बद्रीनाथ के मुख्य पुजारी ने हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित करने वाले निर्माण रोकने का आग्रह किया

उत्तराखंड के जोशीमठ में भूमि धंसने पर चिंता व्यक्त करते हुए बद्रीनाथ मंदिर के प्रमुख पुजारी ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने कहा कि न केवल एनटीपीसी परियोजना, बल्कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली सभी परियोजनाओं को रोका जाना चाहिए. हिमालय क्षेत्र एक संवेदनशील क्षेत्र है. इस पवित्र भूमि की रक्षा की जानी चाहिए.

जोशीमठ: सरकार ने संस्थानों के मीडिया से बातचीत पर रोक लगाई; इसरो ने धंसाव संबंधी रिपोर्ट वापस ली

उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने दर्जन भर सरकारी संस्थानों और वैज्ञानिक संगठनों को पत्र लिखकर कहा है कि वे जोशीमठ में भू-धंसाव के संबंध में मीडिया से बातचीत या सोशल मीडिया पर डेटा साझा न करें. इसके बाद ज़मीन धंसने के संबंध में भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जारी एक रिपोर्ट को वेबसाइट से हटा दिया गया है.

उत्तराखंड: ग्रामीणों का दावा- जोशीमठ जैसे हालात की राह पर सेलंग गांव

जोशीमठ से क़रीब पांच किलोमीटर दूर स्थित सेलंग गांव के लोगों को कहना है कि पिछले कुछ महीनों से खेतों और कई घरों में दरारें दिखाई दे रही हैं. ग्रामीण इसके लिए एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनके अनुसार, गांव के नीचे एनटीपीसी की नौ सुरंगें बनी हैं, जिससे गांव की नींव को नुकसान पहुंचा है.

बार-बार की चेतावनियों पर सरकार की उदासीनता जोशीमठ संकट की जड़: पर्यावरणविद

चिपको आंदोलन संबद्ध रहे रेमन मैग्सेसे, पद्म भूषण और गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरणवादी चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि जोशीमठ में गुप्त ख़तरों की चेतावनी दो दशक पहले राज्य सरकार को दी गई थी. एक के बाद एक अध्ययन तब तक मदद नहीं करेगा, जब तक कि सरकारें सुझावों पर कार्रवाई शुरू नहीं करतीं.

उत्तराखंड: जोशीमठ भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र घोषित, 60 से अधिक परिवारों को निकाला गया

एक अधिकारी ने बताया कि जोशीमठ की लगभग 610 इमारतों में बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे वे रहने लायक नहीं रह गई हैं. प्रभावित इमारतों की संख्या बढ़ सकती है. स्थानीय लोग इमारतों की ख़तरनाक स्थिति के लिए मुख्यत: एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जैसी परियोजनाओं और अन्य बड़ी निर्माण गतिविधियों को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं.

उत्तराखंड: आपदा के कगार पर जोशीमठ; निर्माण परियोजनाओं से घरों में दरारें पड़ीं, लोगों में आक्रोश

उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में एनटीपीसी जैसी बड़ी निर्माण परियोजनाओं के कारण इमारतों में दरारें पड़ने संबंधी चेतावनियों की अनदेखी करने को लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के ख़िलाफ़ भारी आक्रोश है. लोगों का आरोप है कि नवंबर 2021 में ही ज़मीन धंसने को लेकर प्रशासन को आगाह किया गया था, लेकिन इसके समाधान के लिए सरकार द्वारा एक साल से अधिक समय तक कोई क़दम नहीं उठाया गया.

हल्द्वानी तोड़फोड़: भाजपा नेताओं ने कोलकाता की तस्वीर ट्वीट करके भ्रामक दावे किए

कई भाजपा नेताओं ने कोलकाता में रेलवे पटरियों के किनारे बसी एक झुग्गी बस्ती की तस्वीर ट्वीट करते हुए दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में इस अतिक्रमण को वैध कर दिया है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में 4,000 से अधिक परिवारों को उस ज़मीन से बेदख़ल करने का आदेश जारी किया था, जिस पर रेलवे ने अपना दावा किया था. इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है.

हल्द्वानी में 4,000 परिवारों को हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

20 दिसंबर 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में कथित तौर पर रेलवे की ज़मीन पर बसे क़रीब 4,000 से अधिक परिवारों को हटाने का आदेश दिया था. इसके ख़िलाफ़ वहां के निवासियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था. लोगों का दावा है कि उनके पास भूमि का मालिकाना हक़ है और वे यहां 40 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं.

उत्तराखंड में धर्मांतरण रोधी सख़्त क़ानून को राज्यपाल ने मंज़ूरी दी

धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक को बीते 30 नवंबर को उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित किया गया था. इसमें ग़ैर-कानूनी धर्मांतरण को संज्ञेय और ग़ैर-जमानती अपराध बनाने के लिए अधिकतम 10 साल के कारावास की सज़ा का प्रावधान है.

उत्तराखंड विधानसभा में सख़्त प्रावधान वाला धर्मांतरण रोधी संशोधन ​विधेयक पारित

उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक-2022 में जबरन धर्म परिवर्तन के दोषियों के लिए तीन साल से लेकर 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है. अपराध करने वाले को अब कम से कम पांच लाख रुपये की मुआवज़ा राशि का भुगतान भी करना पड़ सकता है, जो पीड़ित को दी जाएगी.

उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने धर्मांतरण रोधी क़ानून को और कड़ा बनाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला लिया गया कि 2018 में बनाए गए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम को वर्तमान परिवर्तित परिस्थितियों के मद्देनज़र और अधिक सशक्त बनाने की ज़रूरत है. परिणामस्वरूप जबरन धर्मांतरण के लिए अब 10 साल क़ैद की सज़ा का प्रावधान किया गया है.

शिकायत का इंतज़ार किए बिना हेट स्पीच के ख़िलाफ़ स्वत: संज्ञान लेकर केस दर्ज करें: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने नफ़रत भरे भाषणों को बहुत ही गंभीर मुद्दा क़रार देते हुए दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को निर्देश दिया कि वे संबंधित अपराधों पर की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट दाख़िल करें. पीठ मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने और उन्हें आतंकित करने के बढ़ते ख़तरे को रोकने के लिए हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है.

अंकिता हत्याकांड ने पहाड़ों की उपेक्षा को लेकर भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा किया

राज्य बनने के इतना समय बीतने के बाद भी उत्तराखंड का युवा और समाज विकल्पहीनता से जूझ रहा है. हालात बदले नहीं बल्कि और बदहाल हो गए. सरकारों की दोषपूर्ण नीतियों, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार समेत प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण के सवालों पर सरकारी तंत्र के पास आज भी कोई जवाब नहीं है.

उत्तराखंड के हर ज़िले में बनेगा एक संस्कृत ग्राम, लोग इसी भाषा में बातचीत करेंगे: मंत्री

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने बताया कि सरकार ने सभी 13 ज़िलों में एक ‘संस्कृत ग्राम’ विकसित करने का निर्णय लिया है. इन गांवों के निवासियों को विशेषज्ञों द्वारा इस भाषा को दैनिक बोलचाल में इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. संस्कृत उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा है.

समान नागरिक संहिता के लिए कोई समिति गठित करने का विचार नहीं: सरकार

केंद्र सरकार ने राज्यसभा में इस बात से इनकार किया कि वह देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कोई समिति गठित करने पर विचार कर रही है. समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनावी वादों में प्रमुख रहा है.