भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 23 मई 2018 को कुछ चुनावी बॉन्ड धारक 20 करोड़ रुपये के बॉन्ड के साथ नई दिल्ली में बैंक की मुख्य शाखा पहुंचे थे. आधे बॉन्ड 3 मई 2018 और बाकी आधे 5 मई 2018 को खरीदे गए थे. दोनों ही तारीखों पर खरीदे गए बॉन्ड की उन्हें भुनाने की 15 दिन की अवधि समाप्त होने के बावजूद भुनाया गया.
गूगल पर दिए गए राजनीतिक विज्ञापनों के हालिया तीन महीनों के आंकड़े बताते हैं कि 17 मार्च तक 100 करोड़ रुपये के विज्ञापन दिए जा चुके हैं, जिनमें सबसे अधिक 30.9 करोड़ रुपये के विज्ञापन भारतीय जनता पार्टी ने दिए हैं.
चुनाव आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर जारी किए गए डेटा में भारतीय जनता पार्टी ने आयोग को बताया है कि चुनावी बॉन्ड देने वालों के नाम और विवरण रखना आवश्यक नहीं था, इसलिए यह जानकारी उसके पास उपलब्ध नहीं है.
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार ने ग्रामीण आवास योजना के तहत भी 11.36 लाख लाभार्थियों के आवासों के लिए फंड जारी नहीं किया है.
लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से सिर्फ एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पहाड़ी जातीय जनजाति, पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण समुदायों को 10% आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, ओबीसी का कोटा भी 4% से बढ़ाकर 8% कर दिया है. विपक्ष ने इसे भाजपा के चुनावी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उठाया गया कदम बताया है.
एक सार्वजनिक कार्यक्रम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायक रमेशभाई छोटूभाई पटेल सरकारी ठेकेदारों को यह हिदायत देते हुए नज़र आए कि वे भाजपा व्यवस्था के भीतर आवश्यक 2 प्रतिशत कमीशन के अलावा किसी को भी पैसा न दें.
चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित डेटा 2019 और 2024 के बीच राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले कॉरपोरेशन, निजी व्यावसायिक घरानों और व्यक्तियों की सूची तो प्रचंदा करता है, लेकिन यह इस बारे में कोई जानकारी नहीं देता है कि किस राजनीतिक दल ने किस कंपनी द्वारा प्राप्त बॉन्ड को भुनाया.
लद्दाख के लिए राज्य के दर्जे और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जे के मांग के समर्थन में 21 दिन के अनशन पर बैठे सोनम वांगचुक ने कहा कि भारत सरकार लद्दाख के लोगों की वास्तविक मांगों के प्रति 'बेहद लापरवाह और असंवेदनशील' रही है. अपनी मांगों के प्रति सरकार के इस रवैये के कारण लद्दाखवासी बहुत निराश, हताश और मायूस हैं.
साल 2018 में हापुड़ में क़ासिम नाम के बकरी व्यापारी को हिंदू भीड़ द्वारा गोहत्या का आरोप लगाते हुए बेरहमी से पीटा गया था, जिनकी बाद में मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिसकर्मियों द्वारा बेहद संवेदनहीनता दिखाते हुए घायल क़ासिम को सड़क पर घसीटते हुए अस्पताल पहुंचाया गया था.
इस कदम के पीछे का तात्कालिक कारण जननायक जनता पार्टी के साथ भारतीय जनता पार्टी के साढ़े चार साल के गठबंधन का टूटना बताया जा रहा है. आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीट आवंटन में मतभेद को भाजपा-जजपा गठबंधन में दरार का मुख्य कारण माना जा रहा है.
इज़रायली विदेश मंत्रालय के दस्तावेज़ों से पता चलता है कि इज़रायली राजनयिक भारतीय हिंदुत्ववादी दक्षिणपंथियों को 'फासीवादी' समझते थे. साथ ही, वे ऐसा मानते थे कि उनकी विचारधारा मुसलमानों से नफ़रत पर आधारित है, फिर भी उन्होंने दक्षिणपंथियों के साथ सावधानीपूर्वक संबंध बनाए रखे.
लोकसभा चुनाव से कुछ ही सप्ताह पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल द्वारा निर्वाचन आयोग से इस्तीफ़ा देने पर विपक्षी दलों ने कहा है कि नए क़ानून के मुताबिक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके द्वारा चुने गए एक मंत्री के बहुमत से की जाएगी. फलस्वरूप, लोकसभा चुनावों से पहले मोदी अब 3 में से 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे. यह बहुत ही चिंता का विषय है.
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से मोदी सरकार के इनकार के बाद तेलुगु देशम पार्टी 2018 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर हो गई थी. फरवरी 2019 में, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि नायडू के लिए एनडीए के दरवाजे स्थायी रूप से बंद हो गए हैं, जिन्हें उन्होंने 'यू-टर्न सीएम' करार दिया था.
'डेमोक्रेसी विनिंग एंड लूज़िंग एट द बैलट (चुनाव में लोकतंत्र की जीत और हार)' शीर्षक वाली रिपोर्ट वी-डेम इंस्टिट्यूट की डेमोक्रेसी रिपोर्ट-2024 में कहा गया है कि भारत 2023 में ऐसे शीर्ष 10 देशों में शामिल रहा जहां अपने आप में पूरी तरह से तानाशाही अथवा निरंकुश शासन व्यवस्था है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल के संदेशखाली में ईडी के अधिकारियों पर 5 जनवरी को हुए हमले की जांच ट्रांसफर करने के साथ ही मुख्य आरोपी शाहजहां शेख़ की हिरासत भी सीबीआई को सौंपने के लिए कहा. इसके कुछ घंटों बाद ही राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट चली गई.