वीडियो: आंखों देखी, दम लगा के हईशा और लाल सिंह चड्ढा जैसी फ़िल्मों के साथ-साथ पंचायत, मिर्ज़ापुर और ब्रीद: इनटू द शैडोज जैसी वेब-सीरीज़ में अभिनय कर चुके अभिनेता श्रीकांत वर्मा से उनके जीवन, रंगमंच, सिनेमा और ओटीटी पर उनके अनुभव और यात्रा के बारे में बातचीत.
स्मृति शेष: कलाकार के लिए ज़रूरी है वो अपनी रूह पर किरदार का लिबास ओढ़ ले. किरदार दर किरदार रूह लिबास बदलती रहे, देह वही किरदार नज़र आए. सतीश कौशिक को ये बख़ूबी आता था.
अभिनेता और फिल्म निर्देशक सतीश कौशिक का जन्म 13 अप्रैल 1956 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में हुआ था. वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) और फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के पूर्व छात्र थे. उन्होंने अपना करिअर थियेटर से शुरू किया था. हास्य अभिनेता के तौर पर कौशिक ने काफी लोकप्रियता हासिल की थी.
शाहरुख़ ख़ान की फिल्म ‘पठान’ के ‘बेशर्म रंग’ गाने में दीपिका पादुकोण को भगवा बिकनी में दिखाने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. इसे लेकर असम में भी विरोध हो रहा है. शाहरुख़ के फोन करने से पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि शाहरुख़ ख़ान कौन हैं? मैं उनके या उनकी फिल्म पठान के बारे में कुछ नहीं जानता.
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता फिल्मों और नामी हस्तियों के ख़िलाफ़ अनावश्यक टिप्पणी करने से बचें. प्रधानमंत्री का बयान भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत कुछ प्रमुख भाजपा नेताओं द्वारा शाहरुख़ ख़ान की आगामी फिल्म ‘पठान’ के बहिष्कार के आह्वान के बीच आया है.
संजय चौहान ने ‘साहिब बीवी और गैंगस्टर’, ‘धूप’, ‘से सलाम इंडिया’, ‘राइट या रॉग’, ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’ और ‘आई ऐम कलाम’ जैसी फिल्मों के लिए लेखन कार्य किया था. उन्होंने सुधीर मिश्रा की हिट फिल्म ‘हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी’ के लिए संवाद भी लिखे थे, जो 2003 में रिलीज़ हुई थी.
शाहरुख ख़ान और दीपिका पादुकोण अभिनीत फिल्म ‘पठान’ के ख़िलाफ़ कुछ असामाजिक तत्वों के विरोध पर गीतकार और लेखक जावेद अख़्तर ने कहा कि कोई असामाजिक तत्व नहीं हैं, मंत्री ऐसी बातें कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने गीत पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा कि यह तय करना मेरे या आपके लिए नहीं है कि गीत सही है या ग़लत.
बॉलीवुड फिल्मों के बहिष्कार को लेकर अभिनेता सुनील शेट्टी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात के दौरान कहा कि हैशटैग बायकॉट बॉलीवुड चलन को कैसे ख़त्म किया जा सकता है, इस दिशा में प्रयास करने चाहिए. हम दिन भर ड्रग्स नहीं लेते, हम दिन भर ग़लत काम नहीं करते. प्रधानमंत्री से अगर आप इस बारे में कहें तो बहुत फ़र्क़ पड़ सकता है.
स्मृति शेष: बीते दिनों इस दुनिया को अलविदा कहने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर फ़रीद काज़मी सिनेमा के ऐसे अध्येता थे, जिन्होंने समानांतर या कला फिल्मों की बजाय पॉपुलर सिनेमा को चुना और इसमें दिखने वाले वर्चस्वशाली राजनीतिक विमर्श को रेखांकित किया.
शाहरुख़ ख़ान की फिल्म ‘पठान’ इन दिनों विवाद में घिरी हुई है. 12 दिसंबर को इसके गीत ‘बेशरम रंग’ के जारी होने के बाद इस पर रोक लगाने की मांग उठने लगी. गीत के एक दृश्य में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को भगवा रंग की बिकनी में देखा जा सकता है, जिसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए गए और ‘हिंदू भावनाओं’ को आहत करने का आरोप लगाया गया है.
फिल्म ‘पठान’ के ‘बेशर्म रंग’ गीत को लेकर छिड़े विवाद के बीच दिग्गज अदाकारा आशा पारेख ने कहा है कि बिकिनी पर बवाल नहीं था, यहां तो ऑरेंज (भगवा) रंग की बिकिनी को लेकर सवाल उठ रहे हैं. अब किसी अभिनेत्री ने ऑरेंज पहन लिया या नाम कुछ ऐसा हो गया तो उसे बैन कर रहे हैं? ये ठीक नहीं लगता है?
भारतीय सिनेमा के दिग्गज निर्देशक सईद अख़्तर मिर्ज़ा ने एक साक्षात्कार में विवादित फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर कहा, ‘फिल्म मेरे लिए कचरा है. बात किसी का पक्ष लेने की नहीं है. इंसान बनिए और मामले को समझने की कोशिश कीजिए.’
शाहरुख़ ख़ान और दीपिका पादुकोण स्टारर ‘पठान’ फिल्म के गीत ‘बेशर्म रंग’ को लेकर जारी विवाद के बीच दिग्गज अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह ने कहा कि किसी भी समाज के लिए इस तरह कार्य करना अच्छी बात नहीं है. कला और शिल्प को अपनी पूरी क्षमता पाने के लिए स्वतंत्रता की भावना की आवश्यकता होती है, जो मुश्किल होता जा रहा है.
‘द कश्मीर फाइल्स’ को भद्दी और दुष्प्रचार करने वाली फिल्म बताने के कारण इस्राइली फिल्मकार और भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) जूरी प्रमुख नदाव लपिद भारत में एक वर्ग के निशाने पर आ गए थे.
इस्राइली फिल्मकार नदाव लपिद को लगा कि ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म समारोह की गरिमा को धूमिल करने वाली प्रविष्टि है, उसकी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए उन्होंने ईमानदारी से अपनी राय रखी. भारत उनके लिए सत्यजित राय, मृणाल सेन, अपर्णा सेन आदि का भारत है. वे उसे अपनी निगाह में गिरते नहीं देखना चाहते.