जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में क़रीब 25 लाख नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज होने की उम्मीद है और सूची में शामिल होने के लिए किसी व्यक्ति के पास जम्मू कश्मीर का डोमिसाइल प्रमाण पत्र होना आवश्यक नहीं है.
मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाने के एक दिन पहले राज्य के प्रमुख नेताओं को नज़रबंद कर दिया गया था, जिनमें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता मीरवाइज़ उमर फारूक़ भी थे. हुर्रियत के एक पदाधिकारी ने बताया कि राज्य के अधिकारियों ने उन आरोपों का विवरण देने से इनकार कर दिया है जो मीरवाइज़ पर लगाए गए हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने एक साक्षात्कार में कहा कि संस्थानों को नियंत्रित, कमज़ोर किया जा रहा है या उन पर कब्ज़ा कर लिया गया है. भले ही हमारे पास लोकतंत्र का कवच है, लेकिन भीतर से यह कवच खोखला हो चुका है.
कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट की बीते 12 मई को आतंकियों द्वारा की गई हत्या के बाद से समुदाय के लोगों द्वारा कश्मीर में विभिन्न स्थानों पर धरना प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शनकारियों ने जम्मू कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार से अपील की है कि उन्हें घाटी से बाहर भेजा जाए और जब तक सरकार इसके लिए क़दम नहीं उठाएगी, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि 5 अगस्त, 2019 से 9 जुलाई, 2022 तक जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों के 128 जवान और 118 नागरिक मारे गए हैं. इन 118 लोगोंं में पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदू/सिख समुदाय के थे.
जम्मू कश्मीर में परिसीमन की कवायद में विधानसभा क्षेत्रों का दायरा फिर से तय किए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश की पहली मतदाता सूची को फिर से तैयार किया गया. समयसीमा के अनुसार एकीकृत मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन एक सितंबर को किया जाएगा. सितंबर का पूरा माह दावा-आपत्ति दर्ज कराने के लिए रखा गया है, जिसका निस्तारण 15 अक्टूबर तक किया जाना है.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बीते 27 मई को अधिकारियों से मोहम्मद लतीफ़ माग्रे की मौजूदगी में हैदरपोरा एनकाउंटर में मृत उनके बेटे आमिर के अवशेषों को निकालने का आदेश दिया था. हालांकि छह जून को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी थी. आमिर उन चार लोगों में से एक थे, जो नवंबर 2021 को श्रीनगर के हैदरपोरा में एनकाउंटर में मारे गए थे. इनमें से दो लोगों के शव विरोध के बाद उनके परिजनों
कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर बुधवार को जम्मू में राहत और पुनर्वास आयुक्त के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने कहा कि हमारे ख़ून, बच्चों को अनाथ होने और पत्नियों को विधवा करने की कीमत पर हमारा पुनर्वास न करें. एकमात्र समाधान घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरित करना है.
कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों समेत अल्पसंख्यक समुदाय के ग़ैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के विरोध में लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. प्रधानमंत्री पैकेज के तहत भर्ती किए गए कर्मचारी घाटी से कहीं और बसाए जाने की मांग कर रहे हैं.
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीसीएस) की 19 जून को आयोजित राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2021 में सामान्य अभिरुचि परीक्षण के प्रश्न-पत्र में कथित तौर पर सवाल पूछा गया था कि क्या भारत को कश्मीर को पाकिस्तान को दे देने का निर्णय कर लेना चाहिए? राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार एमपीपीएससी एवं उच्च शिक्षा विभाग को पेपर तैयार करने वाले दोनों लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए कहा है.
केंद्र शासित प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण/संशोधन करने की जरूरत है. मतदाता सूची को अद्यतन करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति के लिए भी निर्देश दिए गए हैं. मसौदा मतदाता सूची 31 अगस्त तक तैयार कर ली जाएगी. बूथ स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति और उपयुक्त प्रशिक्षण पांच जुलाई तक दिया जाएगा. मतदान केंद्रों का सत्यापन 25 जुलाई तक किया जाएगा.
ऑल माइग्रेंट्स एम्प्लॉइज़ एसोसिएशन कश्मीर के बैनर तले सैकड़ों महिला एवं पुरुष कर्मचारी जम्मू स्थित प्रेस क्लब के बाहर जमा हुए. उन्होंने तख्तियां पकड़ी हुई थीं जिन पर लिखा था, ‘हमारे ख़ून की कीमत पर हमारा पुनर्वास न करें. हमारे बच्चे अनाथ हो रहे हैं. हमारी पत्नियां विधवा हो रही हैं. और सिर्फ एक ही समाधन है, घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरण.’
जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने मंगलवार को इस्लामाबाद में उनके पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ एक प्रेस वार्ता में कहा था कि कश्मीर समस्या के समाधान में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका है और वे उसका समर्थन करते हैं. वहीं, भारत ने कहा है कि इस द्विपक्षीय मसले में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है.
घाटी में निशाना बनाकर की जा रही हालिया हत्याओं के मद्देनज़र कश्मीर में तैनात डोगरा और कश्मीरी पंडित दोनों समुदायों के कर्मचारियों का तबादला किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि घाटी में सुरक्षा स्थिति सुधरने तक उन्हें अस्थायी रूप से जम्मू स्थानांतरित कर देना चाहिए.
जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की लगातार हो रही हत्या के विरोध में विभिन्न दलों ने भाजपा नीत केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि घाटी के राजनीतिक दलों को इन हत्याओं के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है. जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के प्रमुख अल्ताफ़ बुख़ारी ने कहा कि अगर इन हत्याओं को बंद नहीं किया गया तो यह शर्म की बात होगी. शिवसेना नेता संजय राउत ने