नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा इस वर्ष जारी कक्षा तीन और कक्षा छह की कई पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया गया है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा कुछ अन्य सामाग्री भी कुछ पाठ्यपुस्तकों से हटा दी गई है, जिन्हें ‘मुख्य शैक्षणिक विषय’ माना जाता है, जैसे भाषा और पर्यावरण अध्ययन (ईवीएस).
एनसीईआरटी, जिसने 2005-06 और 2007-08 के बीच सभी कक्षाओं के लिए पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित की थीं, 2020 में एनडीए सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की शुरुआत के बाद उन्हें संशोधित कर रही है. इस वर्ष नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या (National Curriculum) की रूपरेखा को ध्यान में रखते हुए कक्षा तीन और छह के लिए नई पुस्तकें जारी की गई हैं.
कक्षा छह की पुरानी पाठ्यपुस्तकों में प्रस्तावना हिंदी पाठ्यपुस्तक ‘दुर्वा’, अंग्रेजी पुस्तक ‘हनी सकल’ (Honey Suckle), विज्ञान पुस्तक और तीनों ईवीएस पुस्तकों – हमारे अतीत-I (Our Pasts-I), सामाजिक और राजनीतिक जीवन-I और पृथ्वी हमारा निवास – के पहले कुछ पन्नों में से एक पर छपी थी.
नई शुरू की गई पुस्तकों में प्रस्तावना केवल विज्ञान की पुस्तक ‘क्यूरियोसिटी’ और हिंदी पुस्तक ‘मल्हार’ में ही छपी है. एनसीईआरटी ने पर्यावरण अध्ययन पर तीन की जगह सिर्फ़ एक किताब छापी है. इस किताब ‘एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियॉन्ड’ में प्रस्तावना नहीं है, लेकिन इसमें मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों का ज़िक्र है. गणित की नई किताब अभी उपलब्ध नहीं है.
नई अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक ‘पूर्वी’ में राष्ट्रगान है, जबकि संस्कृत की किताब ‘दीपकम’ में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत दोनों हैं, लेकिन संविधान की प्रस्तावना को यहां भी जगह नहीं मिली है. पिछली संस्कृत पुस्तक ‘रुचिरा’ में भी प्रस्तावना नहीं थी.
कक्षा तीन में हिंदी, अंग्रेजी, गणित और हमारे आसपास की दुनिया (जो ईवीएस का स्थान लेती है) की किसी भी नई पाठ्यपुस्तक में प्रस्तावना नहीं छपी है.
पुरानी पर्यावरण अध्ययन पुस्तक ‘लुकिंग अराउंड’ और हिंदी पुस्तक ‘रिमझिम 3’ में प्रस्तावना थी.
इस बदलाव को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज की पूर्व फैकल्टी सदस्य नंदिता नारायण ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का लघु रूप है और राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत या मौलिक अधिकार और दायित्व इसका स्थान नहीं ले सकते.
नारायण ने कहा, ‘एनसीईआरटी को यह बताना चाहिए कि उसने कई पाठ्यपुस्तकों से प्रस्तावना को क्यों हटाया है. मुझे नहीं लगता कि यह महज संयोग है. मुझे लगता है कि भाजपा सरकार संविधान की प्रस्तावना से डरती है, जिसमें स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे संविधान के मूल मूल्य शामिल हैं. इस सरकार ने संविधान के मूल मूल्यों के खिलाफ काम किया है. इसलिए इसने कई पुस्तकों से प्रस्तावना को हटा दिया है.’
मालूम हो कि इससे पहले एनसीईआरटी ने छठी कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब से जाति और वर्ण व्यवस्था का उल्लेख भी हटाया है.
नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में जारी की गई पहली सामाजिक विज्ञान की पुस्तक ‘एक्सप्लोरिंग सोसाइटी इंडिया एंड बियॉन्ड’ में जाति व्यवस्था का उल्लेख किए बिना वेदों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, और इसका भी उल्लेख नहीं किया गया है कि महिलाओं और शूद्रों को इन ग्रंथों का अध्ययन करने की अनुमति नहीं थी.
गौरतलब है कि 2014 के बाद से एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में ये चौथी बार संशोधन हुआ है. इससे पहले 2017 में एनसीईआरटी ने ‘हाल की घटनाओं को प्रतिबिंबित करने की जरूरत’ का हवाला देते हुए पाठ्यक्रम संशोधित किया था.
2018 में संस्था ने ‘पाठ्यक्रम के बोझ’ को कम करने के लिए संशोधन शुरू किया था और फिर तीन साल से भी कम समय के बाद छात्रों को कोविड-19 के कारण सीखने में आई रुकावटों से उबरने में मदद करने का हवाला देते हुए पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए थे.
एनसीईआरटी ने पिछले साल मई महीने में कक्षा 12 के राजनीति विज्ञान की किताब से ‘एक अलग सिख राष्ट्र’ और ‘खालिस्तान’ के संदर्भों को हटाने की घोषणा की थी. इससे पहले एनसीईआरटी ने पाठ्यपुस्तकों से कुछ हिस्सों को हटाने को लेकर विवाद के बीच भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के लोकप्रिय किसान आंदोलन से संबंधित हिस्से को भी हटा दिया था.
आंदोलन का उल्लेख कक्षा 12वीं की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ‘राइज़ ऑफ़ पॉपुलर मूवमेंट्स’ नामक अध्याय में किया गया था. हटाए गए हिस्से में बताया गया था कि यूनियन 80 के दशक के किसान आंदोलन में अग्रणी संगठनों में से एक था.
इसी तरह एनसीईआरटी की कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक ‘इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन ऐट वर्क’ के पहले अध्याय से देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के संदर्भ और उसी पाठ्यपुस्तक के अध्याय 10 में उल्लिखित जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी वह शर्त हटा दी गई है, जिसमें इसे संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत स्वायत्त बनाए रखने की बात कही गई थी.
इस कड़ी में 12वीं कक्षा की इतिहास की किताबों से मुगलों और 2002 के गुजरात दंगों पर सामग्री को हटाना और महात्मा गांधी पर कुछ अंश हटाया जाना शामिल है.
2022 में एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम से पर्यावरण संबंधी अध्याय हटा दिए थे, जिस पर शिक्षकों ने विरोध जताया था.
इससे पहले कोविड के समय एनसीईआरटी ने समाजशास्त्र की किताब से जातिगत भेदभाव से संबंधित सामग्री हटाई थी. इससे पहले कक्षा 12 की एनसीईआरटी की राजनीतिक विज्ञान की किताब में जम्मू कश्मीर संबंधी पाठ में बदलाव किया था.
वहीं, कक्षा 10वीं की इतिहास की किताब से राष्ट्रवाद समेत तीन अध्याय हटाए थे. उसके पहले 9वीं कक्षा की किताबों से त्रावणकोर की महिलाओं के जातीय संघर्ष समेत तीन अध्याय हटाए गए थे.