सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द किया, दान का विवरण देने को कहा

शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड जारी करने पर भी रोक लगा दी है और एसबीआई से योगदान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण देने के लिए कहा है. चुनावी बॉन्ड योजना 2018 की शुरुआत में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई थी. इसके माध्यम से भारत में कंपनियां और व्यक्ति राजनीतिक दलों को गुमनाम दान दे सकते हैं.

चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, मोदी सरकार को लगा झटका

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए बृहस्पतिवार को इसे रद्द कर दिया. शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड जारी करने पर भी रोक लगा दी है और योगदान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण देने के लिए कहा है. इस मामले पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

भाजपा को 2022-23 में चुनावी बॉन्ड से लगभग 1300 करोड़ रुपये मिले, जो कांग्रेस से 7 गुना अधिक है

भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा सार्वजनिक की गई भाजपा की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ दल की कुल आय वर्ष 2022-23 में बढ़कर 2,361 करोड़ रुपये हो गई, जो 2021-22 में 1,917 करोड़ रुपये थी. वहीं, कांग्रेस की कुल आय 2021-22 के 541.27 करोड़ रुपये से घटकर 2022-23 में 452.37 करोड़ रुपये रह गईं.

जनवरी में 570 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड बिके, 94% राशि 1 करोड़ मूल्य वर्ग वाले बॉन्ड में

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिले जवाब से पता चला है कि बीते 2 जनवरी से 11 जनवरी 2024 तक चले चुनावी बॉन्ड बिक्री के नवीनतम चरण में 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग में बेचे गए 897 बॉन्ड में से 415 या लगभग आधे कोलकाता में बेचे गए हैं.

विधानसभा चुनावों के दौरान 6 से 20 नवंबर के बीच 1,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा के चुनावी बॉन्ड बिके

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मिली जानकारी के अनुसार, चुनावी बॉन्ड योजना के तहत नवीनतम बिक्री (29वीं किश्त) में सर्वाधिक बिक्री तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद (359 करोड़ रुपये) में हुई, इसके बाद मुंबई (259.30 करोड़ रुपये) और दिल्ली (182.75 करोड़ रुपये) रहे.

भाजपा को पिछले साल चुनावी बॉन्ड के अलावा 719 करोड़ रुपये का चंदा मिला: रिपोर्ट

चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित पार्टी की वार्षिक योगदान रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने 2022-23 में 719.83 करोड़ रुपये चंदा मिलने की घोषणा की है. इसमें वह राशि शामिल नहीं है जो पार्टी को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये मिली है.

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दो दिन बाद चुनावी बॉन्ड के 29वें बैच की बिक्री को मंज़ूरी मिली

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि देशभर में भारतीय स्टेट बैंक की अधिकृत शाखाएं 6 नवंबर से 20 नवंबर के बीच चुनावी बॉन्ड जारी कर सकती हैं. यह घोषणा पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से कुछ हफ्ते पहले आई है.

चुनावी बॉन्ड चुनिंदा तरह से अज्ञात, सत्तारूढ़ दल दानदाताओं को जान सकता है, विपक्ष नहीं: कोर्ट

चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को फंडिंग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनते हुए शीर्ष अदालत ने चिंता जताई कि योजना से जुड़ी गोपनीयता समान नहीं है, जहां किसी विपक्षी दल को यह नहीं पता होगा कि दान देने वाला कौन है, पर विपक्षी दल को दान देने वालों का पता जांच एजेंसियों द्वारा लगाया जा सकता है.

चुनावी बॉन्ड आने के बाद अज्ञात स्रोतों से राजनीतिक दलों की आय बढ़कर कुल आय का 72% हुई: रिपोर्ट

2021-22 में आठ राष्ट्रीय दलों की कुल आय 3,289 करोड़ रुपये थी, जिसमें अज्ञात स्रोतों का हिस्सा 66% था. इस अवधि में भाजपा की कुल आय 1,917 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 1,161 करोड़ रुपये या 61% अज्ञात स्रोतों (अधिकांश चुनावी बॉन्ड) से मिले. इसके बाद टीएमसी थी, जिसकी कुल आय (546 करोड़ रुपये) का 97% अज्ञात स्रोतों से आया था.

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले एसबीआई ने 1,148 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार, चुनावी बॉन्ड की सबसे अधिक बिक्री स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की हैदराबाद शाखा (33 प्रतिशत) में हुई. वहीं एसबीआई की नई दिल्ली शाखा में बेचे गए सभी चुनावी बॉन्ड में से अधिकांश (800 करोड़ रुपये या 70 प्रतिशत) भुनाए गए.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, चुनावी बॉन्ड से मिले दान का ब्योरा तैयार रखें

चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों की गुमनाम फंडिंग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग पास चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दिए गए दान का विवरण होना चाहिए. इसे अदालत में अपने पास रखें. हम उचित समय पर इस पर गौर कर सकते हैं.

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