भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले हम सभी लोगों के सामने यह चुनने का रास्ता है कि या तो हम इंसाफ़ की एक साझी सोच की दिशा में काम करें, उस दर्द और नफ़रत को दूर करने के लिए, जो हमारी सारी सामूहिक स्मृतियों को निगल रहे हैं, या फिर इन हालात को और बिगड़ने दें.
उत्तराखंड के रुड़की ज़िले के दादा जलालपुर गांव में हनुमान जयंती के दिन 16 अप्रैल को निकली एक शोभायात्रा के दौरान पथराव हुआ था, जिसके परिणास्वरूप ज़्यादातर मुसलमानों को भगवानपुर क्षेत्र छोड़ना पड़ा. जो पीछे रह गए हैं, उनका कहना है कि वे लगातार डर के साये में जी रहे हैं.
जी-23 के बैनर तले असंतुष्ट खेमे के पुराने वफ़ादार नेताओं के साथ सोनिया गांधी से संवाद की कड़ियां भले ही जुड़ गई हों पर लाख टके का सवाल यह है कि बीच का रास्ता निकालने के फार्मूलों से क्या कांग्रेस के अस्तित्व को लेकर पैदा हुआ संकट टल सकेगा.
हरिद्वार के हिंदू नेताओं की शंकराचार्य परिषद ने 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर मांग की थी कि ग़ैर-हिंदुओं को चार धाम मंदिरों में प्रवेश करने से रोका जाए. अब मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा अभियान चलाया जाएगा कि तीर्थ यात्रा के लिए बाहर से आने वालों का उचित सत्यापन हो और जिनका सत्यापन नहीं हुआ है, वे स्वयं आकर कराएं.
पुस्तक समीक्षा: गौरीनाथ के ‘कर्बला दर कर्बला’ की दुनिया से गुज़रने के बाद भी गुज़र जाना आसान नहीं है. 1989 के भागलपुर दंगों पर आधारित इस उपन्यास के सत्य को चीख़-ओ-पुकार की तरह सुनना और सहसा उससे भर जाना ऐसा ही है मानो किसी ने अपने समय का ‘मर्सिया’ तहरीर कर दिया हो.
वीडियो: पिछले कुछ दिनों में कई राज्यों में हुए सांप्रदायिक घटनाक्रम के बाद तनाव का माहौल है. मध्य प्रदेश में मुस्लिम समुदाय के घर-दुकान ढहाए गए, तो कहीं मस्जिदों के सामने अभद्र नारे लगे. इसके मद्देनज़र द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की इतिहासकार रामचंद्र गुहा से बातचीत.
अमित शाह जानते हैं कि सभी भारतीयों पर हिंदी थोपने का उनका इरादा व्यवहारिक नहीं है. लेकिन इससे उनका ध्रुवीकरण का एजेंडा तो सध ही रहा है.
वर्तमान परिस्थितियों को लेकर कॉरपोरेट अग्रणियों के बीच पसरे विराट मौन में शायद ही कोई अपवाद मिले. यह बात अब शीशे की तरफ साफ हो गई है कि मौजूदा निज़ाम में कॉरपोरेट समूहों और हिंदुत्व वर्चस्ववादी ताकतों की जुगलबंदी नए मुकाम पर पहुंची है.
कर्नाटक के धारवाड़ स्थित एक मंदिर में शनिवार को श्री राम सेना के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम फल विक्रेताओं के ठेलों में तोड़फोड़ करने के साथ-साथ उनमें लदे फलों को भी सड़क पर फेंककर नष्ट कर दिया. आरोप है कि मौके पर मौजूद पुलिस तमाशबीन बनी रही.
मुस्लिमों की लानत-मलामत करना चुनाव जीतने का फॉर्मूला बन चुका है. और देश के हालात देखकर लगता नहीं है कि ये आने वाले समय में असफल होगा.
अहमदाबाद में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक में प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में विभाजनकारी तत्वों के बढ़ने की चुनौती भी ख़तरनाक है. हिंदू समाज में ही विभिन्न विभाजनकारी प्रवृत्तियों को उभारकर समाज को कमज़ोर करने का प्रयास किया जा रहा है.
मुज़फ़्फ़रनगर दंगों में आरोपी रहे संगीत सोम, मंत्री सुरेश राणा, उमेश मलिक और पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह अपनी सीट नहीं बचा सके. चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम-विरोधी बयानबाज़ी करने वाले डुमरियागंज विधायक और हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश प्रभारी राघवेंद्र सिंह भी हारे हैं. साथ ही, योगी सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत 11 मंत्रियों को भी जनता ने नहीं स्वीकारा.
गुजरात भाजपा द्वारा साझा किए गए कार्टून से डरने की वजह है कि हम पहले भी एक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने वाली इस तरह की सनक भरी नफ़रत देख चुके हैं और यह जानते हैं कि इसका अंजाम क्या होता है.
अमेरिकी प्रवासी संगठनों द्वारा 'भारत में सांप्रदायिकता' पर आयोजित एक कार्यक्रम में भेजे गए संक्षिप्त संदेश में प्रख्यात अकादमिक और भाषाविद नोम चॉम्स्की ने कहा कि पश्चिम में बढ़ रहे इस्लामोफोबिया ने भारत में सबसे घातक रूप ले लिया है, जहां मोदी सरकार व्यवस्थित ढंग से धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को ख़त्म कर रही है.
यूपी में एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के काफ़िले पर गोली चलाने के आरोपी सचिन पंडित का फेसबुक प्रोफाइल न केवल उसके कट्टरपंथी विचारों, बल्कि यूपी के प्रमुख भाजपा नेताओं से उनकी निकटता भी दिखाती है. पूर्व केंद्रीय मंत्रियों से लेकर पूर्व पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के साथ उसके फोटो सामने आए हैं.