ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का हालिया फैसला क्या न्यायसंगत कहा जा सकता है?

ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिकाएं ख़ारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष की मस्जिद परिसर में मंदिर बहाली की याचिकाएं उपासना स्थल क़ानून के आधार पर ख़ारिज नहीं की जा सकतीं. हालांकि, एक सच यह है कि उपासना स्थल अधिनियम इसी तरह के मामलों से बचने के लिए लाया गया था.

उत्तर प्रदेश: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट एएसआई ने अदालत को सौंपी

बीते 21 जुलाई को वाराणसी की एक अदालत ने यह पता लगाने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था कि क्या मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद एक मंदिर की संरचना पर किया गया था. रिपोर्ट सौंपने के लिए एएसआई को आठ बार समय विस्तार दिया गया था.

गिरफ़्तारी से पहले अयोध्या के ठग को वाराणसी यात्रा के दौरान सात मौकों पर पुलिस सुरक्षा मिली थी

बीते 23 अक्टूबर को ठग अनूप कुमार चौधरी को अयोध्या से गिरफ़्तार किया गया था. वह उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में दर्ज 10 मामलों में धोखाधड़ी, जालसाज़ी और आपराधिक साज़िश से संबंधित आरोपों का सामना कर रहा है. चौधरी ख़ुद के रेल मंत्रालय, भारतीय खाद्य निगम, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का सदस्य होने का दावा कर अपने लिए सुरक्षा मांगता था.

क्या उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सफलता दिलाने में कामयाब हो पाएंगे अजय राय?

बीते दिनों पांच बार विधायक रहे अजय राय को कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस जब से सत्ता से बाहर हुई है, उसका ग्राफ गिरता ही गया है. ऐसे समय और स्थिति में अजय राय यूपी कांग्रेस को कैसे संभालेंगे और आगे ले जाएंगे, यह बड़ा सवाल है.

सर्व सेवा संघ पर ‘कब्ज़े’ की कहानी बस उतनी नहीं है, जितनी दिखाई जा रही है

बीते जुलाई महीने में महात्मा गांधी के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए बने सर्व सेवा संघ के वाराणसी परिसर को उत्तर रेलवे द्वारा उसकी ज़मीन पर 'अतिक्रमण' बताकर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में जबरन ख़ाली करवाया गया है. गांधीवादियों का कहना है कि इसके विरोध में उनकी लड़ाई जारी रहेगी.

क्या ज्ञानवापी मस्जिद को भी बाबरी की राह ले जाया जा रहा है?

वीडियो: वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित मां श्रृंगार गौरी मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े विवाद, अदालतों के आदेश और एएसआई सर्वे और इसे लेकर हो रही राजनीतिक पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.

वाराणसी: महात्मा गांधी के विचारों के प्रसारक ‘सर्व सेवा संघ’ परिसर को जबरन ख़ाली करवाया गया

महात्मा गांधी के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए बने सर्व सेवा संघ के वाराणसी परिसर को उत्तर रेलवे द्वारा उसकी ज़मीन पर 'अतिक्रमण' बताया गया है. इसी मामले में शनिवार को कार्रवाई करने के लिए पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम ने संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष समेत सात लोगों को हिरासत में ले लिया.

वाराणसी: कोर्ट का पहले सील किए गए स्थान को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वे का आदेश

वाराणसी ज़िला अदालत ने मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वज़ूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की अनुमति दी है. मस्जिद प्रबंधन ने आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.

भाकपा नेता ऊदल, जिन्होंने व्यक्तिगत ईमानदारी और नैतिकताओं की लंबी लकीर खींची

पुण्यतिथि विशेष: वाराणसी की कोलअसला विधानसभा क्षेत्र से नौ बार विधायक रहे भाकपा नेता ऊदल को बंगले या मंत्री पद के आकर्षण कभी बांधकर नहीं रख सके. स्वतंत्रता सेनानियों के लिए सम्मान पेंशन शुरू हुई तो उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि 'यह जेल जाने, वहां यातनाएं सहने वालों के लिए है. मैं तो कभी गोरी पुलिस के हाथ लगा ही नहीं.'

वाराणसी: महात्मा गांधी के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए बने संस्थान पर ‘बुलडोज़र’ का ख़तरा

वाराणसी में महात्मा गांधी के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए बने सर्व सेवा संघ के परिसर को उत्तर रेलवे द्वारा 'अतिक्रमण' बताते हुए ध्वस्तीकरण का नोटिस दिया गया है. संस्था से जुड़े लोगों ने इसे सरकार की तानाशाही बताया है.

तेज़ गर्मी के बीच यूपी में कई ज़िलों में मौतों की संख्या बढ़ी, बिहार में डॉक्टर बोले- स्थिति दयनीय

तेज़ गर्मी से बिहार के भोजपुर ज़िले में एक दिन में 25 मौतें होने की ख़बर है, वहीं यूपी के बलिया में ज़िला अस्पताल में पिछले 48 घंटे में आठ और लोगों की मौत होने की सूचना है. देवरिया, आज़मगढ़ और वाराणसी के अस्पतालों में भी गर्मी के चलते मौतों के मामले सामने आए हैं.

मुग़लकाल को पाठ्यक्रम से बाहर निकलवाकर ‘औरंगज़ेब-औरंगज़ेब’ खेलना क्या कहता है?

यह निर्णायक बात कि इस बहुभाषी-बहुधर्मी देश में सुलह, समन्वय, सामंजस्य और शांति के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है, अकबर के वक़्त यानी सोलहवीं शताब्दी में ही समझ ली गई थी, उसे आज क्यों नहीं समझा जा सकता?