‘जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के ख़िलाफ़ अधिकार’ जीवन व समानता के अधिकारों का हिस्सा: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक पक्षी के निवास स्थान को खोने से बचाए जाने की याचिका सुनते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं से अप्रभावित स्वच्छ पर्यावरण के बिना जीवन का अधिकार पूरी तरह से साकार नहीं होता है.

क्या किसी शिक्षक को स्कूल में प्रार्थना करने के लिए मजबूर किया जा सकता है?

राजस्थान की शिक्षिका हेमलता बैरवा के निलंबन के बीच संविधान की बहसों की याद किया जाना चाहिए, जहां धार्मिक होने के बावजूद सदस्यों का बहुमत इस बात पर सहमत था कि स्कूलों को, जिनका मूल मक़सद बच्चों के दिमाग खोलना है, को किसी भी क़िस्म की धार्मिक शिक्षा के लिए खोला नहीं जाना चाहिए.

भाजपा सांसद बोले- पार्टी का 400+ सीटों का लक्ष्य इसलिए कि संविधान बदला जा सके

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कर्नाटक से भाजपा सांसद अनंत हेगड़े ने कहा है कि उनकी पार्टी 400 से अधिक सीटों का लक्ष्य इसलिए बना रही है कि उसके पास दो-तिहाई बहुमत रहे, तो संसद भारतीय संविधान में संशोधन करे. भाजपा ने इसे हेगड़े की 'निजी राय' बताया है.

वैज्ञानिकों ने मोदी सरकार पर वैज्ञानिक सोच घटाने, झूठे नैरेटिव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया

ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क के बैनर तले सौ से अधिक वैज्ञानिकों ने एक बयान जारी कर कहा है कि सरकार और उसके विभिन्न अंग वैज्ञानिक दृष्टिकोण, स्वतंत्र या आलोचनात्मक सोच और साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण का विरोध करते हैं.

लोहिया की इतिहास दृष्टि के आलोक में 22 जनवरी का आयोजन उदार हिंदू पर कट्टरपंथ की विजय है

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करोड़ों साधारण आस्थावान हिंदुओं के लिए उनके आराध्य का भव्य मंदिर बनने का विशेष पर्व था. उनमें से अधिकांश के मन में कोई कट्टरता नहीं रही होगी. लेकिन इसके आयोजकों और प्रायोजकों ने इसके राजनीतिक निहितार्थ के बारे में शक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी है.

राष्ट्र के नाम पत्र: हम पागलपन के बजाय विवेक को चुनें

क्या हमारे बच्चे ऐसे भारत में बड़े होंगे जहां धर्म हमारी सभी पहचानों, बातचीत, जीवन के नियमों को समाहित कर लेता है- दूसरों को कम मानवीय, दूसरे दर्जे के का बना देता है?

रोहिंग्याओं के ख़िलाफ़ ऑनलाइन नफ़रत की अनदेखी पर फेसबुक के ख़िलाफ़ कोर्ट पहुंचे शरणार्थी

जातीय हिंसा के कारण म्यांमार से भागने को मजबूर हुए रोहिंग्या शरणार्थियों द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म पर उनके ख़िलाफ़ हेट स्पीच पर कार्रवाई करने में विफल रहा है, जिससे उनके साथ हिंसा होने का ख़तरा मंडराता रहता है.

एडिटर्स गिल्ड ने केंद्र से कहा- प्रसारण सेवा विधेयक ​‘अत्यधिक हस्तक्षेप​’ करने वाला है

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखकर कहा है कि नया विधेयक ​‘संविधान द्वारा गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता की भावना के प्रतिकूल​’ साबित होगा. गिल्ड को डर है कि विधेयक प्रसारण सलाहकार परिषद के माध्यम से ​‘व्यापक सेंसरशिप ढांचे​’ के निर्माण के लिए आधार तैयार करेगा.

आदिवासियों को समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रखा जाएगा: असम मुख्यमंत्री

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि असम समान नागरिक संहिता को लागू करेगा, लेकिन इसका स्वरूप अन्य भाजपा शासित राज्यों में अमल में लाए जा रहे मॉडल से अलग होगा. इसमें कुछ संशोधनों के साथ आदिवासी समुदाय को छूट दी जाएगी.

मध्य प्रदेश में शिवराज का ‘बुलडोज़र’ कमज़ोरों के ख़िलाफ़ ही क्यों चला है?

विशेष रिपोर्ट: 2020 में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद से लगभग हर संगीन अपराध में न्यायिक फैसले का इंतजार किए बिना आरोपियों को सज़ा देने के लिए उनसे जुड़े निर्माण अवैध बताकर बुलडोज़र चला दिया गया.  कथित अपराध की सज़ा आरोपी के परिजनों को देने की इन मनमानी कार्रवाइयों का शिकार ज़्यादातर मुस्लिम, दलित और वंचित तबके के लोग ही रहे.

संविधान का ढांचा तो औपचारिक रूप से बरक़रार है, पर उसकी आत्मा का हनन रोज़ हो रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: जैसे अक्सर क्रांति को क्रांति की संतानें ही खा जाती हैं वैसे ही संविधान की संतानें, राजनीतिक दल, लोकतांत्रिक पद्धति से चुनी गई सरकारें संविधान को कुतर-काट रहे हैं.

कांग्रेस का दावा- मिज़ो संस्कृति की रक्षा करने वाला अनुच्छेद 371 जी ख़तरे में है

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि एक सरकार और एक पार्टी जिसने अनुच्छेद 370 को हटाया, वह 371 'जी' को भी हटा सकती है. यह अधिनियम मिज़ो समुदाय की धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, मिज़ो प्रथागत क़ानून, नागरिक और आपराधिक न्याय प्रशासन, भूमि स्वामित्व आदि की रक्षा करता है.  

हमारा संविधान: अनुच्छेद 105 – संसद सदस्यों के विशेषाधिकार

वीडियो: सांसदों के पास क्या कोई विशेष अधिकार होते है? क्या उन्हें दीवानी और फौजदारी मामलों में कोई ख़ास सुरक्षा मिलती है? अगर लोकसभा या राज्यसभा में कोई सदस्य अपनी बात रखता है, तो क्या उस पर अपनी बात आज़ादी से कह पाने के लिए संविधान में कोई ख़ास अनुच्छेद है, बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.

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