मणिपुर में हिंसा से संबंधित एक वीडियो सामने आया है, जिसमें भीड़ द्वारा कुकी समुदाय की दो आदिवासी महिलाओं को नग्न घुमाया जा रहा है. घटना 3 मई को हिंसा भड़कने के अगले दिन हुई. भीड़ ने पुलिस हिरासत से इन महिलाओं और कुछ पुरुषों को क़ब्ज़े में लेकर इस ख़ौफ़नाक घटना को अंजाम दिया था. दो पुरुषों की हत्या कर दी गई थी, जबकि एक महिला से बलात्कार किया गया था.
मणिपुर हिंसा से संबंधित ख़ौफ़नाक वीडियो में निर्वस्त्र घुमाई गईं महिलाओं में से एक ने कहा कि उन्होंने चार पुलिसकर्मियों को कार में बैठे देखा था, जो हिंसा होते हुए देख रहे थे. उन्होंने हमारी मदद के लिए कुछ नहीं किया. कुकी समुदाय की इस महिला के पिता और भाई को भीड़ ने मार डाला था. ये घटना 3 मई को भड़की जातीय हिंसा के अगले दिन 4 मई की है.
मणिपुर सरकार का यह फैसला क्वैरमबैंड इमा कीथल जॉइंट कोऑर्डिनेटिंग कमेटी फॉर पीस द्वारा सभी से ‘मदर्स प्रोटेस्ट’ रैली को सफल बनाने की अपील के बाद आया है. इसे देखते हुए राजधानी इंफाल शहर में भी सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए गए हैं. राज्य में बीते 3 मई से जातीय हिंसा जारी है.
वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान वडोदरा शहर में स्थित बेस्ट बेकरी पर भीड़ के हमले में 14 लोग मारे गए थे. इनमें से ज़्यादातर मुस्लिम थे, जिन्होंने अंदर शरण ली हुई थी. मुंबई की निचली अदालत ने हर्षद सोलंकी और मफत गोहिल को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन यह साबित करने में असफल रहा कि दोनों दंगाई भीड़ का हिस्सा थे.
गुजरात में दाहोद ज़िले के लिमखेड़ा क़स्बे के रंधीकपुर गांव का मामला. पीड़ित व्यक्ति ने कहा कि बिलक़ीस बानो का रिश्तेदार होने के नाते भीड़ ने उन पर हमला किया था. हालांकि पुलिस ने इस बात से इनकार करते हुए कहा कि हमला पैसे के लेन-देन को लेकर हुआ.
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर का मामला. एक हिंदू महिला अपने दोस्तों के साथ एक फ्लैट में अपना जन्मदिन मना रही थी, जब कथित तौर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने यहां धावा बोल दिया. कार्यकर्ता मुस्लिम युवकों को पीटने के बाद उन्हें थाने ले गई, जहां पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
घटना गुड़गांव के भोरा कलां गांव की है, जहां बुधवार को 200 से अधिक लोगों ने एक मस्जिद में तोड़फोड़ की, वहां नमाज़ अदा कर रहे लोगों पर हमला किया तथा उन्हें गांव से निकालने की धमकी दी. बताया गया है कि गांव में मुस्लिम परिवारों के चार घर हैं.
ये पांचों उन छह लोगों में से हैं, जिन पर पहले ही कथित तौर पर पुलिस हिरासत में हुई सफीकुल इस्लाम की मौत के विरोध में नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाने में आग लगाने का आरोप लगाया गया है. रविवार को पुलिस ने थाने में आगजनी के आरोपियों को 'अतिक्रमणकारी' बताते हुए उनके घरों को ध्वस्त कर दिया था. इनमें मृतक सफीकुल का घर भी शामिल है.
एक मछली व्यापारी सफीकुल इस्लाम की कथित तौर पर हिरासत में मौत के बाद भीड़ ने बीते 21 मई को असम के नगांव ज़िले के बटाद्रवा थाने आग लगा दी थी. रविवार को प्रशासन ने सलोनाबारी गांव में अतिक्रमण अभियान चलाकर उन आरोपियों के घर गिरा दिए, जो कथित तौर पर आगज़नी में शामिल थे. पुलिस ने हिरासत में मौत से भी इनकार किया है. हालांकि मृतक के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि पुलिस ने उसकी रिहाई के
5 मई को वडोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय में ललित कला संकाय ने परीक्षा के दौरान हिंदू देवी-देवताओं को आपत्तिजनक तरीके से दिखाने के आरोप में दक्षिणपंथी भीड़ ने छात्रों और स्टाफ पर हमला किया था. बताया गया है कि चित्र बनाने वाले छात्र के ख़िलाफ़ कई धाराओं के तहत केस भी दर्ज किया गया था.
यह घटना नोएडा के ऑक्सफोर्ड स्क्वॉयर सुपरटेक इन्क्लेव-3 सोसायटी में 10 अप्रैल रामनवमी के अवसर पर हुई. सोसाइटी के कुछ लोगों ने जगराते का आयोजन किया था. देर रात तक लाउडस्पीकर से भक्ति गीत बजाए जा रहे थे. आरोप है कि पत्रकार ने वहां पहुंचकर इसका विरोध किया तो भीड़ ने उन्हें ‘राष्ट्रविरोधी’ और ‘पाकिस्तानी’ और उनकी पत्नी से भी अभद्रता की.
झारखंड में भीड़ हिंसा का मामला 2019 में उस समय सुर्ख़ियों में आया था, जब 24 साल के तबरेज़ अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में कथित तौर पर पोल से बांधकर भीड़ ने उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इस घटना के वीडियो में भीड़ अंसारी से कथित तौर पर ‘जय श्रीराम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे लगाने को मजबूर करती दिख रही थी.
दस दिन पहले उत्तरी मुंबई के मलाड में भीड़ ने शाहरुख शेख़ नामक व्यक्ति को चोर होने की आशंका में कथित तौर पर इतना पीटा था कि उनकी मौत हो गई. मृतक के परिजनों ने विरोध प्रदर्शन कर घटना में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की. पुलिस ने मृतक के ख़िलाफ़ चोरी का भी मामला दर्ज किया है.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है. मॉब लिंचिग रोधी अधिनियम हिंदू, मुस्लिम या आदिवासी अधिनियम नहीं है, क्योंकि भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता. भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने और देश के सामाजिक तानाबाने को नष्ट करने वाला माहौल बनाने के बाद हम यह क़ानून लाने को मजबूर हुए.
मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग बिल, 2021 को झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है, जो 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है. इसके तहत दोषी पाए जाने पर जुर्माना और संपत्ति ज़ब्त किए जाने के अलावा तीन साल से आजीवन कारावास तक की सज़ा का प्रावधान है. इसके अलावा पीड़ितों के लिए प्रतिकूल माहौल बनाने के लिए जुर्माने और तीन साल तक की सज़ा का भी प्रावधान है.