असम के चार ज़िलों से आफस्पा वापस लिया गया, चार अन्य ज़िलों में समयसीमा बढ़ाई गई

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ से आफस्पा को हटा लिया है. जिन चार ज़िलों में इसकी अवधि बढ़ाई गई है, उनमें डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, शिवसागर और चराइदेव शामिल हैं. असम सरकार ने पिछले महीने केंद्र से सिफ़ारिश की थी कि 1 अक्टूबर से राज्य के बाकी बचे आठ ज़िलों से आफस्पा हटा दी जाए.

मणिपुर: जनजातीय संगठनों ने आफस्पा को पहाड़ी ज़िलों तक सीमित रखने पर कड़ी आपत्ति जताई

बीते 27 सितंबर को मणिपुर सरकार ने पहाड़ी इलाकों में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (आफस्पा) को छह महीने का विस्तार दे दिया था, जबकि इंफाल घाटी के 19 थानों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. कुकी, ज़ोमी और नगा जनजातियों के शीर्ष निकायों ने इस क़दम को ‘दमनकारी’ और ‘पक्षपातपूर्ण’ क़रार दिया है.

केंद्र ने अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के कुछ हिस्सों में आफस्पा की अवधि छह महीने के लिए बढ़ाई

सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (आफस्पा) ‘अशांत क्षेत्रों’ में तैनात सेना और केंद्रीय बलों को क़ानून के ख़िलाफ़ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने, गिरफ़्तारी और बिना वारंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने का अधिकार देता है. साथ ही केंद्र की मंज़ूरी के बिना अभियोजन और क़ानूनी मुक़दमों से सुरक्षा बलों को सुरक्षा भी प्रदान करता है.

मणिपुर हिंसा: डिफेंस सर्विस कॉर्प्स के सैनिक का अपहरण कर हत्या

मणिपुर के इंफाल पश्चिम ज़िले में डिफेंस सर्विस कॉर्प्स के सैनिक सर्टो थांगथांग कोम का 16 सितंबर को उनके घर से अपहरण कर लिया गया था. कमेटी फॉर ट्राइबल यूनियन की ओर से कहा गया है कि ऐसे बर्बर कृत्य से पता चलता है कि कैसे सशस्त्र मेईतेई बदमाशों को इंफाल घाटी में बिना किसी हिचकिचाहट के आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी गई है.

असम सरकार ने पूरे राज्य से विवादास्पद क़ानून आफस्पा वापस लेने की केंद्र से सिफ़ारिश की

असम मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) और अशांत क्षेत्र अधिनियम को पूरे राज्य से वापस लेने की सिफ़ारिश की है. पिछले महीने एक स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि उनकी सरकार इस साल के अंत तक पूरे राज्य से आफस्पा हटाने का प्रयास करेगी.

केंद्र ने मणिपुर के विद्रोही समूह के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि भारत सरकार और मणिपुर सरकार ने एक दशक से अधिक समय से सक्रिय ज़ेलियांग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, यह मणिपुर में शांति स्थापित करने में अहम कदम साबित होगा.

नगालैंड फायरिंग के एक साल: ग्रामीण बोले- उस त्रासदी को कभी भूल नहीं सकते

दिसंबर 2021 में मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. मामले को लेकर नगालैंड पुलिस ने मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की है.

असम के 8 ज़िलों और एक उप-मंडल में आफ़स्पा छह महीने के लिए बढ़ाया गया

असम सरकार ने बराक घाटी में कछार के लखीपुर उप-मंडल के अलावा तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, चराईदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित करते हुए आफ़स्पा की अवधि छह महीने के लिए बढ़ा दी है.

मणिपुर गै़र-न्यायिक हत्या: अभियोग की मंज़ूरी के मुद्दे पर 6 माह में निर्णय का हाईकोर्ट को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट से कहा कि वह 2000 से 2012 तक मणिपुर में कथित गै़र-न्यायिक हत्याओं के आरोपी सुरक्षाकर्मियों पर मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी देने के मुद्दे पर छह महीने के भीतर फैसला करे. अदालत ऐसी हत्याओं के 1,528 मामलों की जांच की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश में आफ़स्पा की अवधि छह महीने के लिए बढ़ाई गई

केंद्र सरकार ने नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के 12 ज़िलों और दोनों राज्यों के पांच अन्य ज़िलों के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ की अवधि छह महीने के लिए और बढ़ा दी है.

नगालैंड फायरिंग: सैन्य अधिकारी के ‘जानबूझकर’ अहम सूचना छिपाने से हुई ग्रामीणों की मौत-एसआईटी

दिसंबर 2021 में मोन ज़िले में हुई फायरिंग के मामले में नगालैंड सरकार की एसआईटी ने सेना के टीम कमांडर पर 'जानबूझकर चूक' का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा लिए गए हिंसक क़दम और चूक को छिपाने के प्रयासों के चलते तेरह आम आदिवासियों की जान गई.

नगालैंड फायरिंग: पुलिस ने 30 सैन्यकर्मियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की

दिसंबर 2021 में मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. नगालैंड पुलिस ने मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर करते हुए कहा कि उन्होंने मानक संचालन प्रक्रिया और नियमों का पालन नहीं किया था, न ही फायरिंग से पहले नागरिकों की पहचान सुनिश्चित की गई थी.

नगालैंड: ग़लत पहचान के चलते सेना द्वारा 14 नागरिकों की हत्या मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पूरी

सेना के पूर्वी कमान के प्रमुख पी. कलीता ने कहा कि यह ग़लत पहचान और निर्णय की त्रुटि का मामला था. सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पूरी हो गई है और अभी इसकी पड़ताल की जा रही है. हमें एसआईटी की रिपोर्ट भी मिली है और दोनों का विश्लेषण किया जा रहा है. नगालैंड के मोन जिले में पिछले साल दिसंबर में सैनिकों की गोलीबारी में 14 नागरिकों के मौत हो गई थी.

1 2 3 6