भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बीते 25 दिसंबर को कर्नाटक के शिवमोगा शहर में हुए सम्मेलन के दौरान कहा था कि हिंदुओं को उन पर और उनकी गरिमा पर हमला करने वालों को जवाब देने का अधिकार है, वे आत्मरक्षा के लिए घर में चाकू की धार तेज़ रखें. ठाकुर के ख़िलाफ़ कर्नाटक पुलिस में दो शिकायतें भी दी गई हैं, लेकिन पुलिस ने अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की है. शिकायतकर्ता तृणमूल कांग्रेस नेता साकेत गोखले ने भी
एक अमेरिकी शोध संस्थान ने 162 देशों में सामूहिक हत्याएं होने की संभावनाओं पर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में भारत को आठवें पायदान पर रखते हुए ऐसे कई उदाहरणों पर प्रकाश डाला गया है कि किस तरह केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों ने देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव किया है.
दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट के एक हालिया फैसले के अनुसार, नफ़रत भरे भाषणों आदि के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधान के तहत जांच और एफ़आईआर दर्ज करने के निर्देश के लिए सरकार की उचित मंज़ूरी की आवश्यकता होती है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रोहिंटन फली नरीमन ने वर्तमान में देश में बंधुत्व के संवैधानिक सिद्धांत को महत्वपूर्ण क़रार देते हुए कहा कि सौहार्द बिगाड़ने वाले नफ़रत भरे भाषण (हेट स्पीच) के मामलों में दीवानी अदालतों को आर्थिक हर्जाना लगाने का अधिकार दिया जाना चाहिए.
यूपी के रामपुर की एक अदालत ने सपा नेता आज़म ख़ान को 'नफ़रती भाषण' मामले में दोषी ठहराते हुए तीन साल की सज़ा सुनाई थी, जिसके बाद विधानसभा सचिवालय ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी. इसके ख़िलाफ़ ख़ान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा नेता आज़म ख़ान के बेटे अब्दुल्ला आज़म ख़ान का 2017 में यूपी विधानसभा के लिए चुनाव रद्द करने का आदेश दिया था क्योंकि उस समय उनकी उम्र 25 वर्ष से कम थी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आज़म ख़ान को विधानसभा में अयोग्य ठहराने के ख़िलाफ़ याचिका पर यूपी सरकार व निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर सीट से विधायक आज़म ख़ान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल पर दर्ज मामले में अदालत ने उन्हें दोषी मानते हुए तीन साल की सज़ा सुनाई है.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक आज़म ख़ान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के संबंध में मुक़दमा दर्ज किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने नफ़रत भरे भाषणों को बहुत ही गंभीर मुद्दा क़रार देते हुए दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को निर्देश दिया कि वे संबंधित अपराधों पर की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट दाख़िल करें. पीठ मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने और उन्हें आतंकित करने के बढ़ते ख़तरे को रोकने के लिए हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक हिंदू युवक की हत्या के विरोध में विश्व हिंदू परिषद व अन्य द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण दिए गए थे. उसी कार्यक्रम के वायरल वीडियो में उत्तर प्रदेश के लोनी से भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर यह दावा करते सुने जा सकते हैं कि 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में उनकी संलिप्तता थी.
पूर्वोत्तर दिल्ली में एक हिंदू युवक की हत्या के विरोध में विश्व हिंदू परिषद व अन्य द्वारा आयोजित कार्यक्रम में एक समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण दिए गए, जहां वक्ताओं ने खृून-ख़राबे का आह्वान किया. वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने आयोजकों के ख़िलाफ़ बिना अनुमति कार्यक्रम करने का मामला दर्ज किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच की बात करके देश की दुखती नब्ज़ पर हाथ रखा है, लेकिन जहां तक उसके 'केंद्र के मूकदर्शक बने बैठने' वाले सवाल की बात है, तो यह पूछने वाले को भी पता है और देश भी जानता है कि ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि सरकार व उसे चला रही पार्टी ही हेट स्पीच की सबसे बड़ी लाभार्थी हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि धर्म पूरी दुनिया, ख़ासतौर पर भारत में एक हथियार बन गया है. आज भारत में नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने में शामिल लोग एक खास विचारधारा का हिस्सा हैं. पुलिस उनके ख़िलाफ़ कुछ भी करने को तैयार नहीं है क्योंकि वे सभी सहयोगी हैं.
विभिन्न टीवी चैनलों पर नफ़रत फैलाने वाले भाषणों को लेकर नाराज़गी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि उसे ‘मूक दर्शक’ बने रहने की बजाय इस समस्या से निपटने के बारे में सोचना चाहिए.
कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद ने अलीगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम में एक धर्म विशेष के ख़िलाफ़ भड़काऊ टिप्पणी कीं, जिसके बाद उनके साथ-साथ अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय महासचिव पूजा शकुन पांडे और उनके पति के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.