केंद्र सरकार ने पिछले साल ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का अध्ययन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति का गठन किया था. कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सरकार, संसद और चुनाव आयोग को इसके बजाय लोगों के जनादेश का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल क्षेत्र के लहार निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों पर संदेह व्यक्त करने वाले पत्रकार के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि लोकतंत्र का लक्ष्य बहुलवादी और सहिष्णु समाज बनाना है. इसे सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए नागरिकों को स्वतंत्र रूप से बोलने में सक्षम होना चाहिए.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि असम समान नागरिक संहिता को लागू करेगा, लेकिन इसका स्वरूप अन्य भाजपा शासित राज्यों में अमल में लाए जा रहे मॉडल से अलग होगा. इसमें कुछ संशोधनों के साथ आदिवासी समुदाय को छूट दी जाएगी.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का यह बयान तब आया है, जब एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सीएए के नियमों को लोकसभा चुनावों की घोषणा से ‘बहुत पहले’ अधिसूचित कर दिया जाएगा. दिसंबर 2019 में संसद द्वारा सीएए पारित होने और राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में इसके ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे.
केंद्र के ख़िलाफ़ अभियान शुरू करेगा संयुक्त किसान मोर्चा, 26 जनवरी को 500 ज़िलों में होगी ट्रैक्टर परेड
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि देशभर के 20 राज्यों में इसकी राज्य इकाइयां 10-20 जनवरी तक घर-घर जाकर और पर्चा वितरण के माध्यम से ‘जन जागरण’ अभियान चलाएंगी. इसका उद्देश्य केंद्र सरकार की ‘कॉरपोरेट समर्थक आर्थिक नीतियों को उजागर करना’ है.
बसपा प्रमुख मायावती ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर कहा कि देश के 81 करोड़ से अधिक ग़रीबों को पेट पालने के लिए सरकारी अन्न का मोहताज बना देने जैसी दुर्दशा न आज़ादी का सपना था और न ही उनके लिए कल्याणकारी संविधान बनाते समय डॉ. आंबेडकर ने सोचा था, यह स्थिति अति-दुखद है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि विधायिका द्वारा प्रस्तावित क़ानून केवल इसलिए समाप्त नहीं हो जाता, क्योंकि राज्यपाल उस पर सहमति देने से इनकार कर देते हैं. अंतिम निर्णय विधायिका का है, न कि राज्यपाल का. एक बार जब सदन लौटाया गया विधेयक दोबारा पारित करता है तो राज्यपाल के पास सहमति देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता.
सुप्रीम कोर्ट केरल सरकार द्वारा लंबित विधेयकों को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है. पंजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्यपाल अनिश्चितकाल तक विधेयकों को लंबित नहीं रख सकते हैं. राज्यपाल ‘एक प्रतीकात्मक प्रमुख हैं और वे राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई नहीं रोक सकते’.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पंजाब सरकार की राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के ख़िलाफ़ याचिका पर अपने फैसले में यह स्पष्ट किया, जिन्होंने राज्य सरकार द्वारा उन्हें भेजे गए विधेयकों को लंबित रखा था. अदालत ने कहा कि राज्यपाल ‘एक प्रतीकात्मक प्रमुख हैं और वे राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई नहीं रोक सकते’.
एनसीईआरटी की एक समिति द्वारा हाल ही में स्कूली पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ लिखने की सिफ़ारिश किए जाने के बाद सामने आया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल को भेजे रेल मंत्रालय के एक प्रस्ताव में 'इंडिया' को हटाकर 'भारत' लिखा गया है.
शादी के बाद परिवार की धमकियों का सामना कर रहे एक दंपत्ति को पुलिस सुरक्षा देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार संवैधानिक रूप से संरक्षित है. यहां तक कि परिवार के सदस्य भी ऐसे वैवाहिक संबंधों पर आपत्ति नहीं कर सकते हैं.
वीडियो: सांसदों के पास क्या कोई विशेष अधिकार होते है? क्या उन्हें दीवानी और फौजदारी मामलों में कोई ख़ास सुरक्षा मिलती है? अगर लोकसभा या राज्यसभा में कोई सदस्य अपनी बात रखता है, तो क्या उस पर अपनी बात आज़ादी से कह पाने के लिए संविधान में कोई ख़ास अनुच्छेद है, बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.
विभिन्न पत्रकार संगठनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा है कि आज हमारे समुदाय को एक घातक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पत्रकारों के ख़िलाफ़ कठोर क़ानूनों का उपयोग तेज़ी से बढ़ गया है. ये क़ानून ज़मानत का प्रावधान नहीं करते, इसके तहत कारावास आदर्श है, न कि अपवाद.
यह दूसरी बार है जब लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल अयोग्य घोषित हुए हैं. इससे पहले जनवरी में हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था. केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा फैसले पर रोक के बाद उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई थी.
नए संसद भवन में पहली बैठक के अवसर पर सभी सांसदों को भारतीय संविधान की प्रति वितरित की गई थीं. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि संविधान की उक्त प्रति की प्रस्तावना में 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द नहीं हैं.