26 नवंबर 2008 की रात लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी संगठन के दस सदस्य मुंबई शहर में घुस गए थे और अगले चार दिनों के दौरान उनकी आतंकी कार्रवाई में 166 लोगों की जान गई थी और 300 से अधिक घायल हुए थे. हमले में चार इज़रायली नागरिक भी मारे गए थे.
लेखक और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर अचिन वानाइक ने कहा कि फिलिस्तीन पर एक व्याख्यान को लेकर हरियाणा स्थित ओपी जिंदल विश्वविद्यालय ने उनसे खेद जताने के लिए कहा है. विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया है कि इस दौरान हिंदुत्व और इसके मुस्लिम विरोधी होने पर की गई उनकी टिप्पणी आपत्तिजनक थी.
दुनियाभर के 1,265 मीडियाकर्मियों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में पश्चिम के न्यूज़रूम्स से अपील की गई है कि वे ऐसी अमानवीय बयानबाज़ी से बचें, जो फ़िलिस्तीनियों के नस्लीय सफाए (एथनिक क्लींज़िंग) को उचित ठहराती है.
फ़िलिस्तीन और इज़रायल की ख़ातिर, जो ज़िंदा हैं उनकी ख़ातिर और जो मारे गए उनके नाम पर, हमास के हाथों बंधक बनाए गए लोगों की ख़ातिर और इज़रायली जेलों में बंद फ़िलिस्तीनियों की ख़ातिर, सारी इंसानियत की ख़ातिर, गाज़ा पर हमला फ़ौरन बंद होना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र का मसौदा प्रस्ताव बीते 9 नवंबर को भारी बहुमत से पारित किया गया. इसका शीर्षक ‘पूर्वी येरुशलम सहित क़ब्ज़ा किए गए फिलिस्तीनी क्षेत्र और सीरियाई गोलान में इज़रायली बस्तियां’ था. बीते 28 अक्टूबर को भारत ने जॉर्डन-मसौदा प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी, जिसमें शत्रुता की समाप्ति के लिए संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था.
प्रदर्शकारियों का आरोप है कि आईआईटी बॉम्बे के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग की प्रोफेसर शर्मिष्ठा साहा और अतिथि वक्ता सुधन्वा देशपांडे ने बीते 6 नवंबर को एक बातचीत के दौरान कथित तौर पर ‘आतंकवादियों’ और सशस्त्र विद्रोह के बारे में अत्यधिक बात की थी. उन्होंने प्रोफेसर को संस्थान से हटाए जाने की भी मांग की.
विशेष रिपोर्ट: 2020 में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद से लगभग हर संगीन अपराध में न्यायिक फैसले का इंतजार किए बिना आरोपियों को सज़ा देने के लिए उनसे जुड़े निर्माण अवैध बताकर बुलडोज़र चला दिया गया. कथित अपराध की सज़ा आरोपी के परिजनों को देने की इन मनमानी कार्रवाइयों का शिकार ज़्यादातर मुस्लिम, दलित और वंचित तबके के लोग ही रहे.
इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष को बिना किसी धारणा और पूर्वाग्रह के समझना है, तो ज़रूरी है कि धर्म के चश्मे को उतारकर उसके ऐतिहासिक संदर्भ से समझा जाए.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गाज़ा पट्टी में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान करते हुए कहा है कि हर गुज़रते घंटे के साथ सामने आ रही तबाही युद्ध विराम की आवश्यकता को और अधिक जरूरी बना देती है. इस दौरान उन्होंने हमास द्वारा बंधक बनाए गए 200 से अधिक इज़रायलियों की रिहाई का आह्वान भी दोहराया.
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने युद्ध से तबाह फिलिस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि जब लोगों का एक वर्ग नरसंहार जैसी आक्रामकता का सामना कर रहा हो तो कोई तटस्थ नहीं रह सकता. उन्होंने आरोप लगाया कि इज़रायल अमेरिका के समर्थन से फिलिस्तीन को निशाना बना रहा है.
वीडियो: इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष का इतिहास बहुत पुराना है. कैसे इज़रायल और फिलिस्तीन अस्तित्व में आए, दोनों देशों का 2000 साल का इतिहास क्या है, कैसे यहूदियों को पनाह देने वाले फिलिस्तीन को यहूदियों के राष्ट्र इज़रायल ने ही उजाड़ दिया, बता रहे हैं द वायर के अजय कुमार.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए प्रस्ताव में गाज़ा में मानवीय आधार पर संघर्ष विराम का आह्वान करते हुए अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के महत्व पर ज़ोर दिया गया था. इसमें बंधक बनाए गए सभी नागरिकों की बिना शर्त रिहाई और गाज़ा को ज़रूरी रसद सामग्री की निर्बाध आपूर्ति का आग्रह किया था. भारत प्रस्ताव पर वोटिंग में शामिल नहीं हुआ था.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए प्रस्ताव में गाज़ा में मानवीय आधार पर संघर्ष विराम का आह्वान करते हुए अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के महत्व पर ज़ोर दिया गया था. इसमें बंधक बनाए गए सभी नागरिकों की बिना शर्त रिहाई और गाज़ा को ज़रूरी रसद सामग्री की निर्बाध आपूर्ति का आग्रह किया था. भारत प्रस्ताव पर वोटिंग में शामिल नहीं हुआ.
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इज़रायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा कि भारत हमारे आतंकवाद विरोधी अभियानों में मज़बूती से हमारा समर्थन कर रहा है. अब समय आ गया है कि वह हमास को भारत में आतंकवादी संगठन घोषित करे. उन्होंने हमास के ख़िलाफ़ आतंकवाद विरोधी अभियानों में इज़रायल को समर्थन देने के लिए भारत को धन्यवाद दिया.