कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: जिन मूल्यों को हमारे संविधान ने हमारी परंपराओं, स्वतंत्रता-संग्राम की दृष्टियों और आधुनिकता आदि से ग्रहण, विन्यस्त और प्रतिपादित किया था वे मूल्य आज धूमिल पड़ रहे हैं. स्वतंत्रता-समता-न्याय-भाईचारे के मूल्य सभी संदेह के घेरे में ढकेले जा रहे हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: कई बार लगता है कि साहित्य और समाज, परिवर्तन और व्यक्ति के संबंध में भूमिकाओं को बहुत जल्दी सामान्यीकृत करने के वैचारिक उत्साह में उनकी सूक्ष्मताओं और जटिलताओं को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है.
कुकी छात्र संगठन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मणिपुर विश्वविद्यालय और धनमंजुरी विश्वविद्यालय में नामांकित उनके समुदाय के छात्रों और शोधार्थियों को अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है. कहा गया है कि उनके विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक जनजातीय समूहों के ख़िलाफ़ बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय द्वारा की जाने वाली नफ़रत और हिंसा का केंद्र बन गए हैं.
पश्चिम बंगाल में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और ज़िला परिषद की 73,887 सीटों पर शनिवार को मतदान हुआ था. भाजपा, माकपा और कांग्रेस सहित विपक्ष ने बड़े पैमाने पर चुनावी कदाचार का आरोप लगाया है. भाजपा ने हिंसा के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराते हुए राष्ट्रपति शासन की मांग की है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुओं को संगठित करना मुसलमानों और ईसाइयों का विरोध नहीं है. कभी-कभी किसी क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है. कभी-कभी जैसे को तैसा जैसी प्रतिक्रिया होती है, लेकिन सही मायने में शांति और सहिष्णुता हिंदुत्व के मूल्य हैं.
वीडियो: महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हिंदुत्ववादी संगठनों ने औरंगज़ेब और टीपू सुल्तान से संबंधित कुछ सोशल मीडिया पोस्ट के विरोध में निकाली गई रैली हिंसक हो गई थी. पुलिस ने दोनों दिन की हिंसा के संबंध में 40 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया है.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हिंदुत्ववादी संगठनों ने औरंगज़ेब और टीपू सुल्तान से संबंधित कुछ सोशल मीडिया पोस्टों के विरोध में रैली निकाली थी, जो हिंसक हो गई थी. पुलिस ने मंगलवार और बुधवार को हुई हिंसा के संबंध में लगभग 42 लोगों को गिरफ़्तार किया है. इसके अलावा हिंसा और सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में 9 केस दर्ज किए गए हैं.
पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक भारतीय उपमहाद्वीप में आए दिन किसी न किसी की आहत भावनाओं की बात होती रहती है और उसकी स्वाभाविक प्रतिकिया के तौर पर उत्पाती समूहों द्वारा इसका बदला लेने के लिए की गई हिंसा की ख़बर आती रहती है, लेकिन सवाल है कि आख़िर किसकी भावनाएं आहत होती हैं?
राजस्थान के जुनैद और नासिर 15 फरवरी को भरतपुर से लापता हो गए थे. अगले दिन उनके जले हुए शव हरियाणा के भिवानी ज़िले में मिले थे. परिवार ने बजरंग दल के सदस्यों पर हत्या का आरोप लगाया था, जिनमें बजरंग दल सदस्य और हरियाणा सरकार की गोरक्षा टास्क फोर्स के सदस्य मोनू मानेसर भी शामिल थे.
ऑडियो: कनाडा के स्वास्थ्य मंत्री रहे उज्जल दोसांझ ने द वायर से बातचीत में उनके राजनीति में उतरने की परिस्थितियों के बारे में बताया. उन्होंने यह भी जोड़ा कि सिख समुदाय में बढ़ते कट्टरपंथ की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ा.
पुलिस बताया कि अकोला में पुराने शहर के संवेदनशील इलाके में शनिवार रात हुई हिंसा के संबंध में 26 लोगों को हिरासत में लिया गया है. घटना में दो पुलिसकर्मियों समेत आठ लोगों के घायल होने की सूचना है. शहर के चार थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू किया गया है.
मणिपुर का बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय ख़ुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है, जिसका आदिवासी समुदाय विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे उनके संवैधानिक अधिकार प्रभावित होंगे. बीते 3 मई को मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में एक आदिवासी छात्र संगठन द्वारा निकाले गए मार्च के दौरान राज्य में हिंसा भड़क गई थी.
मणिपुर में बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय के एक वर्ग द्वारा खुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग का विरोध करने के लिए एक आदिवासी छात्र संगठन द्वारा आयोजित एकजुटता मार्च के बाद चुराचांदपुर ज़िले समेत राज्य के कई हिस्सों में तनाव फैल गया. जानकारी के अनुसार, कम से कम 23 घरों को जला दिया गया और 19 लोग घायल हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: इस समय भारतीय समाज में कई भीषण और गहरी दरारें पड़ चुकी हैं- जो पहले से थीं उन्हें और चौड़ा किया जा रहा है. सत्तारूढ़ राजनीति खुल्लमखुल्ला अभद्रता, गाली-गलौज, कीचड़फेंकू वृत्ति आदि से राजनीति, व्यापक ज़रूरी मुद्दों पर बहस को लगभग असंभव बना रही है.
सामूहिक हिंसा या घृणा के अलावा बिना किसी संगठन के भी ढेरों हिंदुओं में दूसरों के प्रति घृणा ज़ाहिर करने का लोभ अश्लीलता के स्तर तक पहुंच गया है. इन हिंदुओं के बीच ऐसे ‘कुशल’ वक्ताओं की संख्या बढ़ रही है जो खुलेआम हिंसा का प्रचार करते हैं. वक्ताओं के साथ उनके श्रोताओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है.