यह वाकई मुश्किल समय है. कहीं एक पत्रकार मारा जा रहा है, कहीं एक सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक को जेल में डाला जा रहा है, कहीं एक पत्रकार बरसों से जेल में सड़ रहा है.
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आफ्स्पा के ख़िलाफ़ जब इरोम की लड़ाई शुरू हुई तब मणिपुर के हालात अलग तरह के थे. 16 साल पहले का मणिपुर अब काफी बदल चुका है.
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके राजनीतिक समर्थन हासिल करने में मिली भाजपा की कामयाबी को अगर शासन के आदर्श के तौर पर स्वीकार कर लिया जाता है, तो आनेवाला समय देश के लिए अंधकारमय हो सकता है.
जो ये मानते हैं कि होली सिर्फ हिंदुओं का त्योहार है वो होली के दिन पुराने लखनऊ जाकर देख लें. पहचानना मुश्किल हो जाएगा रंग में डूबा कौन सा चेहरा हिंदू है कौन सा मुसलमान.
बहुमत के लिए 21 सीटों की जरूरत, भाजपा का दावा 22 विधायक हैं सर्मथन में
लोकतंत्र में हर पल अपने समाज और वोटरों के बारे में सोचते रहना पड़ता है, लेकिन दुखद यह है कि उत्तर भारत के सामाजिक न्याय के सभी बड़े नेता सिर्फ अपने परिवार और रिश्तेदार के बारे में सोचते हैं, उन जनता के बारे में नहीं जिनके वोट से ये मसीहा बने थे.
मानवता के इतिहास में तमाम करुण कहानियां अनकही रही गई हैं. इरोम शर्मिला का अपनी मुसलसल हार के लिए जनता को धन्यवाद देना वैसी ही एक अनकही कहानी है.