जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में सोमवार दोपहर लगी भीषण आग में चार मरीज़ों सहित आठ लोगों की मौत हो गई और पांच अन्य झुलस गए. कलेक्टर ने बताया कि घटना की मजिस्ट्रियल स्तर की जांच के आदेश दिए गए हैं. साथ ही अस्पताल के डायरेक्टर और मैनेजर के ख़िलाफ़ ग़ैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है.
भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने न्याय तक पहुंच को ‘सामाजिक उद्धार का उपकरण’ बताते हुए कहा कि आधुनिक भारत का निर्माण समाज में असमानताओं को दूर करने के लक्ष्य के साथ किया गया था. लोकतंत्र का मतलब सभी की भागीदारी के लिए स्थान मुहैया कराना है. सामाजिक उद्धार के बिना यह भागीदारी संभव नहीं होगी.
बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता पर आयोजित एक अंतर धार्मिक सम्मेलन में ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी में कहा कि ऐसा कोई भी मोर्चा, जो देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त है, विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं और हमारे नागरिकों के बीच कलह पैदा कर रहे हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के कोतवाली थाना क्षेत्र की घटना. आरोप है कि बीते 30 जुलाई को महिला घास काटने के लिए खेत में गई थी, जहां सात लोगों ने बंदूक के बल पर उसे कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया और घटना का वीडियो बना लिया. इस वीडियो को बाद में सोशल मीडिया पर साझा कर दिया गया.
एक कार्यक्रम के दौरान श्रीलंका में जारी संकट का उल्लेख करते हुए रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि यह द्वीपीय देश इस बात का नतीजा देख रहा है, जब देश के नेता रोज़गार उत्पन्न करने में असमर्थता से ध्यान हटाने की कोशिश में अल्पसंख्यकों पर निशाना साधते हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अज्ञेय के लिए स्वतंत्रता और स्वाभिमान ऐसे मूल्य थे जिन पर उन्होंने कभी समझौता नहीं किया. अक्षय मुकुल की लिखी उनकी जीवनी इस धारणा का सत्यापन करती है.
मोहम्मद हसन के नाटक ‘ज़ह्हाक’ में सत्ता के उस स्वरूप का खुला विरोध है जिसमें सेना, कलाकार, लेखक, पत्रकार, अदालतें और तमाम लोकतांत्रिक संस्थाएं सरकार की हिमायती हो जाया करती हैं. नाटक का सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुल्क की मौजूदा सत्ता में ‘ज़ह्हाक’ कौन है? क्या हमें आज भी जवाब मालूम है?
गुड़गांव नगर निगम ने जैन समाज के ‘पर्यूषण पर्व’ के चलते मांस की दुकानें और बूचड़खाने बंद रखने का फैसला किया है. हालांकि अधिकारियों ने बताया कि सुपरमार्केट में ‘पैकेज़्ड फ्रोज़न’ मीट की बिक्री पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा.
बीते 29 जुलाई को उत्तर प्रदेश की हाथरस पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत के बाद आगरा में बुकर पुरस्कार विजेता लेखक गीतांजलि श्री के सम्मान में होने वाले कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि उनकी किताब ‘रेत समाधि’ में भगवान शिव और पार्वती का ‘आपत्तिजनक चित्रण’ है, जो ‘हिंदुओं की भावनाओं को आहत’ करता है.
सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में समझौते के बाद गुजरात हाईकोर्ट द्वारा एफआईआर रद्द करने के आदेश को ख़ारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसे गंभीर अपराधों को समझौते के आधार पर ख़ारिज नहीं कर सकते, जो प्रकृति में निजी नहीं हैं और जिनका समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.
सदियों से एक दूसरे के पड़ोस में रहने के बावजूद हिंदू-मुसलमान एक दूसरे के धार्मिक सिद्धांतों से अपरिचित रहे हैं. प्रेमचंद ने अपने एक नाटक की भूमिका में लिखा भी है कि 'कितने खेद और लज्जा की बात है कि कई शताब्दियों से मुसलमानों के साथ रहने पर भी अभी तक हम लोग प्रायः उनके इतिहास से अनभिज्ञ हैं. हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य का एक कारण यह है कि हम हिंदुओं को मुस्लिम महापुरुषों के सच्चरित्रों का ज्ञान नहीं.'
अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम लागू करने के लिए कथित आपत्तिजनक टिप्पणी 'सार्वजनिक तौर' पर और पीड़ित की उपस्थिति में की जानी चाहिए. हालांकि केरल हाईकोर्ट ने कहा कि डिजिटल युग में डिजिटल जगहें भी सार्वजनिक स्थान हैं और भौतिक उपस्थिति में ऑनलाइन मौजूदगी शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले पति की मृत्यु के बाद पुनर्विवाह करने वाली मां और बच्चे के मृत जैविक पिता के माता-पिता के बीच बच्चे के सरनेम से जुड़े एक मामले को सुनते हुए कहा कि नैसर्गिक अभिभावक होने के चलते मां अपने बच्चे का उपनाम तय करने का अधिकार रखती हैं.
केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014-15 से 2021-22 के बीच उसके विभागों को नौकरियों के लिए 22.05 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए, लेकिन नौकरी एक फीसदी से भी कम (0.33) उम्मीदवारों को मिली. वहीं, वर्ष 2019-20 को छोड़ दें तो केंद्र द्वारा दी जाने वाली नौकरियों में 2014-15 के बाद से साल दर साल गिरावट देखी गई है.
न्याय का सिद्धांत है कि ‘सौ दोषी भले छूट जाएं, लेकिन एक भी निर्दोष नहीं पकड़ा जाना चाहिए’, लेकिन इलाहाबाद के अटाला में पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी को लेकर जून महीने में हुई हिंसा के बाद बड़े पैमाने पर की गईं गिरफ़्तारियों में न्याय के इस सिद्धांत को ही उलट दिया गया है.