि वास्तव में इस साल सिर्फ़ 8,000 पेड़ ही काटे जाएंगे.

Moradabad: Students participate in a programme to mark 'Hindi Diwas', at a school in Moradabad, Friday, Sep 14, 2018. (PTI Photo) (PTI9_14_2018_000111B)

असम साहित्य सभा और स्टूडेंट यूनियन ने राज्य में हिंदी को अनिवार्य विषय बनाए जाने का विरोध किया

असम में विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार की उस घोषणा का विरोध किया है, जिसमें कहा गया था कि पूर्वोत्तर के आठों राज्य 10वीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने पर सहमत हो गए हैं. उन्होंने इस क़दम को ‘सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की ओर बढ़ाया गया क़दम’ क़रार दिया.

छत्तीसगढ़: सुकमा में आदिवासियों के विरोध के बाद रामायण पाठ प्रतियोगिता स्थगित

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना शुरू की थी. इसके तहत य​ह प्रतियोगिता होती है. आदिवासी समाज ने पांचवीं अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्र में मौलिक अधिकारों और आदिवासी रीति-रिवाजों के उल्लंघन का हवाला देते हुए इस आयोजन पर आपत्ति जताई थी.

मणिपुर चुनाव: राज्य के इतिहास में पहली बार जीतीं पांच महिला प्रत्याशी

भाजपा की उम्मीदवार नेमचा किपगेन ने एक बार फिर कांगपोकपी निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की. इसके अलावा चार अन्य महिलाओं ने जीत दर्ज की, जिनमें चंदेल से एसएस ओलीश (भाजपा), सैकुल से किमनेओ हाओकिप हांगसिंह (कुकी पीपुल्स अलायंस), ओइनम से इरेंगबाम नलिनी देवी (नेशनल पीपुल्स पार्टी) और नौरिया पखांगलाक्पा से सगोलशेम केबी देवी (भाजपा) शामिल हैं.

बजट में आदिवासियों की अनदेखी, बजटीय आवंटन आबादी के अनुपात में नहीं: आदिवासी अधिकार मंच

आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच ने कहा कि आम बजट में जनजातीय समुदाय की अनदेखी करते हुए उसके लिए कुल बजट की 8.6 प्रतिशत राशि के बजाय केवल 2.26 प्रतिशत राशि आवंटित की गई है.

छत्तीसगढ़ः रायपुर की धर्म संसद में हुआ हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए हथियार उठाने का आह्वान

हरिद्वार में कई अखाड़ों ने मिलकर 28 दिसंबर को 21 धार्मिक नेताओं की एक कोर समिति का गठन किया है. धार्मिक नेताओं ने बताया कि उन्होंने भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ में बदलने के अपने अभियान को तेज़ करने का भी फ़ैसला किया है. अब आगे इस तरह की तीन और धर्म संसद अलीगढ़, कुरुक्षेत्र और शिमला में होंगी.

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने लुप्तप्राय कारबोंग समुदाय पर अध्ययन का आदेश दिया

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे कारबोंग समुदाय के क्षेत्रों का दौरा करें और उनके जरूरतों का आकलन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें. त्रिपुरा में रहने वाले विभिन्न जनजातीय समुदायों में से चाईमल या चैमार, बोंग्चर, बोंग और कोरबोंग जैसे कुछ समुदायों की आबादी काफी कम है.

राज्य प्रायोजित हिंसा के ख़िलाफ़ विमुक्त और घुमक्कड़ जनजातियों ने दिखाई एकजुटता

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बीते दिनों मनाए गए एकजुटता दिवस कार्यक्रम में जनजाति समुदायों ने बताया कि किस तरह से केवल उनकी जातीय पहचान के कारण बिना किसी वॉरंट के उन्हें हिरासत में ले लिया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है, पैसे वसूले जाते हैं और महीनों-सालों तक बंदी बनाकर रखा जाता है.