हमें गणतंत्र बने 75 वर्ष पूरे होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट में अब तक केवल 11 महिला जज ही पहुंच सकी हैं. न्यायपालिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का मुद्दा केवल आंकड़े सुधारने से संबंधित नहीं है, बल्कि यह पीड़ितों के प्रति सहानुभूति और समाज में जेंडर सेंसिटिविटी बढ़ाने के लिए भी ज़रूरी है.