सुप्रीम कोर्ट एक मौलवी पर ग़ैरक़ानूनी धर्मांतरण के आरोप का मामला सुन रहा था. ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के ज़मानत देने से इनकार पर कोर्ट ने कहा कि निचली अदालतें शायद ही कभी किसी अपराध में ज़मानत देने का साहस जुटा पाती हैं, पर हाईकोर्ट से उम्मीद की जाती है कि वह हिम्मत और विवेक दिखाए.