आंबेडकर का कहना था कि हिंदू राज इस देश के लिए सबसे बड़ी आपदा होगी क्योंकि हिंदू राष्ट्र का सपना आज़ादी, बराबरी और भाईचारे के ख़िलाफ़ है, और यह लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों से मेल नहीं खाता.
पिछले वर्षों में अदालतें अपने निर्णयों के संदर्भ बिंदु संविधान की जगह धार्मिक ग्रंथों, धर्मशास्त्रों को बना रही हैं. इस तरह हिंदुओं की सार्वजनिक कल्पना को बदला जा रहा है.
धीरेंद्र के. झा की 'गोलवलकर: द मिथ बिहाइंड द मैन, द मैन बिहाइंड द मशीन' साफ़ करती है कि सावरकर के साथ एमएस गोलवलकर को भारतीय फ़ासिज़्म का जनक कहा जा सकता है. इसे पढ़कर हम यह सोचने को बाध्य होते हैं कि क्यों फ़ासिज़्म के इस रूप के प्रति भारत के हिंदुओं में सहिष्णुता है.
केंद्र ने शुक्रवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम कर दिया. यह घोषणा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्त करने के दृष्टिकोण के तहत लिया गया है.
पुस्तक समीक्षा: धीरेन्द्र के. झा की ‘गांधी का हत्यारा गोड़से' किताब से आरएसएस के उस दुरंगेपन की पहचान अब बहुत आसान हो गई है जिसके तहत कभी वह नाथूराम से पल्ला छुड़ाता है और कभी उसका ‘यशगान’ करने वालों को अपना नया 'आइकाॅन' बना लेता है.
गांधी भारत को धर्मनिरपेक्ष जनतंत्र के रूप में विकसित होते देखना चाहते थे, लेकिन हिंदू राष्ट्र का विचार इसके ख़िलाफ़ था.
कविता में जनतंत्र स्तंभ की सत्रहवीं क़िस्त.
पुस्तक अंश: सावरकर 1934 से नियमित याचिकाएं लगाते रहे थे इस वादे के साथ कि वे राजनीति में जाने के बाद भी क़ानून का हर तरह पालन करते रहेंगे.
वह क़रीब पचपन के थे, जब अंग्रेजों ने मई 1937 में उनके राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से पाबंदियां हटाईं.
कांग्रेस का घोषणा पत्र सामने आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे मुस्लिम लीग से जोड़ा था. क्या यह बेतुकी तुलना भाजपा की उस ग्रंथि को दर्शाती है जब आज़ादी से पहले जिन्ना की अगुआई वाली इसी लीग के साथ मिलकर उसके ‘विचारधारात्मक पुरखों’ ने गुल खिलाए थे!
'सनातन धर्म' को लेकर हालिया विवाद में भाजपा के रवैये के विपरीत हिंदुत्व के सबसे प्रभावशाली विचारक विनायक दामोदर सावरकर ने शायद ही कभी 'सनातन धर्म' को पूरे हिंदू समुदाय से जोड़ा.
'कल्याण' के 1948 के अंक में महात्मा गांधी के गुज़रने पर कोई श्रद्धांजलि प्रकाशित न करने पर दैनिक जागरण के पत्रकार अनंत विजय के तर्क पर लेखक अक्षय मुकुल का जवाब.
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मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि सावरकर महान क्रांतिकारियों में से एक हैं. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया. दुर्भाग्य से कांग्रेस ने भारत के सच्चे क्रांतिकारियों के बारे में नहीं सिखाया. विदेशी क्रांतिकारियों को महान कहा गया, लेकिन हमारे अपने देशभक्त को नहीं.
वीडियो: बीते दिनों गोरखपुर की गीता प्रेस को केंद्र सरकार द्वारा गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी. कांग्रेस ने इसे 'सावरकर को पुरस्कृत करने जैसा बताया था. इस बारे में गीता प्रेस का वृहद इतिहास लिखने वाले लेखक अक्षय मुकुल से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
आधुनिक भारत में हिंदू धर्म के संबंध में गांधी जो करने की कोशिश कर रहे थे, गीता प्रेस उसके ठीक उलट लड़ाई लड़ रही थी और लड़ रही है.
गोवा में आयोजित 'वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव' में वीडी सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर ने लोगों से ‘हिंदुओं के हितों को बढ़ावा देने वाली’ पार्टियों को वोट देने का आग्रह करते हुए मुस्लिम समुदाय के आर्थिक बहिष्कार करने और हिंदुओं से केवल ‘हिंदू-से-हिंदू’ व्यापार करने का आह्वान किया.