सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, चुनावी बॉन्ड से मिले दान का ब्योरा तैयार रखें

चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों की गुमनाम फंडिंग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग पास चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दिए गए दान का विवरण होना चाहिए. इसे अदालत में अपने पास रखें. हम उचित समय पर इस पर गौर कर सकते हैं.

अटॉर्नी जनरल ने कहा- नागरिकों को राजनीतिक चंदे के स्रोत को जानने का बुनियादी अधिकार नहीं

सुप्रीम कोर्ट 31 अक्टूबर को चुनावी बॉन्ड के ख़िलाफ़ चुनौतियों को सुनने वाला है. इससे पहले अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत से कहा कि सिर्फ इसलिए कि नागरिकों को उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास जानने का हक़ है, इसे चुनावी बॉन्ड के ज़रिये होने वाली फंडिंग की जानकारी तक नहीं बढ़ाया जा सकता.

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने चुनावी बॉन्ड को ‘वैध रिश्वतखोरी’ बताया

केंद्र सरकार ने बीते 29 सितंबर को चुनावी बॉन्ड की 28वीं किश्त की जारी करने को मंज़ूरी दे दी, जो 4 अक्टूबर से 10 दिनों के लिए बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगी. यह फैसला राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया है. इन राज्यों में जल्द ही चुनाव की घोषणा होने की संभावना है.

कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड से सभी दलों की तुलना में भाजपा को तीन गुना अधिक धन मिलने पर सवाल उठाया

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी पारदर्शिता की बात करते हैं, लेकिन चुनावी बॉन्ड राजनीतिक फंडिंग की सबसे अपारदर्शी प्रणाली है. इसके ज़रिये भाजपा ने विधायक ख़रीदने और सरकारें गिराने का काम किया.

राजनीतिक दलों के लिए चंदे का मुख्य स्रोत चुनावी बॉन्ड हैं: एडीआर रिपोर्ट

एडीआर के अनुसार, 2016-17 और 2021-22 के बीच भाजपा को अन्य सभी राष्ट्रीय दलों की तुलना में तीन गुना अधिक चंदा मिला, जिसमें से 52%से अधिक चुनावी बॉन्ड से आया.

2,000 रुपये को नोटों की वापसी की जटिल प्रक्रिया का असली निशाना कौन है?

2,000 रुपये के नोट रखने वालों के लिए अब एक स्पष्ट प्रोत्साहन है कि वे बैंक में पैसे जमा करने के बजाय सिर्फ एक्सचेंज के लिए जाएं और आयकर उद्देश्यों के लिए जांच की जाए. हालांकि, नोट एक्सचेंज करने को काफी मुश्किल बना दिया गया है क्योंकि एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये ही बदले जा सकते हैं.

2021-22 में क्षेत्रीय दलों की 76% आय अज्ञात स्रोतों से हुई, 93% चुनावी बॉन्ड से मिले: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को अज्ञात स्रोतों से कुल 887.55 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिसमें से 93.26 फीसदी या 827.76 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त हुए. 

मोदी सरकार का पार्टियों को विदेशी चंदे की अनुमति देना लोकतंत्र को असली ख़तरा: पूर्व वित्त सचिव

पूर्व वित्त सचिव ईएएस सरमा ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को लिखे एक पत्र में कहा है कि विदेशी चंदे को लेकर मूल समस्या से निपटने के बजाय हर्ष मंदर के एनजीओ अमन बिरादरी का उत्पीड़न न्याय का उपहास करना है.

2021-22 में भाजपा ने सर्वाधिक आय घोषित की, तृणमूल की आय में बड़ा इज़ाफ़ा: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, आठ राष्ट्रीय दलों ने वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 3289.34 करोड़ रुपये की आय प्राप्त होने की घोषणा की है, जिसमें से आधे से अधिक, क़रीब 1,917.12 करोड़ रुपये भाजपा के हिस्से में आए. वित्त वर्ष 2020-21 के मुक़ाबले भाजपा की आय दोगुनी से अधिक हुई है.

मोदी के पीएम बनने के बाद जादू हुआ कि अडानी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर शख़्स बन गए: राहुल गांधी

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अडानी समूह से जुड़े मामले का हवाला देते हुए लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला और कहा कि इस सरकार के दौरान नियम बदलकर हवाई अड्डों के ठेके अडानी समूह को दिए गए तथा प्रधानमंत्री के विदेश दौरों के बाद दूसरे देशों में भी इस उद्योगपति को कई व्यावसायिक ठेके मिले.

दिसंबर में 232.10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके, 83 फीसदी दिल्ली में भुनाए गए: आरटीआई

भारतीय स्टेट बैंक से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी बताती है कि 5 से 12 दिसंबर 2022 तक संपन्न हुई चुनावी बॉन्ड बिक्री की 24वीं किस्त में 260 चुनावी बॉन्ड की कुल बिक्री में से 114 करोड़ रुपये के बॉन्ड अकेले मुंबई में बेचे गए थे. 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत से लेकर 24वीं किस्त तक एसबीआई ने 11,699.83 करोड़ रुपये के कुल 20,734 चुनावी बॉन्ड बेचे हैं.

विभिन्न क्षेत्रीय दलों को मिले कुल चंदे में चुनावी बॉन्ड की हिस्सेदारी 10 से सौ फीसदी रही

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार राजनीतिक दलों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में चुनाव आयोग के समक्ष 20,000 रुपये से अधिक के सभी योगदानों का विवरण देना ज़रूरी है. हालांकि, चुनावी बॉन्ड इसके दायरे में नहीं आते हैं और प्रमुख राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल उन्हें अपनी योगदान रिपोर्ट में शामिल नहीं करते.

केंद्र ने चुनावी बॉन्ड की बिक्री की 24वीं किस्त को मंज़ूरी दी

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि चुनावी बॉन्ड की बिक्री 5 दिसंबर से शुरू होगी. भारतीय स्टेट बैंक की 29 अधिकृत शाखाओं से इनकी ख़रीद 12 दिसंबर तक की जा सकेगी.

चुनावी बॉन्ड योजना: केंद्र सरकार ने हालिया संशोधन के लिए नहीं ली चुनाव आयोग की राय

मोदी सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना में संशोधन करते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में  विधानसभा चुनाव के वर्ष में बॉन्ड की बिक्री 15 अतिरिक्त दिन होने का प्रावधान किया है. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू होने के दौरान किए गए इस संशोधन के लिए चुनाव आयोग से चर्चा नहीं की गई थी.

1 4 5 6 7 8 10