उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़नगर ज़िले के एक निजी स्कूल में महिला शिक्षक के निर्देश पर साथी छात्रों द्वारा एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने का वीडियो सामने आया था. इसके बाद शिक्षक के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, लड़के के परिवार पर आसपास के गांव के प्रधानों के साथ-साथ किसान नेता नरेश टिकैत ‘समझौता’ करने का दबाव डाल रहे हैं.
सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में एक शिक्षक अपनी क्लास के बच्चों से एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने को कहते हुए सांप्रदायिक टिप्पणी करती नज़र आ रही हैं. घटना उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर के एक निजी स्कूल में हुई थी. इसे लेकर सोशल मीडिया पर किए गए कई प्रमुख लोगों के ट्वीट एक सरकारी आदेश द्वारा ब्लॉक कर दिए गए हैं.
सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में एक शिक्षक अपनी क्लास के बच्चों से एक मुस्लिम सहपाठी को थप्पड़ मारने को कहते हुए सांप्रदायिक टिप्पणी करती नज़र आ रही हैं. पुलिस ने बताया है कि वीडियो मुज़फ़्फ़रनगर के मंसूरपुर थानाक्षेत्र के पास खुब्बापुर गांव के एक निजी स्कूल का है.
राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ ज़िले के जवाहर नवोदय विद्यालय का मामला. दलित छात्र ने अपनी मौत से पहले परिजनों को बताया था कि स्कूल के दो शिक्षक पिछले कई दिनों से उसे जातिसूचक गालियां देने के साथ उसके सहपाठियों के सामने उसे अपमानित कर रहे थे. केस दर्ज करने के बाद दोनों शिक्षकों को स्कूल से निलंबित कर दिया गया है.
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के एक निजी स्कूल का मामला. छात्र के परिवार ने कहा कि उनके बेटे को प्रिंसिपल द्वारा अपमान और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. स्कूल प्रबंधन परिवार के आरोप से सहमत है. उसने स्वीकार किया कि फीस भुगतान में देरी के लिए छात्र को फर्श पर बैठाना प्रिंसिपल की ग़लती थी.
क्या बुद्धिजीवी वर्ग को पालतू बनाए रखने की सरकार की कोशिश या विश्वविद्यालयों में इंटेलिजेंस ब्यूरो को भेजने की उनकी हिमाक़त उसकी बढ़ती बदहवासी का सबूत है, या उसे यह एहसास हो गया है कि भारत एक व्यापक जनांदोलन की दहलीज़ पर बैठा है.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्रों के लिए अतिरिक्त किताबें जारी कीं, जिनमें वे हिस्से भी शामिल हैं, जिन्हें हाल ही में एनसीईआरटी द्वारा हटा दिया गया था. उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी ने ग़लत तरीके से किताबों से ज़रूरी हिस्से हटा दिए हैं, जिससे उनका इतिहास और समाज को देखने का नज़रिया बदल जाएगा.
बीते 9 अगस्त को कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी के प्रथम वर्ष के एक छात्र की परिसर के पास लड़कों के हॉस्टल की दूसरी मंज़िल से कथित तौर पर गिरने के बाद मौत हो गई थी. कोलकाता पुलिस की प्रारंभिक जांच कहती है कि घटना से पहले छात्र को नग्नावस्था में घुमाया गया और उसका यौन उत्पीड़न किया गया था.
यदि कोई विश्वविद्यालय अपने शिक्षक के अकादमिक कार्य के साथ खड़ा नहीं हो सकता तो वह कितना भी विश्वस्तरीय होने का दावा करे, वह व्यर्थ ही है.
हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी के शिक्षक सब्यसाची दास ने एक रिसर्च पेपर में 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘हेरफेर’ की संभावना ज़ाहिर की थी, जिस पर विवाद के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. सोमवार को इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी उनसे बात करने के उद्देश्य से यूनिवर्सिटी पहुंचे थे.
विश्वभारती की तीन शोध छात्राओं और एक स्नातकोत्तर छात्रा ने मानवविज्ञान विभाग के एक प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि उन्होंने मार्च 2021 से अधिकारियों के पास लगभग 20 शिकायतें दर्ज कराई थीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं, अधिकारियों ने कहा कि आरोप की जांच चल रही है.
दिल्ली की बीआर आंबेडकर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी सदस्यों ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि यूनिवर्सिटी में आवेदन की संख्या लगातार गिरती जा रही है. साथ ही, काम के ख़राब माहौल समेत विभिन्न समस्याओं के चलते साल 2020 से 15 से अधिक फैकल्टी सदस्य इस्तीफ़ा दे चुके हैं.
गुजरात के मेहसाणा ज़िले के श्री केटी पटेल स्मृति विद्यालय में कथित तौर पर धर्म के नाम पर भेदभाव का मामला सामने आया है. अर्नाज़बानू के पिता का आरोप है कि 10वीं कक्षा की टॉपर उनकी बेटी को 15 अगस्त के पुरस्कार समारोह में सम्मानित नहीं किया गया. वहीं प्रिंसिपल ने कहा कि छात्रा को 26 जनवरी को उसका पुरस्कार मिलेगा.
ऑनलाइन शिक्षा मंच अनएकेडमी के सह-संस्थापक रोमन सैनी ने कहा कि कंपनी द्वारा लागू सख्त ‘आचार संहिता’ के ‘उल्लंघन’ के कारण शिक्षक करण सांगवान से अलग होने के लिए मजबूर होना पड़ा. एक वायरल वीडियो में सांगवान को छात्रों से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे उन लोगों को वोट न दें, जो केवल नाम बदलने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बल्कि अच्छे शिक्षित राजनेताओं को चुनें.
बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान द्वारा ‘सांप्रदायिक सद्भाव और न्याय’ विषय पर नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की बातचीत को सभागार में अनुमति न दिए जाने के बाद उन्होंने परिसर की एक कैंटीन के बाहर छात्रों और फैकल्टी सदस्यों की सभा को संबोधित किया.