एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी अरुण फरेरा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की गई अपनी याचिका में कहा है कि उनका मामला अधिवक्ता सुधा भारद्वाज के समान ही है, जिन्हें अदालत द्वारा दिसंबर 2021 में डिफॉल्ट ज़मानत दी गई थी.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय वरवरा राव ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें स्थायी चिकित्सा ज़मानत के उनके आवेदन को ख़ारिज कर दिया गया था. राव अभी चिकित्सकीय आधार पर अंतरिम ज़मानत पर हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय कवि और कार्यकर्ता वरवरा राव की चिकित्सा आधार पर नियमित ज़मानत दिए जाने की मांग वाली याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी कर अपना रुख़ स्पष्ट करने को कहा. राव ने चिकित्सा के आधार पर स्थायी ज़मानत संबंधी उनकी अपील को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा ख़ारिज किए जाने के फ़ैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दाख़िल की है.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय वरवरा राव ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें स्थायी चिकित्सा ज़मानत के उनके आवेदन को ख़ारिज कर दिया गया था. उन्हें चिकित्सा ज़मानत मिली थी और जुलाई में आत्मसमर्पण करना है. याचिका में कहा गया है कि आगे की कोई भी क़ैद उनके ख़राब होते स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते उनके लिए मौत की घंटी होगी.
एल्गार परिषद मामले के आरोपियों- वरवरा राव, अरुण फरेरा और वर्नोन गॉन्जाल्विस द्वारा दायर याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया था, जिसमें उन्हें डिफॉल्ट ज़मानत देने से इनकार किया गया था.
एनआईए ने कबीर कला मंच के सदस्यों- सागर गोरखे, रमेश गायचोर और ज्योति जगताप की ज़मानत याचिकाओं का भी विरोध किया. वहीं, आरोपियों के वकील ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के पास यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उनके मुवक्किलों ने यूएपीए के तहत कोई अपराध किया था जिसके तहत उन पर मामला दर्ज किया गया.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में क़रीब तीन साल बाद ज़मानत पर रिहा हुईं, अधिवक्ता और कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज ने अर्ज़ी देकर ठाणे स्थित मित्र के घर में रहने की अनुमति मांगी थी और कहा था कि मुंबई में घर पाना महंगा है. अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए उन्हें हर हफ़्ते ठाणे के वर्तक नगर पुलिस थाने में हाज़िरी देने का निर्देश दिया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते एक दिसंबर को वकील एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को तकनीकी ख़ामी के आधार पर ज़मानत दे दी थी और आठ अन्य आरोपियों की इसी आधार पर ज़मानत की अर्जी खारिज़ कर दी थी. आरोपियों ने दावा किया है कि उन्हें ज़मानत से इनकार करने का आदेश ‘तथ्यात्मक त्रुटि’ पर आधारित है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 60 वर्षीय अधिवक्ता और कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को बीते एक दिसंबर को ज़मानत दे दी थी. भारद्वाज को अगस्त 2018 में पुणे पुलिस द्वारा जनवरी 2018 में भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा और माओवादियों से कथित संबंधों के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया गया था.
वीडियो: भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में साढ़े तीन साल से जेल में बंद वकील सुधा भारद्वाज को बीते दिनों बॉम्बे हाईकोर्ट ने डिफॉल्ट ज़मानत दे दी है. हालांकि, अदालत ने अन्य आठ आरोपियों की ज़मानत अर्ज़ी एक बार फ़िर ख़ारिज कर दी है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत द्वारा वकील और कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को 50 हज़ार रुपये के मुचलके पर रिहाई देते हुए कहा गया कि उन्हें अदालत के न्यायाधिकार क्षेत्र में ही रहना होगा और बिना कोर्ट की अनुमति के मुंबई छोड़कर नहीं जाना होगा. साथ ही उनके मीडिया से बातचीत पर भी रोक लगाई गई है.
शीर्ष अदालत ने कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज की डिफ़ॉल्ट ज़मानत के ख़िलाफ़ एनआईए द्वारा दी गई दलीलों पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज को इस आधार पर ज़मानत दी है कि उनके ख़िलाफ़ निश्चित अवधि में आरोपपत्र दायर नहीं किया गया.
अदालत ने दहेज हत्या के एक आरोपी को ज़मानत देते हुए कहा कि यदि निर्धारित अवधि में चार्जशीट दायर नहीं की जाती, तो विचाराधीन क़ैदी को ज़मानत पर रिहा किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी के स्वतंत्र होने के अधिकार को जांच जारी रखने और आरोपपत्र दायर करने के राज्य के अधिकार पर प्राथमिकता दी जाती है.
यह हिंसा पिछले साल अगस्त में पूर्वी बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में पुलाकेशीनगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस विधायक आर. अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे पी. नवीन की फेसबुक पोस्ट के बाद हुई थी. इन दंगों में चार लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि नवीन द्वारा पैगंबर मोहम्मद के बारे में सोशल मीडिया पर एक सांप्रदायिक और अपमानजनक पोस्ट करने के बाद भीड़ हिंसक हो गई थी.